The Holy Bible - मत्ती(Matthew)

मत्ती(Matthew)

Chapter 1

1. इब्राहीम की सन्‍तान, दाऊद की सन्‍तान, यीशु मसीह की वंशावली। 
2. इब्राहीम से इसहाक उत्‍पन्न हुआ; इसहाक से याकूब उत्‍पन्न हुआ; और याकूब से यहूदा और उसके भाई उत्‍पन्न हुए। 
3. यहूदा से फिरिस, और यहूदा और तामार से जोरह उत्‍पन्न हुए; और फिरिस से हिस्रोन उत्‍पन्न हुआ, और हिस्रोन से एराम उत्‍पन्न हुआ। 
4. और एराम से अम्मीनादाब उत्‍पन्न हुआ; और अम्मीनादाब से नहशोन और नहशोन से सलमोन उत्‍पन्न हुआ। 
5. और सलमोन और राहब से बोअज उत्‍पन्न हुआ। और बोअज और रूत से ओबेद उत्‍पन्न हुआ; और ओबेद से यिशै उत्‍पन्न हुआ। 
6. और यिशै से दाऊद राजा उत्‍पन्न हुआ।। 
7. और दाऊद से सुलैमान उस स्त्री से उत्‍पन्न हुआ जो पहिले उरिय्याह की पत्‍नी यी। 
8. और सुलैमान से रहबाम उत्‍पन्न हुआ; और रहबाम से अबिय्याह उत्‍पन्न हुआ; और अबिय्याह से आसा उत्‍पन्न हुआ; और आसा से यहोशफात उत्‍पन्न हुआ; और यहोशाफात से योराम उत्‍पन्न हुआ, और योराम से उज्ज़ियाह उत्‍पन्न हुआ। 
9. और उज्ज़ियाह से योताम उत्‍पन्न हुआ; और योताम से आहाज उत्‍पन्न हुआ; और आहाज से हिजकिय्याह उत्‍पन्न हुआ। 
10. और िहिजकिय्याह से मनश्‍शिह उत्‍पन्न हुआ। और मनश्‍शिह से आमोन उत्‍पन्न हुआ; और आमोन से योशिय्याह उत्‍पन्न हुआ। 
11. और बन्‍दी होकर बाबूल जाने के समय में योशिय्याह से यकुन्याह, और उस के भाई उत्‍पन्न हुए।। 
12. बन्‍दी होकर बाबुल पहुंचाए जाने के बाद यकुन्याह से शालतिएल उत्‍पन्न हुआ; और शालतिएल से जरूब्‍बाबिल उत्‍पन्न हुआ। 
13. और जरूब्‍बाबिल से अबीहूद उत्‍पन्न हुआ, और अबीहूद से इल्याकीम उत्‍पन्न हुआ; और इल्याकीम से अजोर उत्‍पन्न हुआ। 
14. और अजोर से सदोक उत्‍पन्न हुआ; और सदोक से अखीम उत्‍पन्न हुआ; और अखीम से इलीहूद उत्‍पन्न हुआ। 
15. और इलीहूद से इलियाजार उत्‍पन्न हुआ; और इलियाजर से मत्तान उत्‍पन्न हुआ; और मत्तान से याकूब उत्‍पन्न हुआ। 
16. और याकूब से यूसुफ उत्‍पन्न हुआ; जो मरियम का पति या जिस से यीशु जो मसीह कहलाता है उत्‍पन्न हुआ।। 
17. इब्राहीम से दाऊद तक सब चौदह पीढ़ी हुई और दाऊद से बाबुल को बन्‍दी होकर पहुंचाए जाने तक चौदह पीढ़ी और बन्‍दी होकर बाबुल को पहुंचाए जाने के समय से लेकर मसीह तक चौदह पीढ़ी हुई।। 
18. अब यीशु मसीह का जन्क़ इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साय हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्क़ा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
19. सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी या और उसे बदनाम करना नहीं चाहता या, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
20. जब वह इन बातोंके सोच ही में या तो प्रभु का स्‍वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्‍तान, तू अपक्की पत्‍नी मरियम को अपके यहां ले आने से मत डर; क्‍योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्क़ा की ओर से है। 
21. वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्‍योंकि वह अपके लोगोंका उन के पापोंसे उद्वार करेगा। 
22. यह सब कुछ इसलिथे हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा या; वह पूरा हो। 
23. कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्य यह है ?परमेश्वर हमारे साय। 
24. सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपक्की पत्‍नी को अपके यहां ले आया। 
25. और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उस ने उसका नाम यीशु रखा।।

Chapter 2

1. हेरोदेस राजा के दिनोंमें जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्क़ हुआ, तो देखो, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे। 
2. कि यहूदियोंका राजा जिस का जन्क़ हुआ है, कहां है क्‍योंकि हम ने पूर्व में उसका तारा देखा है और उस को प्रणाम करने आए हैं। 
3. यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साय सारा यरूशलेम घबरा गया। 
4. और उस ने लोगोंके सब महाथाजकोंऔर शास्‍त्रियोंको इकट्ठे करके उन से पूछा, कि मसीह का जन्क़ कहाँ होना चाहिए 
5. उन्‍होंने उस से कहा, यहूदिया के बैतलहम में; क्‍योंकि भविष्यद्वक्ता के द्वारा योंलिखा है। 
6. कि हे बैतलहम, जो यहूदा के देश में है, तू किसी रीति से यहूदा के अधिक्कारनेियोंमें सब से छोटा नहीं; क्‍योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा। 
7. तब हेरोदेस ने ज्योतिषियोंको चुपके से बुलाकर उन से पूछा, कि तारा ठीक किस समय दिखाई दिया या। 
8. और उस ने यह कहकर उन्‍हें बैतलहम भेजा, कि जाकर उस बालक के विषय में ठीक ठीक मालूम करो और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उस को प्रणाम करूं। 
9. वे राजा की बात सुनकर चले गए, और देखो, जो तारा उन्‍होंने पूर्व में देखा या, वह उन के आगे आगे चला, और जंहा बालक या। उस जगह के ऊपर पंहुचकर ठहर गया।। 
10. उस तारे को देखकर वे अति आनन्‍दित हुए। 
11. और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साय देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना यैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्‍धरस की भेंट चढ़ाई। 
12. और स्‍वप्‍न में यह चितौनी पाकर कि हेरोदेस के पास फिर न जाना, वे दूसरे मार्ग से होकर अपके देश को चले गए।। 
13. उन के चले जाने के बाद देखो, प्रभु के एक दूत ने स्‍वप्‍न में यूसुफ को दिखाई देकर कहा, उठ; उस बालक को और उस की माता को लेकर मिस्र देश को भाग जा; और जब तक मैं तुझ से न कहूं, तब तक वही रहना; क्‍योंकि हेरोदेस इस बालक को ढूंढ़ने पर है कि उसे मरवा डाले। 
14. वह रात ही को उठकर बालक और उस की माता को लेकर मिस्र को चल दिया। 
15. और हेरोदेस के मरने तक वहीं रहा; इसलिथे कि वह वचन जो प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा या कि मैं ने अपके पुत्र को मिस्र से बुलाया पूरा हो। 
16. जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियोंने मेरे साय ठट्ठा किया है, तब वह क्रोध से भर गया; और लोगोंको भेजकर ज्योतिषियोंसे ठीक ठीक पूछे हुए समय के अनुसार बैतलहम और उसके आस पास के सब लड़कोंको जो दो वर्ष के, वा उस से छोटे थे, मरवा डाला। 
17. तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हुआ, 
18. कि रामाह में एक करूण-नाद सुनाई दिया, रोना और बड़ा विलाप, राहेल अपके बालकोंके लिथे रो रही यी, और शान्‍त होना न चाहती यी, क्‍योंकि वे हैं नहीं।। 
19. हेरोदेस के मरने के बाद देखो, प्रभु के दूत ने मिस्र में यूसुफ को स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहा। 
20. कि उठ, बालक और उस की माता को लेकर इस्राएल के देश में चला जा; क्‍योंकिं जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, वे मर गए। 
21. वह उठा, और बालक और उस की माता को साय लेकर इस्राएल के देश में आया। 
22. परन्‍तु यह सुनकर कि अरिखलाउस अपके पिता हेरोदेस की जगह यहूदिया पर राज्य कर रहा है, वहां जाने से डरा; और स्‍वप्‍न में चितौनी पाकर गलील देश में चला गया। 
23. और नासरत नाम नगर में जा बसा; ताकि वह वचन पूरा हो, जो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा गया या, कि वह नासरी कहलाएगा।।

