नहूम (Nahum)
Chapter 1
1. नीनवे के विषय में भारी वचन। एल्कोशी नहूम के दर्शन की पुस्तक।।
2. यहोवा जल उठनेवाला और बदला लेनेवाला ईश्वर है; यहोवा बदला लेनेवाला और जलजलाहट करनेवाला है; यहोवा अपके द्रोहियोंसे बदला लेता है, और अपके शत्रुओं का पाप नहीं भूलता।
3. यहोवा विलम्ब से क्रोध करनेवाला और बड़ा शक्तिमान है; वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।। यहोवा बवंडर और आंधी में होकर चलता है, और बादल उसके पांवोंकी धूलि है।
4. उसके घुड़कने से महानद सूख जाते हैं, और समुद्र भी निर्जल हो जाता है; बाशान और कर्म्मैल कुम्हलाते और लबानोन की हरियाली जाती रहती है।
5. उसके स्पर्श से पहाड़ कांप उठते हैं और पहाडिय़ां गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृय्वी वरन सारा संसार अपके सब रहनेवालोंसमेत यरयरा उठता है।।
6. उसके क्रोध का साम्हना कौन कर सकता है? और जब उसका क्रोध भड़कता है, तब कौन ठहर सकता है? उसकी जलजलाहट आग की नाईं भड़क जाती है, और चट्टानें उसकी शक्ति से फट फटकर गिरती हैं।
7. यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपके शरणागतोंकी सुधी रखता है।
8. परन्तु वह उमड़ती हुई धारा से उसके स्यान का अन्त कर देगा, और अपके शत्रुओं को खदेड़कर अन्धकार में भगा देगा।
9. तुम यहोवा के विरूद्ध क्या कल्पना कर रहे हो? वह तुम्हारा अन्त कर देगा; विपत्ति दूसरी बार पड़ने न पाएगी।
10. क्योंकि चाहे वे कांटोंसे उलफे हुए हों, और मदिरा के नशे में चूर भी हों, तौभी वे सूखी खूंटी की नाईं भस्म किए जाएंगे।
11. तुझ में से एक निकला है, जो यहोवा के विरूद्ध कल्पना करता और नीचता की युक्ति बान्धता है।।
12. यहोवा योंकहता है, चाहे वे सब प्रकार के सामर्यी हों, और बहुत भी हों, तौभी पूरी रीति से काटे जाएंगे और शून्य हो जाएंगे। मैं ने तुझे दु:ख दिया है, परन्तु फिर न दूंगा।
13. क्योंकि अब मैं उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उतारकर तोड़ डालूंगा, और तेरा बन्धन फाड़ डालूंगा।।
14. यहोवा ने तेरे विषय में यह आज्ञा दी है कि आगे को तेरा वंश न चले; मैं तेरे देवालयोंमें से ढली और गढ़ी हुई मूरतोंको काट डालूंगा, मैं तेरे लिथे कबर खोदूंगा, क्योंकि तू नीच है।।
15. देखो, पहाड़ोंपर शुभसमाचार का सुनानेवाला और शान्ति का प्रचार करनेवाला आ रहा है! अब हे यहूदा, अपके पर्व मान, और अपक्की मन्नतें पूरी कर, क्योंकि वह ओछा फिर कभी तेरे बीच में होकर न चलेगा, और पूरी रीति से नाश हुआ है।।
Chapter 2
1. सत्यानाश करनेवाला तेरे विरूद्ध चढ़ आया है। गढ़ को दृढ़ कर; मार्ग देखता हुआ चौकस रह; अपक्की कमर कस; अपना बल बढ़ा दे।।
2. यहोवा याकूब की बड़ाई इस्राएल की बड़ाई के समान ज्योंकी त्योंकर रहा है, क्योंकि उजाड़नेवालोंने उनको उजाड़ दिया है और दाखलता की डालियोंको नाश किया है।।
3. उसके शूरपीरोंकी ढालें लाल रंग से रंगी गईं, और उसके योद्धा लाल रंग के वस्त्र पहिने हुए हैं। तैयारी के दिन रयोंका लोहा आग की नाई चमकता है, और भाले हिलाए जाते हैं।
4. रय सड़कोंमें बहुत वेग से हांके जाते हैं; वे पक्कीतोंके समान दिखाईं देते हैं, और उनका वेग बिजली का सा है।
5. वह अपके शूरवीरोंको स्मरण करता है; वे चलते चलते ठोकर खाते हैं, वे शहरपनाह की ओर फुर्ती से जाते हैं, और काठ का गुम्मट तैयार किया जाता है।
6. नहरोंके द्वार खुल जाते हैं, और राजभवन गलकर बैठा जाता है।
7. हुसेब नंगी करके बंधुवाई में ले ली जाएगी, और उसकी दासियां छाती पीटती हुई पिण्डुकोंकी नाईं विलाप करेंगी।
8. नीनवे जब से बनी है, तब से तालाब के समान है, तौभी वे भागे जाते हैं, और “खड़े हो; खड़े हो”, ऐसा पुकारे जाने पर भी कोई मुंह नहीं फेरता।
9. चांदी को लूटो, सोने को लूटो, उसके रखे हुए धन की बहुतायत, और विभव की सब प्रकार की मनभावनी सामग्री का कुछ परिमाण नहीं।।
10. वह खाली, छूछीं और सूनी हो गई है! मन कच्चा हो गया, और पांव कांपके हैं; और उन सभोंकि कटियोंमें बड़ी पीड़ा उठी, और सभोंके मुख का रंग उड़ गया है!
