होशे (Hosea)
Chapter 1
1. यहूदा के राजा उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह के दिनोंमें और इस्राएल के राजा योआश के पुत्र यारोबाम के दिनोंमें, यहोवा का वचन बेरी के पुत्र होशे के पास पहुंचा।।
2. जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उस ने होशे से यह कहा, जाकर एक वेश्या को अपक्की पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़केबालोंको अपके लड़केबाले कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।
3. सो उस ने जाकर दिबलैम की बेटी गोमेर को अपक्की पत्नी कर लिया, और वह उस से गर्भवती हुई और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ।
4. तब यहोवा ने उस से कहा, उसका नाम यिज्रैल रख; क्योंकि योड़े ही काल में मैं थेहू के घराने को यिज्रैल की हत्या का दण्ड दूंगा, और मैं इस्राएल के घराने के राज्य का अन्त कर दूंगा।
5. और उस समय मैं यिज्रैल की तराई में इस्राएल के धनुष को तोड़ डालूंगा।।
6. और वह स्त्री फिर गर्भवती हुई और उसके एक बेटी उत्पन्न हुई। तब यहोवा ने होशे से कहा, उसका नाम लोरूहामा रख; क्योंकि मैं इस्राएल के घराने में फिर कभी दया करके उनका अपराध किसी प्रकार से झमा न करूंगा।
7. परन्तु यहूदा के घराने पर मैं दया करूंगा, और उनका उद्धार करूंगा; उनका उद्धार मैं धनुष वा तलवार वा युद्ध वा घोड़ोंवा सवारोंके द्वारा नहीं, परन्तु उनके परमेश्वर यहोवा के द्वारा करूंगा।।
8. जब उस स्त्री ने लोरूहामा का दुध छुड़ाया, तब वह गर्भवती हुई और उस से एक पुत्र उत्पन्न हुआ।
9. तब यहोवा ने कहा, इसका नाम लोअम्मी रख; क्योंकि तुम लोग मेरी प्रजा नहीं हो, और न मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूंगा।।
10. तौभी इस्राएलियोंकी गिनती समुद्र की बालू की सी हो जाएगी, जिनका मापना-गिनना अनहोना है; और जिस स्यान में उन से यह कहा जाता या कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो, उसी स्यान में वे जीवित परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
11. तब यहूदी और इस्राएली दोनोंइकट्ठे हो अपना एक प्रधान ठहराकर देश से चले आएंगे; क्योंकि यिज्रेल का दिन प्रसिद्ध होगा।
Chapter 2
1. इसलिथे तुम लोग अपके भाइयोंसे अम्मी और अपक्की बहिनोंसे रूहामा कहो।।
2. अपक्की माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं और न मैं उसका पति हूं। वह अपके मुंह पर से अपके छिनालपन को और छातियोंके बीच से व्यभिचारोंको अलग करे;
3. नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतारकर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूंगा, और उसको मरूस्यल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊंगा, और उसे प्यास से मार डालूंगा।
4. उसके लड़केबालोंपर भी मैं कुछ दया न करूंगा, क्योंकि वे कुकर्म के लड़के हैं।
5. उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पके, उस ने लज्जा के योग्य काम किया है। उस ने कहा, मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूंगी।
6. इसलिथे देखो, मैं उसके मार्ग को कांटोंसे घेरूंगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूंगा कि वह राह न पा सकेगी।
7. वह अपके यारोंके पीछे चलने से भी न पाएगी; और उन्हें ढूंढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, मैं अपके पहिले पति के पास फिर जाऊंगी, क्योंकि मेरी पहिली दशा इस समय की दशा से अच्छी यी।
8. वह यह नहीं जानती यी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता या, और उसके लिथे वह चान्दी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता या।
9. इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपके अन्न को, और नथे दाखमधु के होने के समय में अपके नथे दाखमधु को हर लूंगा; और अपना ऊन और सन भी जिन से वह अपना तन ढांपक्की है, मैं छीन लूंगा।
10. अब मैं उसके यारोंके साम्हने उसके तन को उघाडूंगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा।
11. और मैं उसके पर्व, नथे चांद और विश्रमदिन आदि सब नियत समयोंके उत्सवोंका अन्त कर दूंगा।
12. और मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृझोंको, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारोंने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाडूंगा कि वे जंगल से हो जाएंगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे।
13. और वे दिन जिन में वह बाल देवताओं के लिथे धूप जलाती, और नत्य और हार पहिने अपके यारोंके पीछे जाती और मुझको भूले रहती यी, उन दिनोंका दण्ड मैं उसे दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।।
14. इसलिथे देखो, मैं उसे मोहित करके जंगल में ले जाऊंगा, और वहंा उस से शान्ति की बातें कहूंगा।
15. और वहीं मैं उसको दाख की बारियां दूंगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूंगा और वहां वह मुझ से ऐसी बातें कहेगी जैसी अपक्की जवानी के दिनोंमें अर्यात् मिस्र देश से चले आने के समय कहती यी।
16. और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी।
17. क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूंग; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे।
18. और उस समय मैं उनके लिथे वन-पशुओं और आकाश के पझियोंऔर भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साय वाचा बान्धूंगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूंगा; और ऐसा करूंगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।
19. और मैं सदा के लिथे तुझे अपक्की स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूंगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करूंणा, और दया के साय करूंगा।
20. और यह सच्चाई के साय की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी।।
21. और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुनकर उसको उत्तर दूंगा, और वह पृय्वी की सुनकर उसे उत्तर देगा;
22. और पृय्वी अन्न, नथे दाखमधु, और ताजे तेल की सुनकर उनको उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे।
23. और मैं अपके लिथे उसे देश में बोऊंगा, और लोरूहामा पर दया करूंगा, और लोअम्मी से कहूंगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, “हे मेरे परमेश्वर”।।
Chapter 3
1. फिर यहोवा ने मुझ से कहा, अब जाकर एक ऐसी स्त्री से प्रीति कर, जो व्यभिचारिणी होने पर भी अपके प्रिय की प्यारी हो; क्योंकि उसी भांति यद्यपि इस्राएली पराए देवताओं की ओर फिरे, और दाख की टिकियोंसे प्रीति रखते हैं, तौभी यहोवा उन से प्रीति रखता है।
2. तब मैं ने एक स्त्री को चान्दी के पन्द्रह टुकड़े और डेढ़ होमेर जव देकर मोल लिया।
3. और मैं ने उस से कहा, तू बहुत दिन तक मेरे लिथे बैठी रहना; और न तो छिनाला करना, और न किसी पुरूष की स्त्री हो जाना; और मैं भी तेरे लिथे ऐसा ही रहूंगा।
4. क्योंकि इस्राएली बहुत दिन तक बिना राजा, बिना हाकिम, बिना यज्ञ, बिना लाठ, और बिना एपोद वा गृहदेवताओं के बैठे रहेंगे।
5. उसके बाद वे अपके परमेश्वर यहोवा और अपके राजा दाऊद को फिर ढूंढ़ने लगेंगे, और अन्त के दिनोंमें यहोवा के पास, और उसी उत्तम वस्तुओं के लिथे यरयराते हुए आएंगे।।
Chapter 4
1. हे इस्राएलियों, यहोवा का वचन सुनो; इस देश के निवासियोंके साय यहोवा का मुकद्दमा है। इस दंश में न तो कुछ सच्चाई है, न कुछ करूणा और न कुछ परमेश्वर का ज्ञान ही है।
2. यहां शाप देने, फूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्यभिचार करने को छोड़ कुछ नहीं होता; वे व्यवस्या की सीमा को लांघकर कुकर्म करते हैं और खून ही खून होता रहता है।
3. इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्तुओं, और आकाश के पझियोंसमेत उसके सब निवासी कुम्हला जाएंगे; और समुद्र की मछलियां भी नाश हो जाएंगी।।
4. देखो, कोई वाद-विवाद न करे, न कोई उलहना दे, क्योंकि तेरे लोग तो याजकोंसे वाद-विवाद करनेवालोंके समान हैं।
5. तू दिनदुपहरी ठोकर खाएगा, और रात को भविष्यद्वक्ता भी तेरे साय ठोकर खाएगा; और मैं तेरी माता को नाश करूंगा।
6. मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिथे मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिथे कि तू ने अपके परमेश्वर की व्यवस्या को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़केबालोंको छोड़ दूंगा।
7. जैसे वे बढ़ते गए, वैसे ही वे मेरे विरूद्ध पाप करते गए; मैं उनके विभव के बदले उनका अनादर करूंगा।
8. वे मेरी प्रजा के पापबलियोंको खाते हैं, और प्रजा के पापी होने की लालसा करते हैं।
9. इसलिथे जो प्रजा की दशा होगी, वही याजक की भी होगी; मैं उनके चालचलन का दण्ड दूंगा, और उनके कामोंके अनुकूल उन्हें बदला दूंगा।
10. वे खाएंगे तो सही, परन्तु तृप्त न होंगे, और वेश्यागमन तो करेंगे, परन्तु न बढ़ेंगे; क्योंकि उन्होंने यहोवा की ओर मन लगाना छोड़ दिया है।।
11. वेश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु, थे तीनोंबुद्धि को भ्रष्ट करते हैं।
12. मेरी प्रजा के लोग काठ के पुतले से प्रश्न करते हैं, और उनकी छड़ी उनको भविष्य बताती है। क्योंकि छिनाला करानेवाली आत्मा ने उन्हें बहकाया है, और वे अपके परमेश्वर की अधीनता छोड़कर छिनाला करते हैं।
13. बांज, चिनार और छोटे बांज वृझोंकी छाया अच्छी होती है, इसलिथे वे उनके नीचे और पहाड़ोंकी चोटियोंपर यज्ञ करते, और टीलोंपर धूप जलाते हैं।। इस कारण तुम्हारी बेटियां छिनाल और तुम्हारी बहुएं व्यभिचारिणी हो गई हैं।
14. जब तुम्हारी बेटियां छिनाला और तुम्हारी बहुएं व्यभिचार करें, तब मैं उनको दण्ड न दूंगा; क्योंकि मनुष्य आप ही वेश्याओं के साय एकान्त में जाते, और देवदासियोंके सायी होकर यज्ञ करते हैं; और जो लोग समझ नहीं रखते, वे नाश हो जाएंगे।।
15. हे इस्राएल, यद्यपि तू छिनाला करता है, तौभी यहूदा दोषी न बने। गिलगाल को जाओ; और न बेतावेन को चढ़ जाओ; और यहोवा के जीवन की सौगन्ध कहकर शपय न खाओ।
16. क्योंकि इस्राएल ने हठीली कलोर की नाईं हठ किया है, क्या अब यहोवा उन्हें भेड़ के बच्चे की नाईं लम्बे चौड़े मैदान में चराएगा?