Chapter 3

1. उन दिनोंमें यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल में यह प्रचार करने लगा। कि 
2. मन फिराओ; क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य निकट आ गया है। 
3. यह वही है जिस की चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई कि जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्‍द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो। 
4. यह यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्‍त्र पहिने या, और अपक्की कमर में चमड़े का पटुका बान्‍धे हुए या, और उसका भोजन ट्टिड्डियाँ और बनमधु या। 
5. तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस पास के सारे देश के लोग उसके पास निकल आए। 
6. और अपके अपके पापोंको मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्क़ा लिया। 
7. जब उस ने बहुतेरे फरीसियोंऔर सदूकियोंको बपतिस्क़ा के लिथे अपके पास आते देखा, तो उन से कहा, कि हे सांप के बच्‍चोंतुम्हें किस ने जता दिया, कि आनेवाले क्रोध से भागो 
8. सो मन फिराव के योग्य फल लाओ। 
9. और अपके अपके मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्यरोंसे इब्राहीम के लिथे सन्‍तान उत्‍पन्न कर सकता है। 
10. और अब कुल्हाड़ा पेड़ोंकी जड़ पर रखा हुआ है, इसलिथे जो जो पेड़ अच्‍छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में फोंका जाता है। 
11. मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्क़ा देता हूं, परन्‍तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्क़ा और आग से बपतिस्क़ा देगा। 
12. उसका सूप उस के हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्‍छी रीति से साफ करेगा, और अपके गेहूं को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्‍तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुफने की नहीं।। 
13. उस समय यीशु मसीह गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्क़ा लेने आया। 
14. परन्‍तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्क़ा लेने की आवश्यक्ता है, और तू मेरे पास आया है 
15. यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्‍योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली। 
16. और यीशु बपतिस्क़ा लेकर तुरन्‍त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिथे आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्क़ा को कबूतर की नाई उतरते और अपके ऊपर आते देखा। 
17. और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्‍त प्रसन्न हूं।।

Chapter 4

1. तब उस समय आत्क़ा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की पक्कीझा हो। 
2. वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्‍त में उसे भूख लगी। 
3. तब परखनेवाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि थे पत्यर रोटियां बन जाएं। 
4. उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्‍तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। 
5. तब इब्‍लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। 
6. और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपके आप को नीचे गिरा दे; क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपके स्‍वर्गदूतोंको आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथोंहाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवोंमें पत्यर से ठेस लगे। 
7. यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपके परमेश्वर की पक्कीझा न कर। 
8. फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका विभव दिखाकर 
9. उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा। 
10. तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्‍योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपके परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। 
11. तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्‍वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।। 
12. जब उस ने यह सुना कि यूहन्ना पकड़वा दिया गया, तो वह गलील को चला गया। 
13. और नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो फील के किनारे जबूलून और नपताली के देश में है जाकर रहने लगा। 
14. ताकि जो यशायाह भविष्‍द्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो। 
15. कि जबूलून और नपताली के देश, फील के मार्ग से यरदन के पास अन्यजातियोंका गलील। 
16. जो लोग अन्‍धकार में बैठे थे उन्‍होंने बड़ी ज्योंति देखी; और जो मृत्यु के देश और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।। 
17. उस समय से यीशु प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, कि मन फिराओ क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य निकट आया है। 
18. उस ने गलील की फील के किनारे फिरते हुए दो भाइयोंअर्यात्‍ शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्‍द्रियास को फील में जाल डालते देखा; क्‍योंकि वे मछवे थे। 
19. और उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्योंके पकड़नेवाले बनाऊंगा। 
20. वे तुरन्‍त जालोंको छोड़कर उसके पीछे हो लिए। 
21. और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयोंअर्यात्‍ जब्‍दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपके पिता जब्‍दी के साय नाव पर अपके जालोंको सुधारते देखा; और उन्‍हें भी बुलाया 
22. वे तुरन्‍त नाव और अपके पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।। 
23. और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपकेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगोंकी हर प्रकार की बीमारी और र्दुबलता को दूर करता रहा। 
24. और सारे सूरिया में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारोंको, जो नाना प्रकार की बीमारियोंऔर दुखोंमें जकड़े हुए थे, और जिन में दुष्‍टात्क़ाएं यीं और मिर्गीवालोंऔर फोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और उस ने उन्‍हें चंगा किया। 
25. और गलील और दिकापुलिस और यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।।

Chapter 5

1. वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। 
2. और वह अपना मुंह खोलकर उन्‍हें यह उपकेश देने लगा, 
3. धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
4. धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे। 
5. धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृय्‍वी के अधिक्कारनेी होंगे। 
6. धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी। 
7. धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। 
8. धन्य हैं वे, जो मेल करवानेवाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। 
9. धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
10. धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण फूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। 
11. आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिथे स्‍वर्ग में बड़ा फल है इसलिथे कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया या।। 
12. तुम पृय्‍वी के नमक हो; परन्‍तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्‍तु से नमकीन किया जाएगा 
13. तुम पृय्‍वी के नमक हो; परन्‍तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्‍तु से नमकीन किया जाएगा फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्योंके पैरोंतले रौंआ जाए। 
14. तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 
15. और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्‍तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगोंको प्रकाश पहुंचता है। 
16. उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्योंके साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामोंको देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्‍वर्ग में हैं, बड़ाई करें।। 
17. यह न समझो, कि मैं व्यवस्या या भविष्यद्वक्ताओं की पुस्‍तकोंको लोप करने आया हूं। 
18. लोप करने नहीं, परन्‍तु पूरा करने आया हूं, क्‍योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृय्‍वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्या से एक मात्रा या बिन्‍दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। 
19. इसलिथे जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगोंको सिखाए, वह स्‍वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्‍तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्‍हें सिखाएगा, वही स्‍वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। 
20. क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यदि तुम्हारी धामिर्कता शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंकी धामिर्कता से बढ़कर न हो, तो तुम स्‍वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे।। 
21. तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगोंसे कहा गया या कि हत्या न करना, और जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्‍ड के योग्य होगा। 
22. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई अपके भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्‍ड के योग्य होगा: और जो कोई अपके भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्‍ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ?अरे मूर्ख वह नरक की आग के दण्‍ड के योग्य होगा। 
23. इसलिथे यदि तू अपक्की भेंट वेदी पर लाए, और वहां तू स्क़रण करे, कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है, तो अपक्की भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे। 
24. और जाकर पहिले अपके भाई से मेल मिलाप कर; तब आकर अपक्की भेंट चढ़ा। 
25. जब तक तू अपके मुद्दई के साय मार्ग में हैं, उस से फटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे और तू बन्‍दीगृह में डाल दिया जाए। 
26. मैं तुम से सच कहता हूं कि जब तक तू कौड़ी कौड़ी भर न दे तब तक वहां से छूटने न पाएगा।। 
27. तुम सुन चुके हो कि कहा गया या, कि व्यभिचार न करना। 
28. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपके मन में उस से व्यभिचार कर चुका। 
29. यदि तेरी दिहनी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर अपके पास से फेंक दे; क्‍योंकि तेरे लिथे यही भला है कि तेरे अंगोंमें से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। 
30. और यदि तेरा दिहना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर अपके पास से फेंक दे, क्‍योंकि तेरे लिथे यही भला है, कि तेरे अंगोंमें से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।। 
31. यह भी कहा गया या, कि जो कोई अपक्की पत्‍नी को त्याग दे तो उसे त्यागपत्र दे। 
32. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपक्की पत्‍नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे, तो वह उस से व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है।। 
33. फिर तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगोंसे कहा गया या कि फूठी शपय न खाना, परन्‍तु प्रभु के लिथे अपक्की शपय को पूरी करना। 
34. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि कभी शपय न खाना; न तो स्‍वर्ग की, क्‍योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है। 
35. न धरती की, क्‍योंकि वह उसके पांवोंकी चौकी है; न यरूशलेम की, क्‍योंकि वह महाराजा का नगर है। 
36. अपके सिर की भी शपय न खाना क्‍योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है। 
37. परन्‍तु तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्‍योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।। 
38. तुम सुन चुके हो, कि कहा गया या, कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत। 
39. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि बुरे का सामना न करता; परन्‍तु जो कोई तेरे दिहने गाल पर यप्‍पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे। 
40. और यदि कोई तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे। 
41. और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साय दो कोस चला जा। 
42. जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उस से मुंह न मोड़।। 
43. तुम सुन चुके हो, कि कहा गया या; कि अपके पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपके बैरी से बैर। 
44. परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपके बैरियोंसे प्रेम रखो और अपके सतानेवालोंके लिथे प्रार्यना करो। 
45. जिस से तुम अपके स्‍वर्गीय पिता की सन्‍तान ठहरोगे क्‍योंकि वह भलोंऔर बुरोंदोनो पर अपना सूर्य उदय करता है, और धमिर्योंऔर अधमिर्योंदोनोंपर मेंह बरसाता है। 
46. क्‍योंकि यदि तुम अपके प्रेम रखनेवालोंही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिथे क्‍या लाभ होगा क्‍या महसूल लेनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते 
47. और यदि तुम केवल अपके भाइयोंकी को नमस्‍कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो क्‍या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते 
48. इसलिथे चाहिथे कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता सिद्ध है।।