11. सिंहोंकी वह मांद, और जवान सिंह के आखेट का वह स्यान कहां रहा जिस में सिंह और सिंहनी अपके बच्चोंसमेत बेखटके फिरते थे?
12. सिंह तो अपके डांवरूओं के लिथे बहुत आहेर को फाड़ता या, और अपक्की सिंहनियोंके लिथे आहेर का गला घोंट घोंटकर ले जाता या, और अपक्की गुफाओं और मांदोंको आहेर से भर लेता या।।
13. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरे विरूद्ध हूं, और उसके रयोंको भस्म करके धुंएं में उड़ा दूंगा, और उसके जवान सिंह सरीखे वीर तलवार से मारे जाएंगे; मैं तेरे आहेर को पृय्वी पर से नाश करूंगा, और तेरे दूतोंका बोल फिर सुना न जाएगा।।
Chapter 3
1. हाथ उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है।
2. कोड़ो की फटकार और पहियोंकी घड़घड़ाहट हो रही है; घोड़े कूदते-फांदते और रय उछलते चलते हैं।
3. सवार चढ़ाई करते, तलवारें और भाले बिजली की नाईं चमकते हैं, मारे हुओं की बहुतायत और लोयोंका बड़ा ढेर है; मुर्दोंकी कुछ गिनती नहीं, लोग मुर्दोंसे ठोकर खा खाकर चलते हैं!
4. यह सब उस अति सुन्दर वेश्या, और निपुण टोनहिन के छिनाले के द्वारा जाति-जाति के लोगोंको, और टोने के द्वारा कुल-कुल के लोगोंको बेच डालती है।।
5. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरे विरूद्ध हूं, और तेरे वस्त्र को उठाकर, तुझे जाति-जाति के साम्हने नंगी और राज्य-राज्य के साम्हने नीचा दिखाऊंगा।
6. मैं तुझ पर घिनौनी वस्तुएं फेंककर तुझे तुच्छ कर दूंगा, और सब से तेरी हंसी कराऊंगा।
7. और जितने तुझे देखेंगे, सब तेरे पास से भागकर कहेंगे, नीनवे नाश हो गई; कौन उसके कारण विलाप करे? हम उसके लिथे शान्ति देनेवाला कहां से ढूंढ़कर ले आएं?
8. क्या तू अमोन नगरी से बढ़कर है, जो नहरोंके बीच बसी यी, और उसके लिथे किला और शहरपनाह का काम देता या?