17. एप्रैम मूरतोंका संगी हो गया है; इसलिथे उसको रहने दे।
18. वे जब दाखमधु पी चुकते हैं तब वेश्यागमन करने में लग जाते हैं; उनके प्रधान लोग निरादर होने से अधिक प्रीति रखते हैं।
19. आंधी उनको अपके पंखोंमें बान्धकर उड़ा ले जाएगी, और उनके बलिदानोंके कारण उनकी आशा टूट जाएगी।।
Chapter 5
1. हे याजकों, यह बात सुनो! हे इस्राएल के घराने, ध्यान देकर सुनो! हे राजा के घराने, तुम भी कान लगाओ! क्योंकि तुम पर न्याय किया जाएगा; क्योंकि तुम मिसपा में फन्दा, और ताबोर पर लगाया हुआ जाल बन गए हो।
2. उन बिगड़े हुओं ने घोर हत्या की है, इसलिथे मैं उन सभोंको ताड़ना दूंगा।।
3. मैं एप्रैम का भेद जानता हूं, और इस्राएल की दशा मुझ से छिपी नहीं है; हे एप्रैम, तू ने छिनाला किया, और इस्राएल अशुद्ध हुआ है।
4. उनके काम उन्हें अपके परमेश्वर की ओर फिरने नहीं देते, क्योंकि छिनाला करनेवाली आत्मा उन में रहती है; और वे यहोवा को नहीं जानते हें।।
5. इस्राएल का गर्व उसी के विरूद्ध साझी देता है, और इस्राएल और एप्रैम अपके अधर्म के कारण ठोकर खाएंगे, और यहूदा भी उनके संग ठोकर खाएगा।
6. वे अपक्की भेड़-बकरियां और गाय-बैल लेकर यहोवा को ढूंढ़ने चलेंगे, परन्तु वह उनको न मिलेगा; क्योंकि वह उन से दूर हो गया है।
7. वे व्यभिचार के लड़के जने हैं; इस से उन्होंने यहोवा का विश्वासघात किया है। इस कारण अब चांद उनका और उनके भागोंके नाश का कारण होगा।।
8. गिबा में नरसिंगा, और रामा में तुरहीं फूंको। बेतावेन में ललकार कर कहो; हे बिन्यामीन, अपके पीछे देख!
9. न्याय के दिन में एप्रैम उजाड़ हो जाएगा; जिस बात को होना निश्चय है, मैं ने उसी का सन्देश इस्राएल के सब गोत्रोंको दिया है।
10. यहूदा के हाकिम उनके समान हुए हैं जो सिवाना बढ़ा लेते हैं; मैं उन पर अपक्की जलजलाहट जल की नाईं उण्डेलूंगा।
11. एप्रैम पर अन्धेर किया गया है, वह मुकद्दमा हार गया है; क्योंकि वह जी लगाकर उस आज्ञा पर चला।
12. इसलिथे मैं एप्रैम के लिथे कीड़े के समान और यहूदा के घराने के लिथे सड़ाहट के समान हूंगा।।
13. जब एप्रैम ने अपना रोग, और यहूदा ने अपना घाव देखा, तब एप्रैम अश्शूर के पास गया, और यारेब राजा को कहला भेजा। परन्तु न वह तुम्हें चंगा कर सकता और न तुम्हार घाव अच्छा कर सकता है।
14. क्योंकि मैं एप्रैम के लिथे सिंह, और यहूदा के घराने के लिथे जवान सिंह बनूंगा। मैं आप ही उन्हें फाड़कर ले जाऊंगा; जब मैं उठा ले जाऊंगा, तब मेरे पंजे से कोई न छुड़ा सकेगा।
15. जब तक वे अपके को अपराधी मानकर मेरे दर्शन के खोजी न होंगे तब तक मैं अपके स्यान को लौटूंगा, और जब वे संकट में पकेंगे, तब जी लगाकर मुझे ढूंढ़ने लगेंगे।।
Chapter 6
1. चलो, हम यहोवा की ओर फिरें; क्योंकि उसी ने फाड़ा, और वही चंगा भी करेगा; उसी ने मारा, और वही हमारे घावोंपर पट्टी बान्धेगा।
2. दो दिन के बाद वह हम को जिलाएगा; और तीसरे दिन वह हमको उठाकर खड़ा करेगा; तब हम उसके सम्मुख जीवित रहेंगे।
3. आओ, हम ज्ञान ढूंढ़े, वरन यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिथे यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चिन्त है; वह वर्षा की नाईं हमारे ऊपर आएगा, वरन बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिस से भूमि सिंचक्की है।।
4. हे एप्रैम, मैं तुझ से क्या करूं? हे यहूदा, मैं तुझ से क्या करूं? तुम्हार स्नेह तो भोर के मेघ के समान, और सवेरे उड़ जानेवाली ओस के समान है।
5. इस कारण मैं ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा मानो उन पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें काट डाला, और अपके वचनोंसे उनको घात किया, और मेरा न्याय प्रकाशा के समान चमकता है।
6. क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्यिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूं, और होमबलियोंसे अधिक यह चाहता हूं कि लोग परमेश्वर का ज्ञान रखें।।
7. परन्तु उन लोगोंने आदम की नाई वाचा को तोड़ दिया; उन्होंने वहां मुझ से विश्वासघात किया है।
8. गिलाद नाम गढ़ी तो अनर्यकारियोंसे भरी है, वह खून से भरी हुई है।
9. जैसे डाकुओं के दल किसी की घात में बैठते हैं, वैसे ही याजकोंका दल शकेम के मार्ग में वध करता है, वरन उन्होंने महापाप भी किया है।
10. इस्राएल के घराने में मैं ने रोएं खड़े होने का कारण देखा है; उस में एप्रैम का छिनाला और इस्राएल की अशुद्धता पाई जाती है।।
11. और हे यहूदा, जब मैं अपक्की प्रजा को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा, उस समय के लिथे तेरे निमित्त भी बदला ठहराया हुआ है।।
Chapter 7
1. जब मैं इस्राएल को चंगा करता हूं तब एप्रैम का अधर्म और शोमरोन की बुराइयां प्रगट हो जाती हैं; वे छल से काम करते हैं, चोर भीतर घुसता, और डाकुओं का दल बाहर छीन लेता है।
2. तौभी वे नहीं सोचते कि यहोवा हमारी सारी बुराई को स्मरण रखता है। इसलिथे अब वे अपके कामोंके जाल में फसेंगे, क्योंकि उनके कार्य मेरी दृष्टि में बने हैं।
3. वे राजा को बुराई करने से, और हाकिमोंको फूठ बोलने से आनन्दित करते हैं।
4. वे सब के सब व्यभिचारी हैं; वे उस तन्दूर के समान हैं जिसको पकानेवाला गर्म करता है, पर जब तक आटा गूंधा नहीं जाता और खमीर से फूल नहीं चुकता, तब तक वह आग को नहीं उसकाता।
5. हमारे राजा के जन्म दिन में हाकिम दाखमधु पीकर चूर हुए; उस ने ठट्ठा करनेवालोंसे अपना हाथ मिलाया।
6. जब तक वे घात लगाए रहते हैं, तब तक वे अपना मन तन्दूर की नाई तैयार किए रहते हैं; उनका पकानेवाला रात भर सोता रहता है; वह भोर को तन्दूर की धधकती लौ के समान लाल हो जाता है।
7. वे सब के सब तन्दूर की नाई धधकते, और अपके न्यायियोंको भस्म करते हैं। उनके सब राजा मारे गए हैं; और उन में से कोई मेरी दोहाई नहीं देता है।।
8. एप्रैम देश देश के लोगोंसे मिलाजुला रहता है; एप्रैम ऐसी चपाती ठहरा है जो उलटी न गई हो।
9. परदेशियोंने उसका बल तोड़ डाला, परन्तु वह इसे नहीं जानता; उसके सिर में कहीं कहीं पके बाल हैं, परन्तु वह इसे भी नहीं जानता।
10. इस्राएल का गर्व उसी के विरूद्व साझी देता है; इन सब बातोंके रहते हुए भी वे अपके परमेश्वर यहोवा की ओर नहीं फिरे, और न उसको ढूंढ़ा है।।
11. एप्रैम एक भोली पण्डुकी के समान हो गया है जिस के कुछ बुद्धि नहीं; वे मिस्रियोंकी दोहाई देते, और अश्शूर को चले जाते हैं।
12. जब वे जाएं, तब उनके ऊपर मैं अपना जाल फैलाऊंगा; मैं उन्हें ऐसा खींच लूंगा जैसे आकाश के पक्की खींचे जाते हैं; मैं उनको ऐसी ताड़ना दूंगा, जैसी उनकी मण्डली सुन चुकी है।
13. उन पर हाथ, क्योंकि वे मेरे पास से भटक गए! उनका सत्यानाश होए, क्योंकि उन्होंने मुझ से बलवा किया है! मैं तो उन्हें छुड़ाता रहा, परन्तु वे मुझ से फूठ बोलते आए हैं।।
14. वे मन से मेरी दोहाई नहीं देते, परन्तु अपके बिछौने पर पके हुए हाथ, हाथ, करते हैं; वे अन्न और नथे दाखमधु पाने के लिथे भीड़ लगाते, और मुझ से बलवा करते हैं।
15. मैं उनको शिझा देता रहा और उनकी भुजाओं को बलवन्त करता आया हूं, तौभी वे मेरे विरूद्ध बुरी कल्पना करते हैं।
16. वे फिरते तो हैं, परन्तु परमप्रधान की ओर नहीं; वे धोखा देनेवाले धनुष के समान हैं; इसलिथे उनके हाकिम अपक्की क्रोधभरी बातोंके कारण तलवार से मारे जाएंगे। मिस्र देश में उनके ठट्ठोंमें उड़ाए जाने का यही कारण होगा।।
Chapter 8
1. अपके मुंह में नरसिंगा लगा। वह उकाब की नाईं यहोवा के घर पर फपकेगा, क्योंकि मेरे घर के लोगोंने मेरी वाचा तोड़ी, और मेरी व्यवस्या का उल्लंघन किया है।
2. वे मुझ से पुकारकर कहेंगे, हे हमारे परमेश्वर, हम इस्राएली लोग तुझे जानते हैं।
3. परन्तु इस्राएल ने भलाई को मन से उतार दिया है; शत्रु उसके पीछे पकेगा।।
4. वे राजाओं को ठहराते रहे, परन्तु मेरी इच्छा से नहीं। वे हाकिमोंको भी ठहराते रहे, परन्तु मेरे अनजाने में। उन्होंने अपना सोना-चान्दी लेकर मूरतें बना लीं जिस से वे ही नाश हो जाएं।
5. हे शोमरोन, उस ने तेरे बछड़े को मन से उतार दिया है, मेरा क्रोध उन पर भड़का है। वे निर्दोष होने में कब तक विलम्ब करेंगे?