Chapter 6

1. सावधान रहो! तुम मनुष्योंको दिखाने के लिथे अपके धर्म के काम न करो, नहीं तो अपके स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 
2. इसलिथे जब तू दान करे, तो अपके आगे तुरही न बजवा, जैसा कपक्की, सभाओं और गलियोंमें करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। 
3. परन्‍तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दिहना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। 
4. ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।। 
5. और जब तू प्रार्यना करे, तो कपटियोंके समान न हो क्‍योंकि लोगोंको दिखाने के लिथे सभाओं में और सड़कोंके मोड़ोंपर खड़े होकर प्रार्यना करना उन को अच्‍छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
6. परन्‍तु जब तू प्रार्यना करे, तो अपक्की कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपके पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्यना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
7. प्रार्यना करते समय अन्यजातियोंकी नाई बक बक न करो; क्‍योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। 
8. सो तुम उन की नाई न बनो, क्‍योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्‍या क्‍या आवश्यक्ता है। 
9. सो तुम इस रीति से प्रार्यना किया करो; ?हे हमारे पिता, तू जो स्‍वर्ग में हैं; तेरा नाम पवित्र माना जाए। 
10. तेरा राज्य आए; तेरी इच्‍छा जैसी स्‍वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृय्‍वी पर भी हो। 
11. हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। 
12. और जिस प्रकार हम ने अपके अपराधियोंको झमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधोंको झमा कर। 
13. और हमें पक्कीझा में न ला, परन्‍तु बुराई से बचा; क्‍योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही है। आमीन। 
14. इसलिथे यदि तुम मनुष्य के अपराध झमा करोगे, तो तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता भी तुम्हें झमा करेगा। 
15. और यदि तुम मनुष्योंके अपराध झमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध झमा न करेगा।। 
16. जब तुम उपासना करो, तो कपटियोंकी नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्‍योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्‍हें उपवासी जातें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
17. परन्‍तु जब तू उपवास करे तो अपके सिर पर तेल मल और मुंह धो। 
18. ताकि लोग नहीं परन्‍तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।। 
19. अपके लिथे पृय्‍वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 
20. परन्‍तु अपके लिथे स्‍वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 
21. क्‍योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा। 
22. शरीर का दिया आंख है: इसलिथे यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा। 
23. परन्‍तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्‍धिक्कारनेा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्‍धकार हो तो वह अन्‍धकार कैसा बड़ा होगा। 
24. कोई मनुष्य दो स्‍वामियोंकी सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; ?तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते। 
25. इसलिथे मैं तुम से कहता हूं, कि अपके प्राण के लिथे यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपके शरीर के लिथे कि क्‍या पहिनेंगे क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं 
26. आकाश के पझियोंको देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तोंमें बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते। 
27. तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपक्की अवस्या में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है 
28. और वस्‍त्र के लिथे क्‍योंचिन्‍ता करते हो जंगली सोसनोंपर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्र्म करते हैं, न कातते हैं। 
29. तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपके सारे विभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न या। 
30. इसलिथे जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में फोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा 
31. इसलिथे तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे 
32. क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें थे सब वस्‍तुएं चाहिए। 
33. इसलिथे पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो थे सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी। 
34. सो कल के लिथे चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपक्की चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिथे आज ही का दुख बहुत है।।

Chapter 7

1. दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। 
2. क्‍योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापके हो, उसी से तुम्हारे लिथे भी नापा जाएगा। 
3. तू क्‍योंअपके भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपक्की आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूफता और जब तेरी ही आंख मे लट्ठा है, तो तू अपके भाई से क्‍योंकर कह सकता है, कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं। 
4. हे कपक्की, पहले अपक्की आंख में से लट्ठा निकाल ले, तक तू अपके भाई की आंख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा।। 
5. पवित्र वस्‍तु कुत्तोंको न दो, और अपके मोती सूअरोंके आगे मत डालो; ऐसा न हो कि वे उन्‍हें पांवोंतले रौंदें और पलटकर तुम को फाड़ डालें।। 
6. मोंगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिथे खोला जाएगा। 
7. क्‍योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिथे खोला जाएगा। 
8. तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्यर दे 
9. वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे 
10. सो जब तुम बुरे होकर, अपके बच्‍चोंको अच्‍छी वस्‍तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता अपके मांगनेवालोंको अच्‍छी वस्‍तुएं क्‍योंन देगा 
11. इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साय करें, तुम भी उन के साय वैसा ही करो; क्‍योंकि व्यवस्या और भविष्यद्वक्तओं की शिझा यही है।। 
12. सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्‍योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। 
13. क्‍योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और योड़े हैं जो उसे पाते हैं।। 
14. क्‍योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और योड़े हैं जो उसे पाते हैं। 
15. फूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ोंके भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्‍तु अन्‍तर में फाड़नेवाले भेडिए हैं। 
16. उन के फलोंसे तुम उन्‍हें पहचान लोगे क्‍या फाडिय़ोंसे अंगूर, वा ऊंटकटारोंसे अंजीर तोड़ते हैं 
17. इसी प्रकार हर एक अच्‍छा पेड़ अच्‍छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। 
18. अच्‍छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्‍छा फल ला सकता है। 
19. जो जो पेड़ अच्‍छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। 
20. सो उन के फलोंसे तुम उन्‍हें पहचान लोगे। 
21. जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्‍वर्ग के राज्य में प्रवेश करेगा, परन्‍तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्‍छा पर चलता है। 
22. उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्‍या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्क़ाओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए 
23. तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालों, मेरे पास से चले जाओ। 
24. इसलिथे जो कोई मेरी थे बातें सुनकर उन्‍हें मानता है वह उस बुिद्वमान मनुष्य की नाई ठहरेगा जिस ने अपना घर चटान पर बनाया। 
25. और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चक्कीं, और उस घर पर ट?रें लगीं, परन्‍तु वह नहीं गिरा, क्‍योंकि उस की नेव चटान पर डाली गई यी। 
26. परन्‍तु जो कोई मेरी थे बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर बालू पर बनाया। 
27. और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चक्कीं, और उस घर पर ट?रें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।। 
28. जब यीशु थे बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपकेश से चकित हुई। 
29. क्‍योंकि वह उन के शास्‍त्रियोंके समान नहीं परन्‍तु अधिक्कारनेी की नाई उन्‍हें उपकेश देता या।।

Chapter 8

1. जब वह उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 
2. और देखो, एक कोढ़ी ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा; कि हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है। 
3. यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ, और कहा, मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा और वह तुरन्‍त कोढ़ से शुद्ध हो गया। 
4. यीशु ने उस से कहा; देख, किसी से न कहना परन्‍तु जाकर अपके आप को याजक को दिखला और जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा, ताकि उन के लिथे गवाही हो। 
5. और जब वह कफरनहूम में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उस से बिनती की। 
6. कि हे प्रभु, मेरा सेवक घर में फोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है। 
7. उस ने उस से कहा; मैं आकर उसे चंगा करूंगा। 
8. सूबेदार ने उत्तर दिया; कि हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए, पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। 
9. क्‍योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक से कहता हूं, जा, तो वह जाता है; और दूसरे को कि आ, तो वह आता है; और अपके दास से कहता हूं, कि यह कर, तो वह करता है। 
10. यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। 
11. और मैं तुम से कहता हूं, कि बहुतेरे पूर्व और पश्‍चिम से आकर इब्राहीम और इसहाक और याकूब के साय स्‍वर्ग के राज्य में बैठेंगे। 
12. परन्‍तु राज्य के सन्‍तान बाहर अन्‍धिक्कारने में डाल दिए जाएंगे: वहां रोना और दांतोंका पीसना होगा। 
13. और यीशु ने सूबेदार से कहा, जो; जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिथे हो: और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया।। 
14. और यीशु ने पतरस के घर में आकर उस की सांस को ज्‍वर में पड़ी देखा। 
15. उस ने उसका हाथ छूआ और उसका ज्‍वर उतर गया; और वह उठकर उस की सेवा करने लगी। 
16. जब संध्या हुई तब वे उसके पास बहुत से लोगोंको लाए जिन में दुष्‍टात्क़ाएं यीं और उस ने उन आत्क़ाओं को अपके वचन से निकाल दिया, और सब बीमारोंको चंगा किया। 
17. ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा का गया या वह पूरा हो, कि उस ने आप हमारी र्दुबलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियोंको उठा लिया।। 
18. यीशु ने अपक्की चारोंओर एक बड़ी भीड़ देखकर उस पार जाने की आज्ञा दी। 
19. और एक शास्त्री ने पास आकर उस से कहा, हे गुरू, जहां कहीं तू जाएगा, मैं तेरे पीछे पीछे हो लूंगा। 
20. यीशु ने उस से कहा, लोमडिय़ोंके भट और आकाश के पझियोंके बसेरे होते हैं; परन्‍तु मनुष्य के पुत्र के लिथे सिर धरने की भी जगह नहीं है। 
21. एक और चेले ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे पहिले जाने दे, कि अपके पिता को गाढ़ दूं। 
22. यीशु ने उस से कहा, तू मेरे पीछे हो ले; और मुरदोंको अपके मुरदे गाड़ने दे।। 
23. जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए। 
24. और देखो, फील में एक एसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरोंसे ढंपके लगी; और वह सो रहा या। 
25. तब उन्‍होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, हे प्रभु, हमें बचा, हम नाश हुए जाते हैं। 
26. उस ने उन से कहा; हे अल्पविश्वासियों, क्‍योंडरते हो तब उस ने उठकर आन्‍धी और पानी को डांटा, और सब शान्‍त हो गया। 
27. और लोग अचम्भा करके कहने लगे कि यह कैसा मनुष्य है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं। 
28. जब वह उस पार गदरेनियोंके देश में पहुंचा, तो दो मनुष्य जिन में दुष्‍टात्क़ाएं यीं कब्रोंसे निकलते हुए उसे मिले, जो इतने प्रचण्‍ड थे, कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता या। 
29. और देखो, उन्‍होंने चिल्लाकर कहा; हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्‍या कहा क्‍या तू समय से पहिले हमें दु:ख देने यहां आया है 
30. उन से कुछ दूर बहुत से सूअरोंका फुण्‍ड चर रहा या। 
31. दुष्‍टात्क़ाओं ने उस से यह कहकर बिनती की, कि यदि तू हमें निकालता है, तो सूअरोंके फुण्‍ड में भेज दे। 
32. उस ने उन से कहा, जाओ, वे निकलकर सूअरोंमें पैठ गए और देखो, सारा फुण्‍ड कड़ाड़े पर से फपटकर पानी में जा पड़ा और डूब मरा। 
33. और चरवाहे भागे, और नगर में जाकर थे सब बातें और जिन में दुष्‍टात्क़ाएं भीं उन का सारा हाल कह सुनाया। 
34. और देखो, सारे नगर के लोगे यीशु से भेंट करने को निकल आए और उसे देखकर बिनती की, कि हमारे सिवानोंसे बाहर निकल जा।।