9. कूश और मिस्री उसको अनगिनित बल देते थे, पूत और लूबी तेरे सहाथक थे।।
10. तौभी उसको बंधुवाई में ले गए, और उसके नन्हें बच्चे सड़कोंके सिक्के पर पटक दिए गए; और उसके प्रतिष्ठित पुरूषोंके लिथे उन्होंने चिट्ठी डाली, और उसके सब रईस बेडिय़ोंसे जकड़े गए।
11. तू भी मतवाली होगी, तू घबरा जाएगी; तू भी शत्रु के डर के मारे शरण का स्यान ढूंढेगी।
12. तेरे सब गढ़ ऐसे अंजीर के वृझोंके समान होंगे जिन में पहिले पक्के अंजीर लगे हों, यदि वे हिलाए जाएं तो फल खानेवाले के मुंह में गिरेंगे।
13. देख, तेरे लोग जो तेरे बीच में हैं, वे स्त्रियां बन गथे हैं। तेरे देश में प्रवेश करने के मार्ग तेरे शत्रुओं के लिथे बिलकुल खुले पके हैं; और रूकावट की छड़ें आग के कौर हो गई हैं।।
14. घिर जाने के दिनोंके लिथे पानी भर ले, और गढ़ोंको अधिक दृढ़ कर; कीचड ले आकर गारा लताड़, और भट्ठे को सजा!
15. वहां तू आग में भस्म होगी, और तलवार से तू नाश हो जाएगी। वह थेलेक नाम टिड्डी की नाईं तुझे निगल जाएगी।। यद्यपि तू अर्बे नाम टिड्डी के समान अनगिनित भी हो जाए!
16. तेरे व्योपारी आकाश के तारागण से भी अधिक अनगिनित हुए। टिड्डी चट करके उड़ जाती है।
17. तेरे मुकुटधारी लोग टिड्डियोंके समान, और सेनापति टिड्डियोंके दलोंसरीखे ठहरेंगे जो जाड़े के दिन में बाड़ोंपर टिकते हैं, परन्तु जब सूर्य दिखाई देता है तब भाग जाते हैं; और कोई नहीं जानता कि वे कहां गए।।
18. हे अश्शूर के राजा, तेरे ठहराए हुए चरवाहे ऊंघते हैं; तेरे शूरवीर भारी नींद में पड़ गए हैं। तेरी प्रजा पहाड़ोंपर तितर-बितर हो गई है, और कोई उनको फिर इकट्ठे नहीं करता।
19. तेरा घाव न भर सकेगा, तेरा रोग असाध्य है। जितने तेरा समाचार सुनेंगे, वे तेरे ऊपर ताली बजाएंगे। क्योंकि ऐसा कौन है जिस पर तेरी लगातार दुष्टता का प्रभाव न पड़ा हो?
Chapter 1
1. नीनवे के विषय में भारी वचन। एल्कोशी नहूम के दर्शन की पुस्तक।।
2. यहोवा जल उठनेवाला और बदला लेनेवाला ईश्वर है; यहोवा बदला लेनेवाला और जलजलाहट करनेवाला है; यहोवा अपके द्रोहियोंसे बदला लेता है, और अपके शत्रुओं का पाप नहीं भूलता।
3. यहोवा विलम्ब से क्रोध करनेवाला और बड़ा शक्तिमान है; वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।। यहोवा बवंडर और आंधी में होकर चलता है, और बादल उसके पांवोंकी धूलि है।
4. उसके घुड़कने से महानद सूख जाते हैं, और समुद्र भी निर्जल हो जाता है; बाशान और कर्म्मैल कुम्हलाते और लबानोन की हरियाली जाती रहती है।
5. उसके स्पर्श से पहाड़ कांप उठते हैं और पहाडिय़ां गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृय्वी वरन सारा संसार अपके सब रहनेवालोंसमेत यरयरा उठता है।।
6. उसके क्रोध का साम्हना कौन कर सकता है? और जब उसका क्रोध भड़कता है, तब कौन ठहर सकता है? उसकी जलजलाहट आग की नाईं भड़क जाती है, और चट्टानें उसकी शक्ति से फट फटकर गिरती हैं।
7. यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपके शरणागतोंकी सुधी रखता है।
8. परन्तु वह उमड़ती हुई धारा से उसके स्यान का अन्त कर देगा, और अपके शत्रुओं को खदेड़कर अन्धकार में भगा देगा।
9. तुम यहोवा के विरूद्ध क्या कल्पना कर रहे हो? वह तुम्हारा अन्त कर देगा; विपत्ति दूसरी बार पड़ने न पाएगी।
10. क्योंकि चाहे वे कांटोंसे उलफे हुए हों, और मदिरा के नशे में चूर भी हों, तौभी वे सूखी खूंटी की नाईं भस्म किए जाएंगे।