6. यह इस्राएल से हुआ है।। एक कारीगर ने उसे बनाया; वह परमेश्वर नहीं है। इस कारण शोमरोन का वह बछड़ा टुकड़े टुकड़े हो जाएगा।।
7. वे वायु बोते हैं, और वे बवण्डर लवेंगे। उनके लिथे कुछ खेत रहेगा नहीं न उनकी उपज से कुछ आटा होगा; और यदि हो भी तो परदेशी उसको खा डालेंगे।
8. इस्राएल निगला गया; अब वे अन्यजातियोंमें ऐसे निकम्मे ठहरे जैसे तुच्छ बरतन ठहरता है।
9. क्योंकि वे अश्शूर को ऐसे चले गए, जैसा जंगली गदहा फुण्ड से बिछुड़ के रहता है; एप्रैम ने यारोंको मजदूरी पर रखा है।
10. यद्यपि वे अन्यजातियोंमें से मजदूर बनाकर रखें, तौभी मैं उनको इकट्ठा करूंगा। और वे हाकिमोंऔर राजा के बोफ के कारण घटने लेगेंगे।
11. एप्रैम ने पाप करने को बहुत सी वेदियां बनाई हैं, वे ही वेदियां उसके पापी ठहरने का कारण भी ठहरीं।
12. मैं तो उनके लिथे अपक्की व्यवस्या की लाखोंबातें लिखता आया हूं, परन्तु वे उन्हें पराया समझते हैं।
13. वे मेरे लिथे बलिदान तो करते हैं, और पशु बलि भी करते हैं, परन्तु उसका फल मांस ही है; वे आप ही उसे खाते हैं; परन्तु यहोवा उन से प्रसन्न नहीं होता। अब वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा; वे मिस्र में लौट जाएंगे।
14. क्योंकि इस्राएल ने अपके कर्त्ता को बिसरा कर महल बनाए, और यहूदा ने बहुत से गढ़वाले नगरोंको बसाया है; परन्तु मैं उनके नगरोंमें आग लगाऊंगा, और उस से उनके गढ़ भस्म हो जाएंगे।
Chapter 9
1. हे इस्राएल, तू देश देश के लोगोंकी नाईं आनन्द में मगन मत हो! क्योंकि तू अपके परमेश्वर को छोड़कर वेश्या बनी। तू ने अन्न के हर एक खलिहान पर छिनाले की कमाई आनन्द से ली है।
2. वे न तो खलिहान के अन्न से तृप्त होंगे, और न कुण्ड के दाखमधु से; और न नथे दाखमधु के धटने से वे धोखा खाएंगे।
3. वे यहोवा के देश में रहने न पाएंगे; परन्तु एप्रैम मिस्र में लौट जाएगा, और वे अश्शूर में अशुद्ध वस्तुएं खाएंगे।।
4. वे यहोवा के लिथे दाखमधु का अर्ध न देंगे, और न उनके बलिदान उसको भाएंगे। उनकी रोटी शोक करनेवालोंका सा भोजन ठहरेगी; जितने उसे खाएंगे सब अशुद्ध हो जाएंगे; क्योंकि उनकी भोजनवसतु उनकी भूख बुफाने ही के लिथे होगी; वह यहोवा के भवन में न आ सकेगी।।
5. नियत समय के पर्व और यहोवा के उत्सव के दिन तुम क्या करोगे?
6. देखो, वे सत्यानाश होने के डर के मारे चले गए; परन्तु वहां मर जाएंगे और मिस्री उनकी लोथें इकट्ठी करेंगे; और मोप के निवासी उनको मिट्टी देंगे। उनकी मनभावनी चान्दी की वस्तुएं बिच्छु पेड़ोंके बीच में पकेंगी, और उनके तम्बुओं में फड़बेरी उगेगी।
7. दण्ड के दिन आए हैं; बदला लेने के दिन आए हैं; और इस्राएल यह जान लेगा। उनके बहुत से अधर्म और बड़े द्वेष के कारण भविष्यद्वक्ता तो मूर्ख, और जिस पुरूष पर आत्मा उतरता है, वह बावला ठहरेगा।।
8. एप्रैम मेरे परमेश्वर की ओर से पहरूआ है; भविष्यद्वक्ता सब मार्गोंमें बहेलिथे का फन्दा है, और वह अपके परमेश्वर के घर में बैरी हुआ है।
9. वे गिबा के दिनोंकी भांति अत्यन्त बिगड़े हैं; सो वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा।।
10. मैं ने इस्राएल को ऐसा पाया जैसे कोई जंगल में दाख पाए; और तुमहारे पुरखाओं पर ऐसे दृष्टि की जैसे अंजीर के पहिले फलोंपर दृष्टि की जाती है। परन्तु उन्होंने पोर के बाल के पास जाकर अपके तई लज्जा का कारण होने के लिथे अर्पण कर दिया, और जिस पर मोहित हो गए थे, वे उसी के समान घिनौने हो गए।
11. एप्रैम का विभव पक्की की नाईं उड़ जाएगा; न तो किसी का जन्म होगा, न किसी को गर्भ रहेगा, और न कोई स्त्री गर्भवती होगी!
12. चाहे वे अपके लड़केबालोंका पालनपोषण कर बड़े भी करें, तौभी मैं उन्हें यहां तक निर्वंश करूंगा कि कोई भी न बचेगा। जब मैं उन से दूर हो जाऊंगा, तब उन पर हाथ!
13. जैसा मैं ने सोर को देखा, वैसा एप्रैम को भी मनभाऊ स्यान में बसा हुआ देखा; तौभी उसे अपके लड़केबालोंको घातक के साम्हने ले जाना पकेगा।
14. हे यहोवा, उनको दण्ड दे! तू क्या देगा? यह, कि उनकी स्त्रियोंके गर्भ गिर जाएं, और स्यान सूखे रहें।।
15. उनकी सारी बुराई गिल्गाल में है; वहीं मैं ने उन से घृणा की। उनके बुरे कामोंके कारण मैं उनको अपके घर से निकाल दूंगा। और उन से फिर प्रीति न रखूंगा, क्योंकि उनके सब हाकिम बलवा करनेवाले हैं।
16. एप्रैम मारा हुआ है, उनकी जड़ सूख गई, उन में फल न लगेगा। और चाहे उनकी स्त्रियां बच्चे भी न जनें तौभी मैं उनके जन्मे हुए दुलारोंको मार डालूंगा।।
17. मेरा परमेश्वर उनको निकम्मा ठहराएगा, क्योंकि उन्होंने उसकी नहीं सुनी। वे अन्यजातियोंके बीच मारे मारे फिरेंगे।।
Chapter 10
1. इस्राएल एक लहलहाती हुई दाखलता सी है, जिस में बहुत से फल भी लगे, परन्तु ज्योंज्योंउसके फल बढ़े, त्योंत्योंउस ने अधिक वेदियां बनाईं जैसे जैसे उसकी भूमि सुधरी, वैसे ही वे सुन्दर लाटें बनाते गथे।
2. उनका मन बटा हुआ है; अब वे दोषी ठहरेंगे। वह उनकी वेदियोंको तोड़ डालेगा, और उनकी लाटोंको टुकड़े टुकड़े करेगा।
3. अब वे कहेंगे, हमारे कोई राजा नहीं है, क्योंकि हम ने यहोवा का भय नहीं माना; सो राजा हमारा क्या कर सकता है?
4. वे बातें बनाते और फूठी शपय खाकर वाचा बान्धते हैं; इस कारण खेत की रेघारियोंमें धतूरे की नाईं दण्ड फूले फलेगा।
5. सामरिया के निवासी बेतावेन के बछड़े के लिथे डरते रहेंगे, और उसके लोग उसके लिथे विलाप करेंगे; और उसके पुजारी जो उसके कारण मगन होते थे उसके प्रताप के लिथे इस कारण विलाप करेंगे क्योंकि वह उन में से उठ गया है।
6. वह यारेब राजा की भेंट ठहरने के लिथे अश्शूर देश में पहुंचाया जएगा। एप्रैम लज्जित होगा, और इस्राएल भी अपक्की युक्ति से लजाएगा।।
7. सामरिया अपके राजा समेत जल के बुलबुले की नाईं मिट जाएगा।
8. और आवेन के ऊंचे स्यान जो इस्राएल क पाप है, वे नाश होंगे। उनकी वेदियोंपर फड़बेरी, पेड़ और ऊंटकटारे उगेंगे; और उस समय लोग पहाड़ोंसे कहने लगेंगे, हम को छिपा लो, और टीलोंसे कि हम पर गिर पड़ो।।
9. हे इस्राएल, तू गिबा के दिनोंमें पाप करता आया है; वे उसी में बने रहें; क्या वे गिबा में कुटिल मनुष्योंके संग लड़ाई में न फंसे?