Chapter 9

1. फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया; और अपके नगर में आया। 
2. और देखो, कई लोग एक फोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस फोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, ढाढ़स बान्‍ध; तेरे पाप झमा हुए। 
3. और देखो, कई शास्‍त्रियोंने सोचा, कि यह तो परमेश्वर की निन्‍दा करता है। 
4. यीशु ने उन के मन की बातें मालूम करके कहा, कि तुम लोग अपके अपके मन में बुरा विचार क्‍योंकर रहे हो 
5. सहज क्‍या है, यह कहना, कि तेरे पाप झमा हुए; या यह कहना कि उठ और चल फिर। 
6. परन्‍तु इसलिथे कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृय्‍वी पर पाप झमा करने का अधिक्कारने है (उस ने फोले के मारे हुए से कहा ) उठ: अपक्की खाट उठा, और अपके घर चला जा। 
7. वह उठकर अपके घर चला गया। 
8. लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिस ने मनुष्योंको ऐसा अधिक्कारने दिया है।। 
9. वहां से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नाम एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। वह उठकर उसके पीछे हो लिया।। 
10. और जब वह घर में भोजन करने के लिथे बैठा तो बहुतेरे महसूल लेनेवालोंऔर पापी आकर यीशु और उसके चेलोंके साय खाने बैठे। 
11. यह देखकर फरीसियोंने उसके चेलोंसे कहा; तुम्हारा गुरू महसूल लेनेवालोंऔर पापियोंके साय क्‍योंखाता है 
12. उस ने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगोंको नहीं परन्‍तु बीमारोंको अवश्य है। 
13. सो तुम जाकर इस का अर्य सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्‍तु दया चाहता हूं; क्‍योंकि मैं धमिर्योंको नहीं परन्‍तु पापियोंको बुलाने आया हूं।। 
14. तब यूहन्ना के चेलोंने उसके पास आकर कहा; क्‍या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते 
15. यीशु ने उन से कहा; क्‍या बराती, जब तक दुल्हा उन के साय है शोक कर सकते हैं पर वे दिन आएंगे कि दूल्हा उन से अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे। 
16. कोरे कपके का पैबन्‍द पुराने पहिरावन पर कोई नहीं लगाता, क्‍योंकि वह पैबन्‍द पहिरावन से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है। 
17. और नया दाखरस पुरानी मशकोंमें नहीं भरते हैं; क्‍योंकि ऐसा करने से मश्‍कें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्‍तु नया दाखरस नई मश्‍कोंमें भरते हैं और वह दोनोंबची रहती हैं। 
18. वह उन से थे बातें कह ही रहा या, कि देखो, एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्‍तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी। 
19. यीशु उठकर अपके चेलोंसमेत उसके पीछे हो लिया। 
20. और देखो, एक स्त्री ने जिस के बारह वर्ष से लोहू बहता या, उसके पीछे से आकर उसके वस्‍त्र के आंचल को छू लिया। 
21. क्‍योंकि वह अपके मन में कहती यी कि यदि मैं उसके वस्‍त्र ही को छू लूंबी तो चंगी हो जाऊंगी। 
22. यीशु ने फिरकर उसे देखा, और कहा; पुत्री ढाढ़स बान्‍ध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; सो वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई। 
23. जब यीशु उस सरदार के घर में पहुंचा और बांसली बजानेवालोंऔर भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा तब कहा। 
24. हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है; इस पर वे उस की हंसी करने लगे। 
25. परन्‍तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उस ने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी। 
26. और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई। 
27. जब यीशु वहां से आगे बढ़ा, तो दो अन्‍धे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, कि हे दाऊद की सन्‍तान, हम पर दया कर। 
28. जब वह घर में पहुंचा, तो वे अन्‍धे उस के पास आए; और यीशु ने उन से कहा; क्‍या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं उन्‍होंने उस से कहा; हां प्रभु। 
29. तब उस ने उन की आंखे छूकर कहा, तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिथे हो। 
30. और उन की आंखे खुल गई और यीशु ने उन्‍हें चिताकर कहा; सावधान, कोई इस बात को न जाने। 
31. पर उन्‍होंने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।। 
32. जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूंगे को जिस में दुष्‍टात्क़ा यी उस के पास लाए। 
33. और जब दुष्‍टात्क़ा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा; और भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया। 
34. परन्‍तु फरीसियोंने कहा, यह तो दुष्‍टात्क़ाओं के सरदार की सहाथता से दुष्‍टात्क़ओं को निकालता है।। 
35. और यीशु सब नगरोंऔर गांवोंमें फिरता रहा और उन की सभाओं में उपकेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और र्दुबलता को दूर करता रहा। 
36. जब उस ने भीड़ को देखा तो उस को लोगोंपर तरस आया, क्‍योंकि वे उन भेड़ोंकी नाई जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे। 
37. तब उस ने अपके चेलोंसे कहा, पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर योड़े हैं। 
38. इसलिथे खेत के स्‍वामी से बिनती करो कि वह अपके खेत काटने के लिथे मजदूर भेज दे।।