11. तुझ में से एक निकला है, जो यहोवा के विरूद्ध कल्पना करता और नीचता की युक्ति बान्धता है।।
12. यहोवा योंकहता है, चाहे वे सब प्रकार के सामर्यी हों, और बहुत भी हों, तौभी पूरी रीति से काटे जाएंगे और शून्य हो जाएंगे। मैं ने तुझे दु:ख दिया है, परन्तु फिर न दूंगा।
13. क्योंकि अब मैं उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उतारकर तोड़ डालूंगा, और तेरा बन्धन फाड़ डालूंगा।।
14. यहोवा ने तेरे विषय में यह आज्ञा दी है कि आगे को तेरा वंश न चले; मैं तेरे देवालयोंमें से ढली और गढ़ी हुई मूरतोंको काट डालूंगा, मैं तेरे लिथे कबर खोदूंगा, क्योंकि तू नीच है।।
15. देखो, पहाड़ोंपर शुभसमाचार का सुनानेवाला और शान्ति का प्रचार करनेवाला आ रहा है! अब हे यहूदा, अपके पर्व मान, और अपक्की मन्नतें पूरी कर, क्योंकि वह ओछा फिर कभी तेरे बीच में होकर न चलेगा, और पूरी रीति से नाश हुआ है।।
Chapter 2
1. सत्यानाश करनेवाला तेरे विरूद्ध चढ़ आया है। गढ़ को दृढ़ कर; मार्ग देखता हुआ चौकस रह; अपक्की कमर कस; अपना बल बढ़ा दे।।
2. यहोवा याकूब की बड़ाई इस्राएल की बड़ाई के समान ज्योंकी त्योंकर रहा है, क्योंकि उजाड़नेवालोंने उनको उजाड़ दिया है और दाखलता की डालियोंको नाश किया है।।
3. उसके शूरपीरोंकी ढालें लाल रंग से रंगी गईं, और उसके योद्धा लाल रंग के वस्त्र पहिने हुए हैं। तैयारी के दिन रयोंका लोहा आग की नाई चमकता है, और भाले हिलाए जाते हैं।
4. रय सड़कोंमें बहुत वेग से हांके जाते हैं; वे पक्कीतोंके समान दिखाईं देते हैं, और उनका वेग बिजली का सा है।
5. वह अपके शूरवीरोंको स्मरण करता है; वे चलते चलते ठोकर खाते हैं, वे शहरपनाह की ओर फुर्ती से जाते हैं, और काठ का गुम्मट तैयार किया जाता है।
6. नहरोंके द्वार खुल जाते हैं, और राजभवन गलकर बैठा जाता है।
7. हुसेब नंगी करके बंधुवाई में ले ली जाएगी, और उसकी दासियां छाती पीटती हुई पिण्डुकोंकी नाईं विलाप करेंगी।
8. नीनवे जब से बनी है, तब से तालाब के समान है, तौभी वे भागे जाते हैं, और “खड़े हो; खड़े हो”, ऐसा पुकारे जाने पर भी कोई मुंह नहीं फेरता।
9. चांदी को लूटो, सोने को लूटो, उसके रखे हुए धन की बहुतायत, और विभव की सब प्रकार की मनभावनी सामग्री का कुछ परिमाण नहीं।।
10. वह खाली, छूछीं और सूनी हो गई है! मन कच्चा हो गया, और पांव कांपके हैं; और उन सभोंकि कटियोंमें बड़ी पीड़ा उठी, और सभोंके मुख का रंग उड़ गया है!
11. सिंहोंकी वह मांद, और जवान सिंह के आखेट का वह स्यान कहां रहा जिस में सिंह और सिंहनी अपके बच्चोंसमेत बेखटके फिरते थे?
12. सिंह तो अपके डांवरूओं के लिथे बहुत आहेर को फाड़ता या, और अपक्की सिंहनियोंके लिथे आहेर का गला घोंट घोंटकर ले जाता या, और अपक्की गुफाओं और मांदोंको आहेर से भर लेता या।।
13. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरे विरूद्ध हूं, और उसके रयोंको भस्म करके धुंएं में उड़ा दूंगा, और उसके जवान सिंह सरीखे वीर तलवार से मारे जाएंगे; मैं तेरे आहेर को पृय्वी पर से नाश करूंगा, और तेरे दूतोंका बोल फिर सुना न जाएगा।।
Chapter 3
1. हाथ उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है।
2. कोड़ो की फटकार और पहियोंकी घड़घड़ाहट हो रही है; घोड़े कूदते-फांदते और रय उछलते चलते हैं।
3. सवार चढ़ाई करते, तलवारें और भाले बिजली की नाईं चमकते हैं, मारे हुओं की बहुतायत और लोयोंका बड़ा ढेर है; मुर्दोंकी कुछ गिनती नहीं, लोग मुर्दोंसे ठोकर खा खाकर चलते हैं!