10. जब मेरी इच्छा होगी तब मैं उन्हें ताड़ना दूंगा, और देश देश के लोग उनके विरूद्ध इकट्ठे हो जाएंगे; क्योंकि वे अपके दोनोंअधर्मोंमें फसें हुए हैं।।
11. एप्रैम सीखी हुई बछिया है, जो अन्न दांवने से प्रसन्न होती है, परन्तु मैं ने उसकी सुन्दर गर्दन पर जुआ रखा है; मैं एप्रैम पर सवार चढ़ाऊंगा; यहूदा हल, और याकूब हेंगा खींचेगा।
12. अपके लिथे धर्म का बीज बोओ, तब करूणा के अनुसार खेत काटने पाओगे; अपक्की पड़ती भूमि को जोतो; देखो, अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है, कि वह आए और तुम्हारे ऊपर उद्धार बरसाए।।
13. तुम ने दुष्टता के लिथे हल जोता और अन्याय का खेत काटा है; और तुम ने धोखे का फल खाया है। और यह इसलिथे हुआ क्योंकि तुम ने अपके कुव्यवहार पर, और अपके बहुत से वीरोंपर भरोसा रखा या।
14. इस कारण तुम्हारे लोगोंमें हुल्लड़ उठेगा, और तुम्हारे सब गढ़ ऐसे नाश किए जाएंगे जैसा बेतर्बेल नगर युद्ध के समय शल्मन के द्वारा नाश किया गया; उस समय माताएं अपके बच्चोंसमेत पटक दी गईं यी।
15. तुम्हारी अत्यन्त बुराई के कारण बेतेल से भी इसी प्रकार का व्यवहार किया जाएगा। भोर होते ही इस्राएल का राजा पूरी रीति से मिट जाएगा।।
Chapter 11
1. जब इस्राएल बालक या, तब मैं ने उस से प्रेम किया, और अपके पुत्र को मिस्र से बुलाया।
2. परन्तु जितना वे उनको बुलाते थे, उतना ही वे भागे जाते थे; वे बाल देवताओं के लिथे बलिदान करते, और खुदी हुई मूरतोंके लिथे धूप जलाते गए।।
3. मैं ही एप्रैम को पांव-पांव चलाता या, और उनको गोद में लिए फिरता या, परन्तु वे न जानते थे कि उनका चंगा करनेवाला मैं हूं।
4. मैं उनको मनुष्य जानकर प्रेम की डोरी से खींचता या, और जैसा कोई बैल के गले की जोत खोलकर उसके साम्हने आहार रख दे, वैसा ही मैं ने उन से किया।
5. वह मिस्र देश में लौटने न पाएगा; अश्शूर ही उसका राजा होगा, क्योंकि उस ने मेरी ओर फिरने से इनकार कर दिया है।
6. तलवार उनके नगरोंमें चलेगी, और उनके बेड़ोंको पूरा नाश करेगी; और यह उनकी युक्तियोंके कारण होगा।
7. मेरी प्रजा मुझ से फिर जाने में लगी रहती है; यद्यपि वे उनको परमप्रधान की ओर बुलाते हैं, तौभी उन में से कोई भी मेरी महिमा नहीं करता।।
8. हे एप्रैम, मैं तुझे क्योंकि छोड़ दूं? हे इस्राएल, मैं क्योंकर तुझे शत्रु के वश में कर दूं? मैं क्योंकर तुझे अदमा की नाई छोड़ दूं, और सबोयीम के समान कर दूं? मेरा ह्रृदय तो उलट पुलट हो गया, मेरा मन स्नेह के मारे पिघल गया है।
9. मैं अपके क्रोध को भड़कने न दूंगा, और न मैं फिर एप्रैम को नाश करूंगा; क्योंकि मैं मनुष्य नहीं परमेश्वर हूं, मैं तेरे बीच में रहनेवाला पवित्र हूं; मैं क्रोध करके न आऊंगा।।
10. वे यहोवा के पीछे पीछे चलेंगे; वह तो सिंह की नाईं गरजेगा; और तेरे लड़के पश्चिम दिशा से यरयराते हुए आएंगे।
11. वे मिस्र से चिडिय़ोंकी नाईं और अश्शूर के देश से पण्डुकी की भांति यरयराते हुए आएंगे; और मैं उनको उन्हीं के घरोंमें बसा दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।।
12. एप्रैम ने मिय्या से, और इस्राएल के घराने ने छल से मुझे घेर रखा है; और यहूदा अब तक पवित्र और विश्वासयोग्य परमेश्वर की ओर चंचल बना रहता है।।
Chapter 12
1. एप्रैम पानी पीटता और पुरवाइ्र का पीछा करता रहता है; वह लगातार फूठ और उत्पात को बढ़ाता रहता है; वे अश्शूर के साय वाचा बान्धते और मिस्र में तेल भेजते हैं।
2. यहूदा के साय भी यहोवा का मुकद्दमा है, और वह याकूब को उसके चालचलन के अनुसार दण्ड देगा; उसके कामोंके अनुसार वह उसको बदला देगा।
3. अपक्की माता की कोख ही में उस ने अपके भाई को अड़ंगा मारा, और बड़ा होकर वह परमेश्वर के साय लड़ा।
4. वह दूत से लड़ा, और जीत भी गया, वह रोया और उस ने गिड़गिड़ाकर बिनती की। बेतेल में वह उसको मिला, और वहीं उस ने हम से बातें की।
5. यहोवा, सेनाओं का परमश्ेवर, जिसका स्मरण यहोवा नाम से होता है।
6. इसलिथे तू अपके परमेश्वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह, और अपके परमेश्वर की बाट निरन्तर जोहता रह।।
7. वह व्योपारी है, और उसके हाथ में छल का तराजू है; अन्धेर करता ही उसको भाता है।
8. एप्रैम कहता है, मैं धनी हो गया, मैं ने सम्पत्ति प्राप्त की है; मेरे किसी काम में ऐसा अधर्म नहीं पाया गया जिस से पाप लगे।
9. मैं यहोवा, मिस्र देश ही से तेरा परमेश्वर हूं; मैं फिर तुझे तम्बुओं में ऐसा बसाऊंगा जैसा नियत पर्व के दिनोंमें हुआ करता है।।
10. मैं ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कीं, और बार बार दर्शन देता रहा; और भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा दृष्टान्त कहता आया हूं।
11. क्या गिलाद कुकर्मी नहीं? वे पूरे छली हो गए हैं। गिल्गाल में बैल बलि किए जाते हैं, वरन उनकी वेदियां उन ढेरोंके समान हैं जो खेत की रेघारियोंके पास हों।
12. याकूब अराम के मैदान में भाग गया या; वहां इस्राएल ने एक पत्नी के लिथे सेवा की, और पत्नी के लिथे वह चरवाही करता या।
13. एक भविष्यद्वक्ता के द्वारा यहोवा इस्राएल को मिस्र से निकाल ले आया, और भविष्यद्वक्ता ही के द्वारा उसकी रझा हुई।
14. एप्रैम ने अत्यन्त रिस दिलाई है; इसलिथे उसका किया हुआ खून उसी के ऊपर बना रहेगा, और उस ने अपके परमेश्वर के नाम में जो बट्टा लगाया है, वह उसकी को लौटाता जाएगा।।
Chapter 13
1. जब एप्रैम बोलता या, तब लोग कांपके थे; और जब इस्राएल में बड़ा या; परन्तु जब वह बाल के कारण दोषी हो गया, तब वह मर गया।
2. और अब वे लोग पाप पर पाप बढ़ाते जाते हैं, और अपक्की बुद्धि से चान्दी ढालकर ऐसी मूरतें बनाई हैं जो कारीगरोंही से बनीं। उन्हीं के विषय लोग कहते हैं, जो नरमेघ करें, वे बछड़ोंको चूमें!
3. इस कारण वे भोर के मेघ, तड़के सूख जानेवाली ओस, खलिहान पर से आंधी के मारे उड़नेवाली भूसी, या चिमनी से निकलते हुए धूएं के समान होंगे।।
4. मिस्र देश ही से मैं यहोवा, तेरा परमेश्वर हूं; तू मुझे छोड़ किसी को परमेश्वर करके न जानना; क्योंकि मेरे सिवा कोई तेरा उद्धारकर्ता नहीं हैं।
5. मैं ने उस समय तुझ पर मन लगाया जब तू जंगल में वरन अत्यन्त सूखे देश में या।
6. परन्तु जब इस्राएली चराए जाते थे और वे तृप्त हो गए, तब तृप्त होने पर उनका मन घमण्ड से भर गया; इस कारण वे मुझ को भूल गए।
7. सो मैं उनके लिथे सिंह सा बना हूं; मैं चीते की नाईं उनके मार्ग में घात लगाए रहूंगा।
8. मैं बच्चे छीनी हुई रीछनी के समान बनकर उनको मिलूंगा, और उनके ह्रृदय की फिल्ली को फाडूंगा, और सिंह की नाईं उनको वहीं खा डालूंगा, जैसे बन-पशु उनको फाड़ डाले।।
9. हे इस्राएल, तेरे विनाश का कारण यह है, कि तू मेरा अर्यात् अपके सहाथक का विरोधी है।
10. अब तेरा राजा कहां रहा कि तेरे सब नगरोंमें वह तुझे बचाए? और तेरे न्यायी कहां रहे, जिनके विषय में तू ने कहा या कि मेरे लिथे राजा और हाकिम ठहरा दें?