Chapter 10

1. फिर उस ने अपके बारह चेलोंको पास बुलाकर, उन्‍हें अशुद्ध आत्क़ाओं पर अधिक्कारने दिया, कि उन्‍हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियोंऔर सब प्रकार की र्दुबलताओं को दूर करें।। 
2. और बारह प्रेरितोंके नाम थे हैं: पहिला शमौन, जो पतरस कहलाता है, और उसका भाई अन्‍द्रियास; जब्‍दी का पुत्र याकूब, और उसका भाई यूहन्ना; 
3. फिरिलप्‍पुस और बर-तुल्मै योमा और महसूल लेनेवाला मत्ती, हलफै का पुत्र याकूब और तद्दै। 
4. शमौन कनानी, और यहूदा इस्‍किरयोती, जिस ने उसे पकड़वा भी दिया।। 
5. इन बारहोंको यीशु ने यह आज्ञा देकर भेजा कि अन्यजातियोंकी ओर न जाना, और सामरियोंके किसी नगर में प्रवेश न करना। 
6. परन्‍तु इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ोंके पास जाना। 
7. और चलते चलते प्रचार कर कहो कि स्‍वर्ग का राज्य निकट आ गया है। 
8. बीमारोंको चंगा करो: मरे हुओं को जिलाओ: कोढिय़ोंको शुद्ध करो: दुष्‍टात्क़ाओं को निकालो: तुम ने सेंतमेंत पाया है, सेंतमेंत दो। 
9. अपके पटुकोंमें न तो सोना, और न रूपा, और न तांबा रखना। 
10. मार्ग के लिथे न फोली रखो, न दो कुरते, न जूते और न लाठी लो, क्‍योंकि मजदूर को उसका भोजन मिलना चाहिए। 
11. जिस किसी नगर या गांव में जाओ तो पता लगाओ कि वहां कौन योग्य है और जब तक वहां से न निकलो, उसी के यहां रहो। 
12. और घर में प्रवेश करते हुए उस को आशीष देना। 
13. यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुंचेगा परन्‍तु यदि वे योगय न होंतो तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आएगा। 
14. और जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपके पांवोंकी धूल फाड़ डालो। 
15. मैं तुम से सच कहता हूं, कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और अमोरा के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी।। 
16. देखो, मैं तुम्हें भेड़ोंकी नाई भेडिय़ोंके बीच में भेजता हूं सो सांपोंकी नाई बुद्धिमान और कबूतरोंकी नाई भोले बनो। 
17. परन्‍तु लोगोंसे सावधान रहो, क्‍योंकि वे तुम्हें महासभाओं में सौपेंगे, और अपक्की पंचायत में तुम्हें कोड़े मारेंगे। 
18. तुम मेरे लिथे हाकिमोंओर राजाओं के साम्हने उन पर, और अन्यजातियोंपर गवाह होने के लिथे पहुंचाए जाओगे। 
19. जब वे तुम्हें पकड़वाएंगे तो यह चिन्‍ता न करता, कि हम किस रीति से; या क्‍या कहेंगे: क्‍योंकि जो कुछ तुम को कहना होगा, वह उसी घड़ी तुम्हें बता दिया जाएगा। 
20. क्‍योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो परन्‍तु तुम्हारे पिता का आत्क़ा तुम में बोलता है। 
21. भाई, भाई को और पिता पुत्र को, घात के लिथे सौंपेंगे, और लड़केबाले माता-पिता के विरोध में उठकर उन्‍हें मरवा डालेंगे। 
22. मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, पर जो अन्‍त तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा। 
23. जब वे तुम्हें एक नगर में सताएं, तो दूसरे को भाग जाना। मैं तुम से सच कहता हूं, तुम इस्राएल के सब नगरोंमें न फिर चुकोगे कि मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।। 
24. चेला अपके गुरू से बड़ा नहीं; और न दास अपके स्‍वामी से। 
25. चेले का गुरू के, और दास का स्‍वामी के बाराबर होना ही बहुत है; जब उन्‍होंने घर के स्‍वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालोंको क्‍योंन कहेंगे 
26. सो उन से मत डरना, क्‍योंकि कुछ ढपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा। 
27. जो मैं तुम से अन्‍धिक्कारने मे कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानोंकान सुनते हो, उसे कोठोंपर से प्रचार करो। 
28. जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्क़ा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्क़ा और शरीर दोनोंको नरक में नाश कर सकता है। 
29. क्‍या पैसे मे दो गौरैथे नहीं बिकती तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। 
30. तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। 
31. इसलिथे, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयोंसे बढ़कर हो। 
32. जो कोई मनुष्योंके साम्हने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी स्‍वर्गीय पिता के साम्हने मान लूंगा। 
33. पर जो कोई मनुष्योंके साम्हने मेरा इन्‍कार करेगा उस से मैं भी अपके स्‍वर्गीय पिता के साम्हने इन्‍कार करूंगा। 
34. यह न समझो, कि मैं पृय्‍वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं। 
35. मैं तो आया हूं, कि मनुष्य को उसक पिता से, और बेटी को उस की मां से, और बहू को उस की सास से अलग कर दूं। 
36. मनुष्य के बैरी उसक घर ही के लोग होंगे। 
37. जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं। 
38. और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। 
39. जो अपके प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा। 
40. जो तुम्हें ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है। 
41. जो भविष्यद्वक्ता को भविष्यद्वक्ता जानकर ग्रहण करे, वह भविष्यद्वक्ता का बदला पाएगा; और जो धर्मी जानकर धर्मी को ग्रहण करे, वह धर्मी का बदला पाएगा। 
42. जो कोई इन छोटोंमें से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुम से सच कहता हूं, वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा।।

Chapter 11

1. जब यीशु अपके बारह चेलोंको आज्ञा दे चुका, तो वह उन के नगरोंमें उपकेश और प्रचार करने को वहां से चला गया।। 
2. यूहन्ना ने बन्‍दीगृह में मसीह के कामोंका समाचार सुनकर अपके चेलोंको उस से यह पूछने भेजा। 
3. कि क्‍या आनेवाला तू ही है: या हम दूसरे की बाट जोहें 
4. यीशु ने उत्तर दिया, कि जो कुछ तुम सुनते हो और देखते हो, वह सब जाकर यूहन्ना से कह दो। 
5. कि अन्‍धे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते हैं; कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं; और कंगालोंको सुसमाचार सुनाया जाता है। 
6. और धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए। 
7. जब वे वहां से चल दिए, तो यीशु यूहन्ना के विषय में लोगोंसे कहने लगा; तुम जंगल में क्‍या देखते गए थे क्‍या हवा से हिलते हुए सरकण्‍डे को 
8. फिर तुम क्‍या देखने गए थे देखो, जो कोमल वस्‍त्र पहिनते हैं, वे राजभवनोंमें रहते हैं। 
9. तो फिर क्‍योंगए थे क्‍या किसी भविष्यद्वक्ता को देखने को हां; मैं तुम से कहता हूं, बरन भविष्यद्वक्ता से भी बड़े को। 
10. यह वही है, जिस के विषय में लिखा है, कि देख; मैं अपके दूत को तेरे आगे भेजता हूं, जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा। 
11. मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो स्‍त्रियोंसे जन्क़े हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवालोंसे कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्‍वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उस से बड़ा है। 
12. यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाले के दिनोंसे अब तक स्‍वर्ग के राज्य पर जोर होता रहा है, और बलवाल उसे छीन लेते हैं। 
13. यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्ता और व्यवस्या भविष्यद्ववाणी करते रहे। 
14. और चाहो तो मानो, एलिय्याह जो आनेवाला या, वह यही है। 
15. जिस के सुनने के कान हों, वह सुन ले। 
16. मैं इस समय के लोगोंकी उपमा किस से दूं वे उन बालकोंके समान हैं, जो बाजारोंमें बैठे हुए एक दूसरे से पुकारकर कहते हैं। 
17. कि हम ने तुम्हारे लिथे बांसली बजाई, और तुम न नाचे; हम ने विलाप किया, और तुम ने छाती नहीं पीटी। 
18. क्‍योंकि यूहन्ना न खाता आया और न पीता, और वे कहते हैं कि उस में दुष्‍टात्क़ा है। 
19. मनुष्य का पुत्र खाता-पीता आया, और वे कहते हैं कि देखो, पेटू और पिय?ड़ मनुष्य, महसूल लेनेवालोंऔर पापियोंका मित्र; पर ज्ञान अपके कामोंमें सच्‍चा ठहराया गया है। 
20. तब वह उन नगरोंको उलाहना देने लगा, जिन में उस ने बहुतेरे सामर्य के काम किए थे; क्‍योंकि उन्‍होंने अपना मन नहीं फिराया या। 
21. हाथ, खुराजीन; हाथ, बैतसैदा; जो सामर्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब से मन फिरा लेते। 
22. परन्‍तु मैं तुम से कहता हूं; कि न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी। 
23. और हे कफरनहूम, क्‍या तू स्‍वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा; जो सामर्य के काम तुझ में किए गए है, यदि सदोम में किए जाते, तो वह आज तक बना रहता। 
24. पर मैं तुम से कहता हूं, कि न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी। 
25. उसी समय यीशु ने कहा, हे पिता, स्‍वर्ग और पृय्‍वी के प्रभु; मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातोंको ज्ञानियोंऔर समझदारोंसे छिपा दखा, और बालकोंपर प्रगट किया है। 
26. हां, हे पिता, क्‍योंकि तुझे यही अच्‍छा लगा। 
27. मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे। 
28. हे सब परिश्र्म करनेवालोंऔर बोफ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्रम दूंगा। 
29. मेरा जूआ अपके ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्‍योंकि मैं नम्र और मन में दी हूं: और तुम अपके मन में विश्रम पाओगे। 
30. क्‍योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोफ हल्का है।।