4. यह सब उस अति सुन्दर वेश्या, और निपुण टोनहिन के छिनाले के द्वारा जाति-जाति के लोगोंको, और टोने के द्वारा कुल-कुल के लोगोंको बेच डालती है।।
5. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरे विरूद्ध हूं, और तेरे वस्त्र को उठाकर, तुझे जाति-जाति के साम्हने नंगी और राज्य-राज्य के साम्हने नीचा दिखाऊंगा।
6. मैं तुझ पर घिनौनी वस्तुएं फेंककर तुझे तुच्छ कर दूंगा, और सब से तेरी हंसी कराऊंगा।
7. और जितने तुझे देखेंगे, सब तेरे पास से भागकर कहेंगे, नीनवे नाश हो गई; कौन उसके कारण विलाप करे? हम उसके लिथे शान्ति देनेवाला कहां से ढूंढ़कर ले आएं?
8. क्या तू अमोन नगरी से बढ़कर है, जो नहरोंके बीच बसी यी, और उसके लिथे किला और शहरपनाह का काम देता या?
9. कूश और मिस्री उसको अनगिनित बल देते थे, पूत और लूबी तेरे सहाथक थे।।
10. तौभी उसको बंधुवाई में ले गए, और उसके नन्हें बच्चे सड़कोंके सिक्के पर पटक दिए गए; और उसके प्रतिष्ठित पुरूषोंके लिथे उन्होंने चिट्ठी डाली, और उसके सब रईस बेडिय़ोंसे जकड़े गए।
11. तू भी मतवाली होगी, तू घबरा जाएगी; तू भी शत्रु के डर के मारे शरण का स्यान ढूंढेगी।
12. तेरे सब गढ़ ऐसे अंजीर के वृझोंके समान होंगे जिन में पहिले पक्के अंजीर लगे हों, यदि वे हिलाए जाएं तो फल खानेवाले के मुंह में गिरेंगे।
13. देख, तेरे लोग जो तेरे बीच में हैं, वे स्त्रियां बन गथे हैं। तेरे देश में प्रवेश करने के मार्ग तेरे शत्रुओं के लिथे बिलकुल खुले पके हैं; और रूकावट की छड़ें आग के कौर हो गई हैं।।
14. घिर जाने के दिनोंके लिथे पानी भर ले, और गढ़ोंको अधिक दृढ़ कर; कीचड ले आकर गारा लताड़, और भट्ठे को सजा!
15. वहां तू आग में भस्म होगी, और तलवार से तू नाश हो जाएगी। वह थेलेक नाम टिड्डी की नाईं तुझे निगल जाएगी।। यद्यपि तू अर्बे नाम टिड्डी के समान अनगिनित भी हो जाए!
16. तेरे व्योपारी आकाश के तारागण से भी अधिक अनगिनित हुए। टिड्डी चट करके उड़ जाती है।
17. तेरे मुकुटधारी लोग टिड्डियोंके समान, और सेनापति टिड्डियोंके दलोंसरीखे ठहरेंगे जो जाड़े के दिन में बाड़ोंपर टिकते हैं, परन्तु जब सूर्य दिखाई देता है तब भाग जाते हैं; और कोई नहीं जानता कि वे कहां गए।।
18. हे अश्शूर के राजा, तेरे ठहराए हुए चरवाहे ऊंघते हैं; तेरे शूरवीर भारी नींद में पड़ गए हैं। तेरी प्रजा पहाड़ोंपर तितर-बितर हो गई है, और कोई उनको फिर इकट्ठे नहीं करता।
19. तेरा घाव न भर सकेगा, तेरा रोग असाध्य है। जितने तेरा समाचार सुनेंगे, वे तेरे ऊपर ताली बजाएंगे। क्योंकि ऐसा कौन है जिस पर तेरी लगातार दुष्टता का प्रभाव न पड़ा हो?
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