11. मैं ने क्रोध में आकर तेरे लिथे राजा बनाथे, और फिर जलजलाहट में आकर उनको हटा भी दिया।
12. एप्रैम का अधर्म गठा हुआ है, उनका पाप संचय किया हुआ है।
13. उसको जच्चा की सी पीड़ाए उठेंगी, परन्तु वह निर्बुद्धि लड़का है जो जन्म के समय ठीक से नहीं आता।
14. मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूंगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहां रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्ति कहां रहीं? मैं फिर कभी नहीं पछताऊंगा।।
15. चाहे वह अपके भाइयोंसे अधिक फूलें-फलें, तौभी पुरवाई उस पर चलेगी, और यहोवा की ओर से मरूस्यल से आएगी, और उसका कुण्ड सूखेगा; और उसका सोता निर्जन हो जाएगा। उसकी रखी हुई सब मनभावनी वस्तुएं वह लूट ले जाएगा।
16. सामरिया दोषी ठहरेगा, क्योंकि उस ने अपके परमेश्वर से बलवा किया है; वे तलवार से मारे जाएंगे, उनके बच्चे पटके जाएंगे, और उनकी गर्भवती स्त्रियां चीर डालीं जाएंगी।।
Chapter 14
1. हे इस्राएल, अपके परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ, क्योंकि तू ने अपके अधर्म के कारण ठोकर खाई है।
2. बातें सीखकर और यहोवा की ओर फिरकर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे।
3. अश्शूर हमारा उद्धार न करेगा, हम घोड़ोंपर सवार न होंगे; और न हम फिर अपक्की बनाई हुई वस्तुओं से कहेंगे, तुम हमारे ईश्वर हो; क्योंकि अनाय पर तू ही दया करता है।।
4. मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है।
5. मैं इस्राएल के लिथे ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाई फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा।
6. उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी।
7. जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्न ही नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाई फूले-फलेंगे; और उसकी कीत्तिर् लबानोन के दाखमधु की सी होगी।।
8. एप्रैम कहेगा, मूरतोंसे अब मेरा और क्या काम? मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूंगा। मैं हरे सनौवर सा हूं; मुझी से तू फल पाया करेगा।।
9. जो बुद्धिमान हो, वही इन बातोंको समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूफ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।।
Chapter 1
1. यहूदा के राजा उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह के दिनोंमें और इस्राएल के राजा योआश के पुत्र यारोबाम के दिनोंमें, यहोवा का वचन बेरी के पुत्र होशे के पास पहुंचा।।
2. जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उस ने होशे से यह कहा, जाकर एक वेश्या को अपक्की पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़केबालोंको अपके लड़केबाले कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।
3. सो उस ने जाकर दिबलैम की बेटी गोमेर को अपक्की पत्नी कर लिया, और वह उस से गर्भवती हुई और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ।
4. तब यहोवा ने उस से कहा, उसका नाम यिज्रैल रख; क्योंकि योड़े ही काल में मैं थेहू के घराने को यिज्रैल की हत्या का दण्ड दूंगा, और मैं इस्राएल के घराने के राज्य का अन्त कर दूंगा।
5. और उस समय मैं यिज्रैल की तराई में इस्राएल के धनुष को तोड़ डालूंगा।।
6. और वह स्त्री फिर गर्भवती हुई और उसके एक बेटी उत्पन्न हुई। तब यहोवा ने होशे से कहा, उसका नाम लोरूहामा रख; क्योंकि मैं इस्राएल के घराने में फिर कभी दया करके उनका अपराध किसी प्रकार से झमा न करूंगा।
7. परन्तु यहूदा के घराने पर मैं दया करूंगा, और उनका उद्धार करूंगा; उनका उद्धार मैं धनुष वा तलवार वा युद्ध वा घोड़ोंवा सवारोंके द्वारा नहीं, परन्तु उनके परमेश्वर यहोवा के द्वारा करूंगा।।
8. जब उस स्त्री ने लोरूहामा का दुध छुड़ाया, तब वह गर्भवती हुई और उस से एक पुत्र उत्पन्न हुआ।
9. तब यहोवा ने कहा, इसका नाम लोअम्मी रख; क्योंकि तुम लोग मेरी प्रजा नहीं हो, और न मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूंगा।।
10. तौभी इस्राएलियोंकी गिनती समुद्र की बालू की सी हो जाएगी, जिनका मापना-गिनना अनहोना है; और जिस स्यान में उन से यह कहा जाता या कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो, उसी स्यान में वे जीवित परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
11. तब यहूदी और इस्राएली दोनोंइकट्ठे हो अपना एक प्रधान ठहराकर देश से चले आएंगे; क्योंकि यिज्रेल का दिन प्रसिद्ध होगा।
Chapter 2
1. इसलिथे तुम लोग अपके भाइयोंसे अम्मी और अपक्की बहिनोंसे रूहामा कहो।।
2. अपक्की माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं और न मैं उसका पति हूं। वह अपके मुंह पर से अपके छिनालपन को और छातियोंके बीच से व्यभिचारोंको अलग करे;
3. नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतारकर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूंगा, और उसको मरूस्यल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊंगा, और उसे प्यास से मार डालूंगा।
4. उसके लड़केबालोंपर भी मैं कुछ दया न करूंगा, क्योंकि वे कुकर्म के लड़के हैं।
5. उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पके, उस ने लज्जा के योग्य काम किया है। उस ने कहा, मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूंगी।
6. इसलिथे देखो, मैं उसके मार्ग को कांटोंसे घेरूंगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूंगा कि वह राह न पा सकेगी।
7. वह अपके यारोंके पीछे चलने से भी न पाएगी; और उन्हें ढूंढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, मैं अपके पहिले पति के पास फिर जाऊंगी, क्योंकि मेरी पहिली दशा इस समय की दशा से अच्छी यी।
8. वह यह नहीं जानती यी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता या, और उसके लिथे वह चान्दी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता या।
9. इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपके अन्न को, और नथे दाखमधु के होने के समय में अपके नथे दाखमधु को हर लूंगा; और अपना ऊन और सन भी जिन से वह अपना तन ढांपक्की है, मैं छीन लूंगा।
10. अब मैं उसके यारोंके साम्हने उसके तन को उघाडूंगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा।
11. और मैं उसके पर्व, नथे चांद और विश्रमदिन आदि सब नियत समयोंके उत्सवोंका अन्त कर दूंगा।
12. और मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृझोंको, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारोंने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाडूंगा कि वे जंगल से हो जाएंगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे।
13. और वे दिन जिन में वह बाल देवताओं के लिथे धूप जलाती, और नत्य और हार पहिने अपके यारोंके पीछे जाती और मुझको भूले रहती यी, उन दिनोंका दण्ड मैं उसे दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।।
14. इसलिथे देखो, मैं उसे मोहित करके जंगल में ले जाऊंगा, और वहंा उस से शान्ति की बातें कहूंगा।
15. और वहीं मैं उसको दाख की बारियां दूंगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूंगा और वहां वह मुझ से ऐसी बातें कहेगी जैसी अपक्की जवानी के दिनोंमें अर्यात् मिस्र देश से चले आने के समय कहती यी।
16. और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी।
17. क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूंग; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे।
18. और उस समय मैं उनके लिथे वन-पशुओं और आकाश के पझियोंऔर भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साय वाचा बान्धूंगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूंगा; और ऐसा करूंगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।
19. और मैं सदा के लिथे तुझे अपक्की स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूंगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करूंणा, और दया के साय करूंगा।
20. और यह सच्चाई के साय की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी।।
21. और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुनकर उसको उत्तर दूंगा, और वह पृय्वी की सुनकर उसे उत्तर देगा;
22. और पृय्वी अन्न, नथे दाखमधु, और ताजे तेल की सुनकर उनको उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे।
23. और मैं अपके लिथे उसे देश में बोऊंगा, और लोरूहामा पर दया करूंगा, और लोअम्मी से कहूंगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, “हे मेरे परमेश्वर”।।
Chapter 3
1. फिर यहोवा ने मुझ से कहा, अब जाकर एक ऐसी स्त्री से प्रीति कर, जो व्यभिचारिणी होने पर भी अपके प्रिय की प्यारी हो; क्योंकि उसी भांति यद्यपि इस्राएली पराए देवताओं की ओर फिरे, और दाख की टिकियोंसे प्रीति रखते हैं, तौभी यहोवा उन से प्रीति रखता है।
2. तब मैं ने एक स्त्री को चान्दी के पन्द्रह टुकड़े और डेढ़ होमेर जव देकर मोल लिया।
3. और मैं ने उस से कहा, तू बहुत दिन तक मेरे लिथे बैठी रहना; और न तो छिनाला करना, और न किसी पुरूष की स्त्री हो जाना; और मैं भी तेरे लिथे ऐसा ही रहूंगा।
4. क्योंकि इस्राएली बहुत दिन तक बिना राजा, बिना हाकिम, बिना यज्ञ, बिना लाठ, और बिना एपोद वा गृहदेवताओं के बैठे रहेंगे।
5. उसके बाद वे अपके परमेश्वर यहोवा और अपके राजा दाऊद को फिर ढूंढ़ने लगेंगे, और अन्त के दिनोंमें यहोवा के पास, और उसी उत्तम वस्तुओं के लिथे यरयराते हुए आएंगे।।
Chapter 4
1. हे इस्राएलियों, यहोवा का वचन सुनो; इस देश के निवासियोंके साय यहोवा का मुकद्दमा है। इस दंश में न तो कुछ सच्चाई है, न कुछ करूणा और न कुछ परमेश्वर का ज्ञान ही है।
2. यहां शाप देने, फूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्यभिचार करने को छोड़ कुछ नहीं होता; वे व्यवस्या की सीमा को लांघकर कुकर्म करते हैं और खून ही खून होता रहता है।
3. इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्तुओं, और आकाश के पझियोंसमेत उसके सब निवासी कुम्हला जाएंगे; और समुद्र की मछलियां भी नाश हो जाएंगी।।
4. देखो, कोई वाद-विवाद न करे, न कोई उलहना दे, क्योंकि तेरे लोग तो याजकोंसे वाद-विवाद करनेवालोंके समान हैं।
5. तू दिनदुपहरी ठोकर खाएगा, और रात को भविष्यद्वक्ता भी तेरे साय ठोकर खाएगा; और मैं तेरी माता को नाश करूंगा।
6. मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिथे मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिथे कि तू ने अपके परमेश्वर की व्यवस्या को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़केबालोंको छोड़ दूंगा।
7. जैसे वे बढ़ते गए, वैसे ही वे मेरे विरूद्ध पाप करते गए; मैं उनके विभव के बदले उनका अनादर करूंगा।
8. वे मेरी प्रजा के पापबलियोंको खाते हैं, और प्रजा के पापी होने की लालसा करते हैं।
9. इसलिथे जो प्रजा की दशा होगी, वही याजक की भी होगी; मैं उनके चालचलन का दण्ड दूंगा, और उनके कामोंके अनुकूल उन्हें बदला दूंगा।
10. वे खाएंगे तो सही, परन्तु तृप्त न होंगे, और वेश्यागमन तो करेंगे, परन्तु न बढ़ेंगे; क्योंकि उन्होंने यहोवा की ओर मन लगाना छोड़ दिया है।।
11. वेश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु, थे तीनोंबुद्धि को भ्रष्ट करते हैं।
12. मेरी प्रजा के लोग काठ के पुतले से प्रश्न करते हैं, और उनकी छड़ी उनको भविष्य बताती है। क्योंकि छिनाला करानेवाली आत्मा ने उन्हें बहकाया है, और वे अपके परमेश्वर की अधीनता छोड़कर छिनाला करते हैं।
13. बांज, चिनार और छोटे बांज वृझोंकी छाया अच्छी होती है, इसलिथे वे उनके नीचे और पहाड़ोंकी चोटियोंपर यज्ञ करते, और टीलोंपर धूप जलाते हैं।। इस कारण तुम्हारी बेटियां छिनाल और तुम्हारी बहुएं व्यभिचारिणी हो गई हैं।
14. जब तुम्हारी बेटियां छिनाला और तुम्हारी बहुएं व्यभिचार करें, तब मैं उनको दण्ड न दूंगा; क्योंकि मनुष्य आप ही वेश्याओं के साय एकान्त में जाते, और देवदासियोंके सायी होकर यज्ञ करते हैं; और जो लोग समझ नहीं रखते, वे नाश हो जाएंगे।।
15. हे इस्राएल, यद्यपि तू छिनाला करता है, तौभी यहूदा दोषी न बने। गिलगाल को जाओ; और न बेतावेन को चढ़ जाओ; और यहोवा के जीवन की सौगन्ध कहकर शपय न खाओ।
16. क्योंकि इस्राएल ने हठीली कलोर की नाईं हठ किया है, क्या अब यहोवा उन्हें भेड़ के बच्चे की नाईं लम्बे चौड़े मैदान में चराएगा?