Chapter 12

1. उस समय यीशु सब्‍त के दिन खेतोंमें से होकर जा रहा या, और उसके चेलोंको भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़कर खाने लगे। 
2. फरीसियोंने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्‍त के दिन करना उचित नहीं। 
3. उस ने उन से कहा; क्‍या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके सायी भूखे हुए तो क्‍या किया 
4. वह क्‍योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्‍हें खाना न तो उसे और उसके सायियोंको, पर केवल याजकोंको उचित या 
5. या तुम ने व्यवस्या में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्‍त के दिन मन्‍दिर में सब्‍त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं। 
6. पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्‍दिर से भी बड़ा है। 
7. यदि तुम इस का अर्य जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। 
8. मनुष्य का पुत्र तो सब्‍त के दिन का भी प्रभु है।। 
9. वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया। 
10. और देखो, एक मनुष्य या, जिस का हाथ सूखा हुआ या; और उन्‍होंने उस पर दोष लगाने के लिेय उस से पूछा, कि क्‍या सब्‍त के दिन चंगा करना उचित है 
11. उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक भेड़ हो, और वह सब्‍त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले 
12. भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिथे सब्‍त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा। 
13. उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाई अच्‍छा हो गया। 
14. तब फरीसियोंने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें 
15. यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लागे उसके पीछे हो लिथे; और उस ने सब को चंगा किया। 
16. और उन्‍हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना। 
17. कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो। 
18. कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्क़ा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियोंको न्याय का समाचार देगा। 
19. वह न फगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारोंमें कोई उसका शब्‍द सुनेगा। 
20. वह कुचले हुए सरकण्‍डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुफाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए। 
21. और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी। 
22. तब लोग एक अन्‍धे-गूंगे को जिस में दुष्‍टात्क़ा यी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्‍छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा। 
23. इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्‍या दाऊद की सन्‍तान का है 
24. परन्‍तु फरीसियोंने यह सुनकर कहा, यह तो दुष्‍टात्क़ाओं के सरदार शैतान की सहाथता के बिना दुष्‍टात्क़ाओं को नहीं निकालता। 
25. उस ने उन के मन की बात जानकर उन से कहा; जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिस में फूट होती है, बना न रहेगा।
26. और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य क्‍योंकर बना रहेगा 
27. भला, यदि मैं शैतान की सहाथता से दुष्‍टात्क़ाओं को निकालता हूं, तो तुम्हारे वंश किस की सहाथता से निकालते हैं इसलिथे वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे। 
28. पर यदि मैं परमेश्वर के आत्क़ा की सहाथता से दुष्‍टात्क़ाओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है। 
29. या क्‍योंकर कोई मनुष्य किसी बलवन्‍त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहिले उस बलवन्‍त को न बान्‍ध ले और तब वह उसका घर लूट लेगा। 
30. जो मेरे साय नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साय नहीं बटोरता, वह बियराता है। 
31. इसलिथे मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्‍दा झमा की जाएगी, पर आत्क़ा की निन्‍दा झमा न की जाएगी। 
32. जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध झमा किया जाएगा, परन्‍तु जो कोई पवित्रआत्क़ा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में झमा किया जाएगा। 
33. यदि पेड़ को अच्‍छा कहो, तो उसके फल को भी अच्‍छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो; क्‍योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है। 
34. हे सांप के बच्‍चों, तुम बुरे होकर क्‍योंकर अच्‍छी बातें कह सकते हो क्‍योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है। 
35. भला, मनुष्य मन के भले भण्‍डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्‍डार से बुरी बातें निकालता है। 
36. और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। 
37. क्‍योंकि तू अपक्की बातोंके कारण निर्दोष और अपक्की बातोंही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।। 
38. इस पर कितने शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंने उस से कहा, हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्‍ह देखना चाहते हैं। 
39. उस ने उन्‍हें उत्तर दिया, कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्‍ह ढूंढ़ते हैं; परन्‍तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्‍ह को छोड़ कोई और चिन्‍ह उन को न दिया जाएगा। 
40. यूनुस तीन राज दिन जल जन्‍तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृय्‍वी के भीतर रहेगा। 
41. नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगोंके साय उठकर उन्‍हें दोषी ठहराएंगे, क्‍योंकि उन्‍होंने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से बड़ा है। 
42. दक्‍खिन की रानी न्याय के दिन इस युग के लोगोंके साय उठकर उन्‍हें दोषी ठहराएगी, क्‍योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिथे पृय्‍वी की छोर से आई, और देखो, यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है। 
43. जब अशुद्ध आत्क़ा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहोंमें विश्रम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं। 
44. तब कहती है, कि मैं अपके उसी घर में जहां से निकली यी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, फाड़ा-बुहारा और सजा सजाया पाती है। 
45. तब वह जाकर अपके से और बुरी सात आत्क़ाओं को अपके साय ले आती है, और वे उस में पैठकर वहां वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है; इस युग के बुरे लोगोंकी दशा भी ऐसी ही होगी। 
46. जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा या, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे। 
47. किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं। 
48. यह सुन उस ने कहनेवाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता 
49. और कौन है मेरे भाई और अपके चेलोंकी ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई थे हैं। 
50. क्‍योंकि जो कोई मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्‍छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है।।

Chapter 13

1. उसी दिन यीशु घर से निकलकर फील के किनारे जा बैठा। 
2. और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही। 
3. और उस ने उन से दृष्‍टान्‍तोंमें बहुत सी बातें कही, कि देखो, एक बोनेवाला बीज बोने निकला। 
4. बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पझियोंने आकर उन्‍हें चुग लिया। 
5. कुछ पत्यरीली भूमि पर गिरे, जहां उन्‍हें बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए। 
6. पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए। 
7. कुछ फाडिय़ोंमें गिरे, और फाडिय़ोंने बढ़कर उन्‍हें दबा डाला। 
8. पर कुछ अच्‍छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। 
9. जिस के कान होंवह सुन ले।। 
10. और चेलोंने पास आकर उस से कहा, तू उन से दृष्‍टान्‍तोंमें क्‍योंबातें करता है 
11. उस ने उत्तर दिया, कि तुम को स्‍वर्ग के राज्य के भेदोंकी समझ दी गई है, पर उन को नहीं। 
12. क्‍योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिस के पास कुछ नहीं है, उस से जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा। 
13. मैं उन से दृष्‍टान्‍तोंमें इसलिथे बातें करता हूं, कि वे देखते हुए नहीं देखते; और सुनते हुए नहीं सुनते; और नहीं समझते। 
14. और उन के विषय में यशायाह की यह भविष्यद्ववाणी पूरी होती है, कि तुम कानोंसे तो सुनोगे, पर समझोगे नहीं; और आंखोंसे तो देखोगे, पर तुम्हें न सूफेगा। 
15. क्‍योंकि इन लोगोंका मन मोटा हो गया है, और वे कानोंसे ऊंचा सुनते हैं और उन्‍होंने अपक्की आंखें मूंद लीं हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आंखोंसे देखें, और कानोंसे सुनें और मन से समझें, और फिर जाएं, और मैं उन्‍हें चंगा करूं। 
16. पर धन्य है तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं। 
17. क्‍योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं ने और धमिर्योंने चाहा कि जो बातें तुम देखते हो, देखें पर न देखीं; और जो बातें तुम सुनते हो, सुनें, पर न सुनीं। 
18. सो तुम बानेवाले का दृष्‍टान्‍त सुनो। 
19. जो कोई राज्य का वचन सुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया या, उसे वह दुष्‍ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया या। 
20. और जो पत्यरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्‍त आनन्‍द के साय मान लेता है। 
21. पर अपके में जड़ न रखने के कारण वह योड़े ही दिन का है, और जब वचन के कारण क्‍लेश या उपद्रव होता है, तो तुरन्‍त ठोकर खाता है। 
22. जो फाडिय़ोंमें बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्‍ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। 
23. जो अच्‍छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। 
24. उस ने उन्‍हें एक और दृष्‍टान्‍त दिया कि स्‍वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिस ने अपके खेत में अच्‍छा बीज बोया। 
25. पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूं के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। 
26. जब अंकुर निकले और बालें लगी, तो जंगली दाने भी दिखाई दिए। 
27. इस पर गृहस्य के दासोंने आकर उस से कहा, हे स्‍वामी, क्‍या तू ने अपके खेत में अच्‍छा बीज न बोया या फिर जंगती दाने के पौधे उस में कहां से आए 
28. उस ने उन से कहा, यह किसी बैरी का काम है। दासोंने उस से कहा क्‍या तेरी इच्‍छा है, कि हम जाकर उन को बटोर लें 
29. उस ने कहा, ऐसा नहीं, न हो कि जंगती दाने के पौधे बटोरते हुए उन के साय गेहूं भी उखाड़ लो। 
30. कटनी तक दोनोंको एक साय बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालोंसे कहूंगा; पहिले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिथे उन के गट्ठे बान्‍ध लो, और गेहूं को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।। 
31. उस ने उन्‍हें एक और दृष्‍टान्‍त दिया; कि स्‍वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपके खेत में बो दिया। 
32. वह सब बीजोंसे छोटा तो है पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्की आकर उस की डालियोंपर बसेरा करते हैं।। 
33. उस ने एक और दृष्‍टान्‍त उन्‍हें सुनाया; कि स्‍वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिस को किसी स्त्री ने लेकर तीन पकेरी आटे में मिला दिया और होते होते वह सब खमीर हो गया।। 
34. थे सब बातें यीशु ने दृष्‍टान्‍तोंमें लोगोंसे कहीं, और बिना दृष्‍टान्‍त वह उन से कुछ न कहता या। 
35. कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो कि मैं दृष्‍टान्‍त कहने को अपना मुंह खोलूंगा: मैं उन बातोंको जो जगत की उत्‍पत्ति से गुप्‍त रही हैं प्रगट करूंगा।। 
36. तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलोंने उसके पास आकर कहा, खेत के जंगली दाने का दृष्‍टान्‍त हमें समझा दे। 
37. उस ने उन को उत्तर दिया, कि अच्‍छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। 
38. खेत संसार है, अच्‍छा बीज राज्य के सन्‍तान, और जंगली बीज दुष्‍ट के सन्‍तान हैं। 
39. जिस बैरी ने उन को बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्‍त है: और काटनेवाले स्‍वर्गदूत हैं। 
40. सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्‍त में होगा। 
41. मनुष्य का पुत्र अपके स्‍वर्गदूतोंको भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणोंको और कुकर्म करनेवालोंको इकट्ठा करेंगे। 
42. और उन्‍हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा। 
43. उस समय धर्मी अपके पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे; जिस के कान होंवह सुन ले।। 
44. स्‍वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और मारे आनन्‍द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।। 
45. फिर स्‍वर्ग का राज्य एक व्योपारी के समान है जो अच्‍छे मोतियोंकी खोज में या। 
46. जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उस ने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।। 
47. फिर स्‍वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछिलयोंको समेट लाया। 
48. और जब भर गया, तो उस को किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्‍छी अच्‍छी तो बरतनोंमें इकट्ठा किया और निकम्मी, निकम्मीं फेंक दी। 
49. जगत के अन्‍त में ऐसा ही होगा: स्‍वर्गदूत आकर दुष्‍टोंको धमिर्योंसे अलग करेंगे, और उन्‍हें आग के कुंड में डालेंगे। 
50. वहां रोना और दांत पीसना होगा। 
51. क्‍या तुम ने थे सब बातें समझीं 
52. उन्‍होंने उस से कहा, हां; उस ने उन से कहा, इसलिथे हर एक शास्त्री जो स्‍वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्य के समान है जो अपके भण्‍डार से नई और पुरानी वस्‍तुएं निकालता है।। 
53. जब यीशु ने सब दृष्‍टान्‍त कह चुका, तो वहां से चला गया। 
54. और अपके देश में आकर उन की सभा में उन्‍हें ऐसा उपकेश देने लगा; कि वे चकित होकर कहने लगे; कि इस को यह ज्ञान और समर्य के काम कहां से मिले 
55. क्‍या यह बढ़ई का बेटा नहीं और क्‍या इस की माता का नाम मरियम और इस के भाइयोंके नाम याकूब और यूसुफ और शमौन और यहूदा नहीं 
56. और क्‍या इस की सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहती फिर इस को यह सब कहां से मिला 
57. सो उन्‍होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उन से कहा, भविष्यद्वक्ता अपके देश और अपके घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता। 
58. और उस ने वहां उन के अविश्वास के कारण बहुत सामर्य के काम नहीं किए।।