17. एप्रैम मूरतोंका संगी हो गया है; इसलिथे उसको रहने दे।
18. वे जब दाखमधु पी चुकते हैं तब वेश्यागमन करने में लग जाते हैं; उनके प्रधान लोग निरादर होने से अधिक प्रीति रखते हैं।
19. आंधी उनको अपके पंखोंमें बान्धकर उड़ा ले जाएगी, और उनके बलिदानोंके कारण उनकी आशा टूट जाएगी।।
Chapter 5
1. हे याजकों, यह बात सुनो! हे इस्राएल के घराने, ध्यान देकर सुनो! हे राजा के घराने, तुम भी कान लगाओ! क्योंकि तुम पर न्याय किया जाएगा; क्योंकि तुम मिसपा में फन्दा, और ताबोर पर लगाया हुआ जाल बन गए हो।
2. उन बिगड़े हुओं ने घोर हत्या की है, इसलिथे मैं उन सभोंको ताड़ना दूंगा।।
3. मैं एप्रैम का भेद जानता हूं, और इस्राएल की दशा मुझ से छिपी नहीं है; हे एप्रैम, तू ने छिनाला किया, और इस्राएल अशुद्ध हुआ है।
4. उनके काम उन्हें अपके परमेश्वर की ओर फिरने नहीं देते, क्योंकि छिनाला करनेवाली आत्मा उन में रहती है; और वे यहोवा को नहीं जानते हें।।
5. इस्राएल का गर्व उसी के विरूद्ध साझी देता है, और इस्राएल और एप्रैम अपके अधर्म के कारण ठोकर खाएंगे, और यहूदा भी उनके संग ठोकर खाएगा।
6. वे अपक्की भेड़-बकरियां और गाय-बैल लेकर यहोवा को ढूंढ़ने चलेंगे, परन्तु वह उनको न मिलेगा; क्योंकि वह उन से दूर हो गया है।
7. वे व्यभिचार के लड़के जने हैं; इस से उन्होंने यहोवा का विश्वासघात किया है। इस कारण अब चांद उनका और उनके भागोंके नाश का कारण होगा।।
8. गिबा में नरसिंगा, और रामा में तुरहीं फूंको। बेतावेन में ललकार कर कहो; हे बिन्यामीन, अपके पीछे देख!
9. न्याय के दिन में एप्रैम उजाड़ हो जाएगा; जिस बात को होना निश्चय है, मैं ने उसी का सन्देश इस्राएल के सब गोत्रोंको दिया है।
10. यहूदा के हाकिम उनके समान हुए हैं जो सिवाना बढ़ा लेते हैं; मैं उन पर अपक्की जलजलाहट जल की नाईं उण्डेलूंगा।
11. एप्रैम पर अन्धेर किया गया है, वह मुकद्दमा हार गया है; क्योंकि वह जी लगाकर उस आज्ञा पर चला।
12. इसलिथे मैं एप्रैम के लिथे कीड़े के समान और यहूदा के घराने के लिथे सड़ाहट के समान हूंगा।।
13. जब एप्रैम ने अपना रोग, और यहूदा ने अपना घाव देखा, तब एप्रैम अश्शूर के पास गया, और यारेब राजा को कहला भेजा। परन्तु न वह तुम्हें चंगा कर सकता और न तुम्हार घाव अच्छा कर सकता है।
14. क्योंकि मैं एप्रैम के लिथे सिंह, और यहूदा के घराने के लिथे जवान सिंह बनूंगा। मैं आप ही उन्हें फाड़कर ले जाऊंगा; जब मैं उठा ले जाऊंगा, तब मेरे पंजे से कोई न छुड़ा सकेगा।
15. जब तक वे अपके को अपराधी मानकर मेरे दर्शन के खोजी न होंगे तब तक मैं अपके स्यान को लौटूंगा, और जब वे संकट में पकेंगे, तब जी लगाकर मुझे ढूंढ़ने लगेंगे।।
Chapter 6
1. चलो, हम यहोवा की ओर फिरें; क्योंकि उसी ने फाड़ा, और वही चंगा भी करेगा; उसी ने मारा, और वही हमारे घावोंपर पट्टी बान्धेगा।
2. दो दिन के बाद वह हम को जिलाएगा; और तीसरे दिन वह हमको उठाकर खड़ा करेगा; तब हम उसके सम्मुख जीवित रहेंगे।
3. आओ, हम ज्ञान ढूंढ़े, वरन यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिथे यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चिन्त है; वह वर्षा की नाईं हमारे ऊपर आएगा, वरन बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिस से भूमि सिंचक्की है।।
4. हे एप्रैम, मैं तुझ से क्या करूं? हे यहूदा, मैं तुझ से क्या करूं? तुम्हार स्नेह तो भोर के मेघ के समान, और सवेरे उड़ जानेवाली ओस के समान है।
5. इस कारण मैं ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा मानो उन पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें काट डाला, और अपके वचनोंसे उनको घात किया, और मेरा न्याय प्रकाशा के समान चमकता है।
6. क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्यिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूं, और होमबलियोंसे अधिक यह चाहता हूं कि लोग परमेश्वर का ज्ञान रखें।।
7. परन्तु उन लोगोंने आदम की नाई वाचा को तोड़ दिया; उन्होंने वहां मुझ से विश्वासघात किया है।
8. गिलाद नाम गढ़ी तो अनर्यकारियोंसे भरी है, वह खून से भरी हुई है।
9. जैसे डाकुओं के दल किसी की घात में बैठते हैं, वैसे ही याजकोंका दल शकेम के मार्ग में वध करता है, वरन उन्होंने महापाप भी किया है।
10. इस्राएल के घराने में मैं ने रोएं खड़े होने का कारण देखा है; उस में एप्रैम का छिनाला और इस्राएल की अशुद्धता पाई जाती है।।
11. और हे यहूदा, जब मैं अपक्की प्रजा को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा, उस समय के लिथे तेरे निमित्त भी बदला ठहराया हुआ है।।
Chapter 7
1. जब मैं इस्राएल को चंगा करता हूं तब एप्रैम का अधर्म और शोमरोन की बुराइयां प्रगट हो जाती हैं; वे छल से काम करते हैं, चोर भीतर घुसता, और डाकुओं का दल बाहर छीन लेता है।
2. तौभी वे नहीं सोचते कि यहोवा हमारी सारी बुराई को स्मरण रखता है। इसलिथे अब वे अपके कामोंके जाल में फसेंगे, क्योंकि उनके कार्य मेरी दृष्टि में बने हैं।
3. वे राजा को बुराई करने से, और हाकिमोंको फूठ बोलने से आनन्दित करते हैं।
4. वे सब के सब व्यभिचारी हैं; वे उस तन्दूर के समान हैं जिसको पकानेवाला गर्म करता है, पर जब तक आटा गूंधा नहीं जाता और खमीर से फूल नहीं चुकता, तब तक वह आग को नहीं उसकाता।
5. हमारे राजा के जन्म दिन में हाकिम दाखमधु पीकर चूर हुए; उस ने ठट्ठा करनेवालोंसे अपना हाथ मिलाया।
6. जब तक वे घात लगाए रहते हैं, तब तक वे अपना मन तन्दूर की नाई तैयार किए रहते हैं; उनका पकानेवाला रात भर सोता रहता है; वह भोर को तन्दूर की धधकती लौ के समान लाल हो जाता है।
7. वे सब के सब तन्दूर की नाई धधकते, और अपके न्यायियोंको भस्म करते हैं। उनके सब राजा मारे गए हैं; और उन में से कोई मेरी दोहाई नहीं देता है।।
8. एप्रैम देश देश के लोगोंसे मिलाजुला रहता है; एप्रैम ऐसी चपाती ठहरा है जो उलटी न गई हो।
9. परदेशियोंने उसका बल तोड़ डाला, परन्तु वह इसे नहीं जानता; उसके सिर में कहीं कहीं पके बाल हैं, परन्तु वह इसे भी नहीं जानता।
10. इस्राएल का गर्व उसी के विरूद्व साझी देता है; इन सब बातोंके रहते हुए भी वे अपके परमेश्वर यहोवा की ओर नहीं फिरे, और न उसको ढूंढ़ा है।।
11. एप्रैम एक भोली पण्डुकी के समान हो गया है जिस के कुछ बुद्धि नहीं; वे मिस्रियोंकी दोहाई देते, और अश्शूर को चले जाते हैं।
12. जब वे जाएं, तब उनके ऊपर मैं अपना जाल फैलाऊंगा; मैं उन्हें ऐसा खींच लूंगा जैसे आकाश के पक्की खींचे जाते हैं; मैं उनको ऐसी ताड़ना दूंगा, जैसी उनकी मण्डली सुन चुकी है।
13. उन पर हाथ, क्योंकि वे मेरे पास से भटक गए! उनका सत्यानाश होए, क्योंकि उन्होंने मुझ से बलवा किया है! मैं तो उन्हें छुड़ाता रहा, परन्तु वे मुझ से फूठ बोलते आए हैं।।
14. वे मन से मेरी दोहाई नहीं देते, परन्तु अपके बिछौने पर पके हुए हाथ, हाथ, करते हैं; वे अन्न और नथे दाखमधु पाने के लिथे भीड़ लगाते, और मुझ से बलवा करते हैं।
15. मैं उनको शिझा देता रहा और उनकी भुजाओं को बलवन्त करता आया हूं, तौभी वे मेरे विरूद्ध बुरी कल्पना करते हैं।
16. वे फिरते तो हैं, परन्तु परमप्रधान की ओर नहीं; वे धोखा देनेवाले धनुष के समान हैं; इसलिथे उनके हाकिम अपक्की क्रोधभरी बातोंके कारण तलवार से मारे जाएंगे। मिस्र देश में उनके ठट्ठोंमें उड़ाए जाने का यही कारण होगा।।
Chapter 8
1. अपके मुंह में नरसिंगा लगा। वह उकाब की नाईं यहोवा के घर पर फपकेगा, क्योंकि मेरे घर के लोगोंने मेरी वाचा तोड़ी, और मेरी व्यवस्या का उल्लंघन किया है।
2. वे मुझ से पुकारकर कहेंगे, हे हमारे परमेश्वर, हम इस्राएली लोग तुझे जानते हैं।
3. परन्तु इस्राएल ने भलाई को मन से उतार दिया है; शत्रु उसके पीछे पकेगा।।
4. वे राजाओं को ठहराते रहे, परन्तु मेरी इच्छा से नहीं। वे हाकिमोंको भी ठहराते रहे, परन्तु मेरे अनजाने में। उन्होंने अपना सोना-चान्दी लेकर मूरतें बना लीं जिस से वे ही नाश हो जाएं।
5. हे शोमरोन, उस ने तेरे बछड़े को मन से उतार दिया है, मेरा क्रोध उन पर भड़का है। वे निर्दोष होने में कब तक विलम्ब करेंगे?
6. यह इस्राएल से हुआ है।। एक कारीगर ने उसे बनाया; वह परमेश्वर नहीं है। इस कारण शोमरोन का वह बछड़ा टुकड़े टुकड़े हो जाएगा।।
7. वे वायु बोते हैं, और वे बवण्डर लवेंगे। उनके लिथे कुछ खेत रहेगा नहीं न उनकी उपज से कुछ आटा होगा; और यदि हो भी तो परदेशी उसको खा डालेंगे।
8. इस्राएल निगला गया; अब वे अन्यजातियोंमें ऐसे निकम्मे ठहरे जैसे तुच्छ बरतन ठहरता है।
9. क्योंकि वे अश्शूर को ऐसे चले गए, जैसा जंगली गदहा फुण्ड से बिछुड़ के रहता है; एप्रैम ने यारोंको मजदूरी पर रखा है।
10. यद्यपि वे अन्यजातियोंमें से मजदूर बनाकर रखें, तौभी मैं उनको इकट्ठा करूंगा। और वे हाकिमोंऔर राजा के बोफ के कारण घटने लेगेंगे।
11. एप्रैम ने पाप करने को बहुत सी वेदियां बनाई हैं, वे ही वेदियां उसके पापी ठहरने का कारण भी ठहरीं।
12. मैं तो उनके लिथे अपक्की व्यवस्या की लाखोंबातें लिखता आया हूं, परन्तु वे उन्हें पराया समझते हैं।
13. वे मेरे लिथे बलिदान तो करते हैं, और पशु बलि भी करते हैं, परन्तु उसका फल मांस ही है; वे आप ही उसे खाते हैं; परन्तु यहोवा उन से प्रसन्न नहीं होता। अब वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा; वे मिस्र में लौट जाएंगे।
14. क्योंकि इस्राएल ने अपके कर्त्ता को बिसरा कर महल बनाए, और यहूदा ने बहुत से गढ़वाले नगरोंको बसाया है; परन्तु मैं उनके नगरोंमें आग लगाऊंगा, और उस से उनके गढ़ भस्म हो जाएंगे।
Chapter 9
1. हे इस्राएल, तू देश देश के लोगोंकी नाईं आनन्द में मगन मत हो! क्योंकि तू अपके परमेश्वर को छोड़कर वेश्या बनी। तू ने अन्न के हर एक खलिहान पर छिनाले की कमाई आनन्द से ली है।
2. वे न तो खलिहान के अन्न से तृप्त होंगे, और न कुण्ड के दाखमधु से; और न नथे दाखमधु के धटने से वे धोखा खाएंगे।
3. वे यहोवा के देश में रहने न पाएंगे; परन्तु एप्रैम मिस्र में लौट जाएगा, और वे अश्शूर में अशुद्ध वस्तुएं खाएंगे।।
4. वे यहोवा के लिथे दाखमधु का अर्ध न देंगे, और न उनके बलिदान उसको भाएंगे। उनकी रोटी शोक करनेवालोंका सा भोजन ठहरेगी; जितने उसे खाएंगे सब अशुद्ध हो जाएंगे; क्योंकि उनकी भोजनवसतु उनकी भूख बुफाने ही के लिथे होगी; वह यहोवा के भवन में न आ सकेगी।।
5. नियत समय के पर्व और यहोवा के उत्सव के दिन तुम क्या करोगे?
6. देखो, वे सत्यानाश होने के डर के मारे चले गए; परन्तु वहां मर जाएंगे और मिस्री उनकी लोथें इकट्ठी करेंगे; और मोप के निवासी उनको मिट्टी देंगे। उनकी मनभावनी चान्दी की वस्तुएं बिच्छु पेड़ोंके बीच में पकेंगी, और उनके तम्बुओं में फड़बेरी उगेगी।
7. दण्ड के दिन आए हैं; बदला लेने के दिन आए हैं; और इस्राएल यह जान लेगा। उनके बहुत से अधर्म और बड़े द्वेष के कारण भविष्यद्वक्ता तो मूर्ख, और जिस पुरूष पर आत्मा उतरता है, वह बावला ठहरेगा।।
8. एप्रैम मेरे परमेश्वर की ओर से पहरूआ है; भविष्यद्वक्ता सब मार्गोंमें बहेलिथे का फन्दा है, और वह अपके परमेश्वर के घर में बैरी हुआ है।
9. वे गिबा के दिनोंकी भांति अत्यन्त बिगड़े हैं; सो वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा।।
10. मैं ने इस्राएल को ऐसा पाया जैसे कोई जंगल में दाख पाए; और तुमहारे पुरखाओं पर ऐसे दृष्टि की जैसे अंजीर के पहिले फलोंपर दृष्टि की जाती है। परन्तु उन्होंने पोर के बाल के पास जाकर अपके तई लज्जा का कारण होने के लिथे अर्पण कर दिया, और जिस पर मोहित हो गए थे, वे उसी के समान घिनौने हो गए।
11. एप्रैम का विभव पक्की की नाईं उड़ जाएगा; न तो किसी का जन्म होगा, न किसी को गर्भ रहेगा, और न कोई स्त्री गर्भवती होगी!
12. चाहे वे अपके लड़केबालोंका पालनपोषण कर बड़े भी करें, तौभी मैं उन्हें यहां तक निर्वंश करूंगा कि कोई भी न बचेगा। जब मैं उन से दूर हो जाऊंगा, तब उन पर हाथ!
13. जैसा मैं ने सोर को देखा, वैसा एप्रैम को भी मनभाऊ स्यान में बसा हुआ देखा; तौभी उसे अपके लड़केबालोंको घातक के साम्हने ले जाना पकेगा।
14. हे यहोवा, उनको दण्ड दे! तू क्या देगा? यह, कि उनकी स्त्रियोंके गर्भ गिर जाएं, और स्यान सूखे रहें।।
15. उनकी सारी बुराई गिल्गाल में है; वहीं मैं ने उन से घृणा की। उनके बुरे कामोंके कारण मैं उनको अपके घर से निकाल दूंगा। और उन से फिर प्रीति न रखूंगा, क्योंकि उनके सब हाकिम बलवा करनेवाले हैं।
16. एप्रैम मारा हुआ है, उनकी जड़ सूख गई, उन में फल न लगेगा। और चाहे उनकी स्त्रियां बच्चे भी न जनें तौभी मैं उनके जन्मे हुए दुलारोंको मार डालूंगा।।
17. मेरा परमेश्वर उनको निकम्मा ठहराएगा, क्योंकि उन्होंने उसकी नहीं सुनी। वे अन्यजातियोंके बीच मारे मारे फिरेंगे।।
Chapter 10
1. इस्राएल एक लहलहाती हुई दाखलता सी है, जिस में बहुत से फल भी लगे, परन्तु ज्योंज्योंउसके फल बढ़े, त्योंत्योंउस ने अधिक वेदियां बनाईं जैसे जैसे उसकी भूमि सुधरी, वैसे ही वे सुन्दर लाटें बनाते गथे।
2. उनका मन बटा हुआ है; अब वे दोषी ठहरेंगे। वह उनकी वेदियोंको तोड़ डालेगा, और उनकी लाटोंको टुकड़े टुकड़े करेगा।
3. अब वे कहेंगे, हमारे कोई राजा नहीं है, क्योंकि हम ने यहोवा का भय नहीं माना; सो राजा हमारा क्या कर सकता है?
4. वे बातें बनाते और फूठी शपय खाकर वाचा बान्धते हैं; इस कारण खेत की रेघारियोंमें धतूरे की नाईं दण्ड फूले फलेगा।
5. सामरिया के निवासी बेतावेन के बछड़े के लिथे डरते रहेंगे, और उसके लोग उसके लिथे विलाप करेंगे; और उसके पुजारी जो उसके कारण मगन होते थे उसके प्रताप के लिथे इस कारण विलाप करेंगे क्योंकि वह उन में से उठ गया है।
6. वह यारेब राजा की भेंट ठहरने के लिथे अश्शूर देश में पहुंचाया जएगा। एप्रैम लज्जित होगा, और इस्राएल भी अपक्की युक्ति से लजाएगा।।
7. सामरिया अपके राजा समेत जल के बुलबुले की नाईं मिट जाएगा।
8. और आवेन के ऊंचे स्यान जो इस्राएल क पाप है, वे नाश होंगे। उनकी वेदियोंपर फड़बेरी, पेड़ और ऊंटकटारे उगेंगे; और उस समय लोग पहाड़ोंसे कहने लगेंगे, हम को छिपा लो, और टीलोंसे कि हम पर गिर पड़ो।।
9. हे इस्राएल, तू गिबा के दिनोंमें पाप करता आया है; वे उसी में बने रहें; क्या वे गिबा में कुटिल मनुष्योंके संग लड़ाई में न फंसे?