Chapter 14

1. उस समय चौयाई देश के राजा हेरोदेस ने यीशु की चर्चा सुनी। 
2. और अपके सेवकोंसे कहा, यह यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाला है: वह मरे हुओं में से जी उठा है, इसी लिथे उस से सामर्य के काम प्रगट होते हैं। 
3. क्‍योंकि हेरोदेस ने अपके भाई फिलप्‍पुस की पत्‍नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बान्‍धा, और जेलखाने में डाल दिया या। 
4. क्‍योंकि यूहन्ना ने उस से कहा या, कि इस को रखना तुझे उचित नहीं है। 
5. और वह उसे मार डालना चाहता या, पर लोगोंसे डरता या, क्‍योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे। 
6. पर जब हेरोदेस का जन्क़ दिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्‍सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया। 
7. इसलिथे उस ने शपय खाकर वचन दिया, कि जो कुछ तू मांगेगी, मैं तुझे दूंगा। 
8. वह अपक्की माता की उस्‍काई हुई बोली, यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाले का सिर याल में यहीं मुझे मंगवा दे। 
9. राजा दुखित हुआ, पर अपक्की शपय के, और साय बैठनेवालोंके कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए। 
10. और जेलखाने में लोगोंको भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया। 
11. और उसका सिर याल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उस को अपक्की मां के पास ले गई। 
12. और उसके चेलोंने आकर और उस की लोय को ले जाकर गाढ़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया।। 
13. जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्‍त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। 
14. उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारोंको चंगा किया। 
15. जब सांफ हुई, तो उसके चेलोंने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगोंको विदा किया जाए कि वे बस्‍तियोंमें जाकर अपके लिथे भोजन मोल लें। 
16. यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्‍हें खाने को दो। 
17. उन्‍होंने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयोंको छोड़ और कुछ नहीं है। 
18. उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ। 
19. तब उस ने लोगोंको घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियोंऔर दो मछिलयोंको लिया; और स्‍वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलोंको दीं, और चेलोंने लोगोंको। 
20. और सब खाकर तृप्‍त हो गए, और उन्‍होंने बचे हुए टुकड़ोंसे भरी हुई बारह टोकिरयां उठाई। 
21. और खानेवाले स्‍त्रियोंऔर बालकोंको छोड़कर पांच हजार पुरूषोंके अटकल थे।। 
22. और उस ने तुरन्‍त अपके चेलोंको बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगोंको विदा करे। 
23. वह लोगोंको विदा करके, प्रार्यना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांफ को वहां अकेला या। 
24. उस समय नाव फील के बीच लहरोंसे डगमगा रही यी, क्‍योंकि हवा साम्हने की यी। 
25. और वह रात के चौथे पहर फील पर चलते हुए उन के पास आया। 
26. चेले उस को फील पर चलते हुए देखकर घबरा गए! और कहने लगे, वह भूत है; और डार के मारे चिल्ला उठे। 
27. यीशु ने तुरन्‍त उन से बातें की, और कहा; ढाढ़स बान्‍धो; मैं हूं; डरो मत। 
28. पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपके पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे। 
29. उस ने कहा, आ: तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा। 
30. पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा, तो चिल्लाकर कहा; हे प्रभु, मुझे बचा। 
31. यीशु ने तुरन्‍त हाथ बढ़ाकर उसे याम लिया, और उस से कहा, हे अल्प-विश्वासी, तू ने क्‍योंसन्‍देह किया 
32. जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा यम गई। 
33. इस पर जो नाव पर थे, उन्‍होंने उसे दण्‍डवत करके कहा; सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है।। 
34. वे पार उतरकर गन्नेसरत देश में पहुंचे। 
35. और वहां के लोगोंने उसे पहचानकर आस पास के सारे देश में कहला भेजा, और सब बीमारोंको उसके पास लाए। 
36. और उस से बिनती करने लगे, कि वह उन्‍हें अपके वस्‍त्र के आंचल ही को छूने दे: और जितनोंने उसे छूआ, वे चंगे हो गए।।

Chapter 15

1. तब यरूशलेम से कितने फरीसी और शास्त्री यीशु के पास आकर कहने लगे। 
2. तेरे चेले पुरिनयोंकी रीतोंको क्‍योंटालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं 
3. उस ने उन को उत्तर दिया, कि तुम भी अपक्की रीतोंके कारण क्‍योंपरमेश्वर की आज्ञा टालते हो 
4. क्‍योंकि परमेश्वर ने कहा या, कि अपके पिता और अपक्की माता का आदर करना: और जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए। 
5. पर तुम कहते हो, कि यदि कोई अपके पिता या माता से कहे, कि जो कुछ तुझे मुझ से लाभ पहुंच सकता या, वह परमेश्वर को भेंट चढ़ाई जा चुकी। 
6. तो वह अपके पिता का आदर न करे, सो तुम ने अपक्की रीतोंके कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया। 
7. हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की। 
8. कि थे लोग होठोंसे तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है। 
9. और थे व्यर्य मेरी उपासना करते हैं, क्‍योंकि मनुष्य की विधियोंको धर्मोपकेश करके सिखाते हैं। 
10. और उस ने लोगोंको अपके पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो। 
11. जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 
12. तब चेलोंने आकर उस से कहा, क्‍या तू जानता है कि फरीसियोंने यह वचन सुनकर ठोकर खाई 
13. उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्‍वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा। 
14. उन को जाने दो; वे अन्‍धे मार्ग दिखानेवाले हैं: और अन्‍धा यदि अन्‍धे को मार्ग दिखाए, तो दोनोंगड़हे में गिर पकेंगे। 
15. यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्‍टान्‍त हमें समझा दे। 
16. उस ने कहा, क्‍या तुम भी अब तक ना समझ हो 
17. क्‍या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्‍डास में निकल जाता है 
18. पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 
19. क्‍योंकि कुचिन्‍ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, फूठी गवाही और निन्‍दा मन ही से निकलती है। 
20. यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्‍तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।। 
21. यीशु वहां से निकलकर, सूर और सैदा के देशोंकी ओर चला गया। 
22. और देखो, उस देश से एक कनानी स्त्री निकली, और चिल्लाकर कहने लगी; हे प्रभु दाऊद के सन्‍तान, मुझ पर दया कर, मेरी बेटी को दुष्‍टात्क़ा बहुत सता रहा है। 
23. पर उस ने उसे कुछ उत्तर न दिया, और उसके चेलोंने आकर उस से बिनती कर कहा; इसे विदा कर; क्‍योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है। 
24. उस ने उत्तर दिया, कि इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ोंको छोड़ मैं किसी के पास नहीं भेजा गया। 
25. पर वह आई, और उसे प्रणाम करके कहने लगी; हे प्रभु, मेरी सहाथता कर। 
26. उस ने उत्तर दिया, कि लड़कोंकी रोटी लेकर कुत्तोंके आगे डालना अच्‍छा नहीं। 
27. उस ने कहा, सत्य है प्रभु; पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उन के स्‍वामियोंकी मेज से गिरते हैं। 
28. इस पर यीशु ने उस को उत्तर देकर कहा, कि हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है: जैसा तू चाहती है, तेरे लिथे वैसा ही हो; और उस की बेटी उसी घड़ी चंगी हो गई।। 
29. यीशु वहां से चलकर, गलील की फील के पास आया, और पहाड़ पर चढ़कर वहां बैठ गया। 
30. और भीड़ पर भीड़ लंगड़ों, अन्‍धों, गूंगों, टुंड़ों, और बहुत औरोंको लेकर उसके पास आए; और उन्‍हें उसके पांवोंपर डाल दिया, और उस ने उन्‍हें चंगा किया। 
31. सो जब लोगोंने देखा, कि गूंगे बोलते और टुण्‍डे चंगे होते और लंगड़े चलते और अन्‍धे देखते हैं, तो अचम्भा करके इस्राएल के परमेश्वर की बड़ाई की।। 
32. यीशु ने अपके चेलोंको बुलाकर कहा, मुझे इस भीड़ पर तरस आता है; क्‍योंकि वे तीन दिन से मेरे साय हैं और उन के पास कुछ खाने को नहींं; और मैं उन्‍हें भूखा विदा करना नहीं चाहता; कहीं ऐसा न हो कि मार्ग में यककर रह जाएं। 
33. चेलोंने उस से कहा, हमें जंगल में कहां से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्‍त करें 
34. यीशु ने उन से पूछा, तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं उन्‍होंने कहा; सात और योड़ी सी छोटी मछिलयां। 
35. तब उस ने लोगोंको भूमि पर बैठने की आज्ञा दी। 
36. और उन सात रोटियोंऔर मछिलयोंको ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपके चेलोंको देता गया; और चेले लोगोंको। 
37. सो सब खाकर तृप्‍त हो गए और बचे हुए टुकड़ोंसे भरे हुए सात टोकरे उठाए। 
38. और खानेवाले स्‍त्रियोंऔर बालकोंको छोड़ चार हजार पुरूष थे। 
39. तब वह भीड़ को विदा करके नाव पर चढ़ गया, और मगदन देश के सिवानोंमें आया।।