10. जब मेरी इच्छा होगी तब मैं उन्हें ताड़ना दूंगा, और देश देश के लोग उनके विरूद्ध इकट्ठे हो जाएंगे; क्योंकि वे अपके दोनोंअधर्मोंमें फसें हुए हैं।।
11. एप्रैम सीखी हुई बछिया है, जो अन्न दांवने से प्रसन्न होती है, परन्तु मैं ने उसकी सुन्दर गर्दन पर जुआ रखा है; मैं एप्रैम पर सवार चढ़ाऊंगा; यहूदा हल, और याकूब हेंगा खींचेगा।
12. अपके लिथे धर्म का बीज बोओ, तब करूणा के अनुसार खेत काटने पाओगे; अपक्की पड़ती भूमि को जोतो; देखो, अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है, कि वह आए और तुम्हारे ऊपर उद्धार बरसाए।।
13. तुम ने दुष्टता के लिथे हल जोता और अन्याय का खेत काटा है; और तुम ने धोखे का फल खाया है। और यह इसलिथे हुआ क्योंकि तुम ने अपके कुव्यवहार पर, और अपके बहुत से वीरोंपर भरोसा रखा या।
14. इस कारण तुम्हारे लोगोंमें हुल्लड़ उठेगा, और तुम्हारे सब गढ़ ऐसे नाश किए जाएंगे जैसा बेतर्बेल नगर युद्ध के समय शल्मन के द्वारा नाश किया गया; उस समय माताएं अपके बच्चोंसमेत पटक दी गईं यी।
15. तुम्हारी अत्यन्त बुराई के कारण बेतेल से भी इसी प्रकार का व्यवहार किया जाएगा। भोर होते ही इस्राएल का राजा पूरी रीति से मिट जाएगा।।
Chapter 11
1. जब इस्राएल बालक या, तब मैं ने उस से प्रेम किया, और अपके पुत्र को मिस्र से बुलाया।
2. परन्तु जितना वे उनको बुलाते थे, उतना ही वे भागे जाते थे; वे बाल देवताओं के लिथे बलिदान करते, और खुदी हुई मूरतोंके लिथे धूप जलाते गए।।
3. मैं ही एप्रैम को पांव-पांव चलाता या, और उनको गोद में लिए फिरता या, परन्तु वे न जानते थे कि उनका चंगा करनेवाला मैं हूं।
4. मैं उनको मनुष्य जानकर प्रेम की डोरी से खींचता या, और जैसा कोई बैल के गले की जोत खोलकर उसके साम्हने आहार रख दे, वैसा ही मैं ने उन से किया।
5. वह मिस्र देश में लौटने न पाएगा; अश्शूर ही उसका राजा होगा, क्योंकि उस ने मेरी ओर फिरने से इनकार कर दिया है।
6. तलवार उनके नगरोंमें चलेगी, और उनके बेड़ोंको पूरा नाश करेगी; और यह उनकी युक्तियोंके कारण होगा।
7. मेरी प्रजा मुझ से फिर जाने में लगी रहती है; यद्यपि वे उनको परमप्रधान की ओर बुलाते हैं, तौभी उन में से कोई भी मेरी महिमा नहीं करता।।
8. हे एप्रैम, मैं तुझे क्योंकि छोड़ दूं? हे इस्राएल, मैं क्योंकर तुझे शत्रु के वश में कर दूं? मैं क्योंकर तुझे अदमा की नाई छोड़ दूं, और सबोयीम के समान कर दूं? मेरा ह्रृदय तो उलट पुलट हो गया, मेरा मन स्नेह के मारे पिघल गया है।
9. मैं अपके क्रोध को भड़कने न दूंगा, और न मैं फिर एप्रैम को नाश करूंगा; क्योंकि मैं मनुष्य नहीं परमेश्वर हूं, मैं तेरे बीच में रहनेवाला पवित्र हूं; मैं क्रोध करके न आऊंगा।।
10. वे यहोवा के पीछे पीछे चलेंगे; वह तो सिंह की नाईं गरजेगा; और तेरे लड़के पश्चिम दिशा से यरयराते हुए आएंगे।
11. वे मिस्र से चिडिय़ोंकी नाईं और अश्शूर के देश से पण्डुकी की भांति यरयराते हुए आएंगे; और मैं उनको उन्हीं के घरोंमें बसा दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।।
12. एप्रैम ने मिय्या से, और इस्राएल के घराने ने छल से मुझे घेर रखा है; और यहूदा अब तक पवित्र और विश्वासयोग्य परमेश्वर की ओर चंचल बना रहता है।।
Chapter 12
1. एप्रैम पानी पीटता और पुरवाइ्र का पीछा करता रहता है; वह लगातार फूठ और उत्पात को बढ़ाता रहता है; वे अश्शूर के साय वाचा बान्धते और मिस्र में तेल भेजते हैं।
2. यहूदा के साय भी यहोवा का मुकद्दमा है, और वह याकूब को उसके चालचलन के अनुसार दण्ड देगा; उसके कामोंके अनुसार वह उसको बदला देगा।
3. अपक्की माता की कोख ही में उस ने अपके भाई को अड़ंगा मारा, और बड़ा होकर वह परमेश्वर के साय लड़ा।
4. वह दूत से लड़ा, और जीत भी गया, वह रोया और उस ने गिड़गिड़ाकर बिनती की। बेतेल में वह उसको मिला, और वहीं उस ने हम से बातें की।
5. यहोवा, सेनाओं का परमश्ेवर, जिसका स्मरण यहोवा नाम से होता है।
6. इसलिथे तू अपके परमेश्वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह, और अपके परमेश्वर की बाट निरन्तर जोहता रह।।
7. वह व्योपारी है, और उसके हाथ में छल का तराजू है; अन्धेर करता ही उसको भाता है।
8. एप्रैम कहता है, मैं धनी हो गया, मैं ने सम्पत्ति प्राप्त की है; मेरे किसी काम में ऐसा अधर्म नहीं पाया गया जिस से पाप लगे।
9. मैं यहोवा, मिस्र देश ही से तेरा परमेश्वर हूं; मैं फिर तुझे तम्बुओं में ऐसा बसाऊंगा जैसा नियत पर्व के दिनोंमें हुआ करता है।।
10. मैं ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कीं, और बार बार दर्शन देता रहा; और भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा दृष्टान्त कहता आया हूं।
11. क्या गिलाद कुकर्मी नहीं? वे पूरे छली हो गए हैं। गिल्गाल में बैल बलि किए जाते हैं, वरन उनकी वेदियां उन ढेरोंके समान हैं जो खेत की रेघारियोंके पास हों।
12. याकूब अराम के मैदान में भाग गया या; वहां इस्राएल ने एक पत्नी के लिथे सेवा की, और पत्नी के लिथे वह चरवाही करता या।
13. एक भविष्यद्वक्ता के द्वारा यहोवा इस्राएल को मिस्र से निकाल ले आया, और भविष्यद्वक्ता ही के द्वारा उसकी रझा हुई।
14. एप्रैम ने अत्यन्त रिस दिलाई है; इसलिथे उसका किया हुआ खून उसी के ऊपर बना रहेगा, और उस ने अपके परमेश्वर के नाम में जो बट्टा लगाया है, वह उसकी को लौटाता जाएगा।।
Chapter 13
1. जब एप्रैम बोलता या, तब लोग कांपके थे; और जब इस्राएल में बड़ा या; परन्तु जब वह बाल के कारण दोषी हो गया, तब वह मर गया।
2. और अब वे लोग पाप पर पाप बढ़ाते जाते हैं, और अपक्की बुद्धि से चान्दी ढालकर ऐसी मूरतें बनाई हैं जो कारीगरोंही से बनीं। उन्हीं के विषय लोग कहते हैं, जो नरमेघ करें, वे बछड़ोंको चूमें!
3. इस कारण वे भोर के मेघ, तड़के सूख जानेवाली ओस, खलिहान पर से आंधी के मारे उड़नेवाली भूसी, या चिमनी से निकलते हुए धूएं के समान होंगे।।
4. मिस्र देश ही से मैं यहोवा, तेरा परमेश्वर हूं; तू मुझे छोड़ किसी को परमेश्वर करके न जानना; क्योंकि मेरे सिवा कोई तेरा उद्धारकर्ता नहीं हैं।
5. मैं ने उस समय तुझ पर मन लगाया जब तू जंगल में वरन अत्यन्त सूखे देश में या।
6. परन्तु जब इस्राएली चराए जाते थे और वे तृप्त हो गए, तब तृप्त होने पर उनका मन घमण्ड से भर गया; इस कारण वे मुझ को भूल गए।
7. सो मैं उनके लिथे सिंह सा बना हूं; मैं चीते की नाईं उनके मार्ग में घात लगाए रहूंगा।
8. मैं बच्चे छीनी हुई रीछनी के समान बनकर उनको मिलूंगा, और उनके ह्रृदय की फिल्ली को फाडूंगा, और सिंह की नाईं उनको वहीं खा डालूंगा, जैसे बन-पशु उनको फाड़ डाले।।
9. हे इस्राएल, तेरे विनाश का कारण यह है, कि तू मेरा अर्यात् अपके सहाथक का विरोधी है।
10. अब तेरा राजा कहां रहा कि तेरे सब नगरोंमें वह तुझे बचाए? और तेरे न्यायी कहां रहे, जिनके विषय में तू ने कहा या कि मेरे लिथे राजा और हाकिम ठहरा दें?
11. मैं ने क्रोध में आकर तेरे लिथे राजा बनाथे, और फिर जलजलाहट में आकर उनको हटा भी दिया।
12. एप्रैम का अधर्म गठा हुआ है, उनका पाप संचय किया हुआ है।
13. उसको जच्चा की सी पीड़ाए उठेंगी, परन्तु वह निर्बुद्धि लड़का है जो जन्म के समय ठीक से नहीं आता।
14. मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूंगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहां रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्ति कहां रहीं? मैं फिर कभी नहीं पछताऊंगा।।
15. चाहे वह अपके भाइयोंसे अधिक फूलें-फलें, तौभी पुरवाई उस पर चलेगी, और यहोवा की ओर से मरूस्यल से आएगी, और उसका कुण्ड सूखेगा; और उसका सोता निर्जन हो जाएगा। उसकी रखी हुई सब मनभावनी वस्तुएं वह लूट ले जाएगा।
16. सामरिया दोषी ठहरेगा, क्योंकि उस ने अपके परमेश्वर से बलवा किया है; वे तलवार से मारे जाएंगे, उनके बच्चे पटके जाएंगे, और उनकी गर्भवती स्त्रियां चीर डालीं जाएंगी।।
Chapter 14
1. हे इस्राएल, अपके परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ, क्योंकि तू ने अपके अधर्म के कारण ठोकर खाई है।
2. बातें सीखकर और यहोवा की ओर फिरकर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे।
3. अश्शूर हमारा उद्धार न करेगा, हम घोड़ोंपर सवार न होंगे; और न हम फिर अपक्की बनाई हुई वस्तुओं से कहेंगे, तुम हमारे ईश्वर हो; क्योंकि अनाय पर तू ही दया करता है।।
4. मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है।
5. मैं इस्राएल के लिथे ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाई फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा।
6. उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी।
7. जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्न ही नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाई फूले-फलेंगे; और उसकी कीत्तिर् लबानोन के दाखमधु की सी होगी।।
8. एप्रैम कहेगा, मूरतोंसे अब मेरा और क्या काम? मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूंगा। मैं हरे सनौवर सा हूं; मुझी से तू फल पाया करेगा।।
9. जो बुद्धिमान हो, वही इन बातोंको समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूफ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।।
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