Chapter 16

1. और फरीसियोंऔर सदूकियोंने पास आकर उसे परखने के लिथे उस से कहा, कि हमें आकाश का कोई चिन्‍ह दिखा। 
2. उस ने उन को उत्तर दिया, कि सांफ को तुम कहते हो कि खुला रहेगा क्‍योंकि आकाश लाल है। 
3. और भोर को कहते हो, कि आज आन्‍धी आएगी क्‍योंकि आकाश लाल और धुमला है; तुम आकाश का लझण देखकर भेद बता सकते हो पर समयोंके चिन्‍होंको भेद नहीं बता सकते 
4. इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्‍ह ढूंढ़ते हैं पर यूनुस के चिन्‍ह को छोड़ कोई और चिन्‍ह उन्‍हें न दिया जाएगा, और वह उन्‍हें छोड़कर चला गया।। 
5. और चेले पार जाते समय रोटी लेना भूल गए थे। 
6. यीशु ने उन से कहा, देखो; फरीसियोंऔर सदूकियोंके खमीर से चौकस रहना। 
7. वे आपस में विचार करने लगे, कि हम तो रोटी नहीं लाए। 
8. यह जानकर, यीशु ने उन से कहा, हे अल्पविश्वासियों, तुम आपस में क्‍योंविचार करते हो कि हमारे पास रोटी नहीं 
9. क्‍या तुम अब तक नहीं समझे और उन पांच हजार की पांच रोटी स्क़रण नहीं करते, और न यह कि कितनी टोकिरयां उठाईं यीं 
10. और न उन चार हजार की सात रोटी; और न यह कि कितने टोकरे उठाए गए थे 
11. तुम क्‍योंनहीं समझते कि मैं ने तुम से रोटियोंके विषय में नहीं कहा फरीसियोंऔर सदूकियोंके खमीर से चौकस रहना। 
12. तब उन को समझ में आया, कि उस ने रोटी के खमीर से नहीं, पर फरीसियोंऔर सदूकियोंकी शिझा से चौकस रहने को कहा या। 
13. यीशु कैसरिया फिलिप्पी के देश में आकर अपके चेलोंसे पूछने लगा, कि लोग मनुष्य के पुत्र को क्‍या कहते हैं 
14. उन्‍होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं। 
15. उस ने उन से कहा; परन्‍तु तुम मुझे क्‍या कहते हो 
16. शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है। 
17. यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्‍योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्‍तु मेरे पिता ने जो स्‍वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। 
18. और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्यर पर अपक्की कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। 
19. मैं तुझे स्‍वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृय्‍वी पर बान्‍धेगा, वह स्‍वर्ग में बन्‍धेगा; और जो कुछ तू पृय्‍वी पर खोलेगा, वह स्‍वर्ग में खुलेगा। 
20. तब उस ने चेलोंको चिताया, कि किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूं। 
21. उस समय से यीशु अपके चेलोंको बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरिनयोंऔर महाथाजकोंऔर शास्‍त्रियोंके हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं। 
22. इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर फिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा। 
23. उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिथे ठोकर का कारण है; क्‍योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्योंकी बातोंपर मन लगाता है। 
24. तब यीशु ने अपके चेलोंसे कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपके आप का इन्‍कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले। 
25. क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिथे अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। 
26. यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे, और अपके प्राण की हाति उठाए, तो उसे क्‍या लाभ होगा या मनुष्य अपके प्राण के बदले में क्‍या देगा 
27. मनुष्य का पुत्र अपके स्‍वर्गदूतोंके साय अपके पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामोंके अनुसार प्रतिफल देगा। 
28. मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्‍वाद कभी न चखेंगे।

Chapter 17

1. छ: दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना को साय लिया, और उन्‍हें एकान्‍त में किसी ऊंचे पहाड़ पर ले गया। 
2. और उनके साम्हने उसका रूपान्‍तर हुआ और उसका मुंह सूर्य की नाई चमका और उसका वस्‍त्र ज्योति की नाईं उजला हो गया। 
3. और देखो, मूसा और एलिय्याह उसके साय बातें करते हुए उन्‍हें दिखाई दिए। 
4. इस पर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, हमारा यहां रहना अच्‍छा है; इच्‍छा हो तो यहां तीन मण्‍डप बनाऊं; एक तेरे लिथे, एक मूसा के लिथे, और एक एलिय्याह के लिथे। 
5. वह बोल ही रहा या, कि देखो, एक उजले बादल ने उन्‍हें छा लिया, और देखो; उस बादल में से यह शब्‍द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूं: इस की सुनो। 
6. चेले यह सुनकर मुंह के बल गिर गए और अत्यन्‍त डर गए। 
7. यीशु ने पास आकर उन्‍हें छूआ, और कहा, उठो; डरो मत। 
8. तब उन्‍होंने अपक्की आंखे उठाकर यीशु को छोड़ और किसी को न देखा। 
9. जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने उन्‍हें यह आज्ञा दी; कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से न जी उठे तब तक जो कुछ तुम ने देखा है किसी से न कहना। 
10. और उसके चेलोंने उस से पूछा, फिर शास्त्री क्‍योंकहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है 
11. उस ने उत्तर दिया, कि एलिय्याह तो आएगा: और सब कुछ सुधारेगा। 
12. परन्‍तु मैं तुम से कहता हूं, कि एलिय्याह आ चुका; और उन्‍होंने उसे नहीं पहचाना; परन्‍तु जैसा चाहा वैसा ही उसके साय किया: इसी रीति से मनुष्य का पुत्र भी उन के हाथ से दुख उठाएगा। 
13. तब चेलोंने समझा कि उस ने हम से यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाले के विषय में कहा है। 
14. जब वे भीड़ के पास पहुंचे, तो एक मनुष्य उसके पास आया, और घुटने टेककर कहने लगा। 
15. हे प्रभु, मेरे पुत्र पर दया कर; क्‍योंकि उस को मिर्गी आती है: और वह बहुत दुख उठाता है; और बार बार आग में और बार बार पानी में गिर पड़ता है। 
16. और मैं उस को तेरे चेलोंके पास लाया या, पर वे उसे अच्‍छा नहीं कर सके। 
17. यीशु ने उत्तर दिया, कि हे अविश्वासी और हठीले लोगोंमैं कब तक तुम्हारे साय रहूंगा कब तक तुम्हारी सहूंगा उसे यहां मेरे पास लाओ। 
18. तब यीशु ने उसे घुड़का, और दुष्‍टात्क़ा उस में से निकला; और लड़का उसी घड़ी अच्‍छा हो गया। 
19. तब चेलोंने एकान्‍त में यीशु के पास आकर कहा; हम इसे क्‍योंनहीं निकाल सके 
20. उस ने उन से कहा, अपके विश्वास की घटी के कारण: क्‍योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे, कि यहां से सरककर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिथे अन्‍होनी न होगी। 
21. जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा; मनुष्य का पुत्र मनुष्योंके हाथ में पकड़वाया जाएगा। 
22. और वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा। 
23. इस पर वे बहुत उदास हुए।। 
24. जब वे कफरनहूम में पहुंचे, तो मन्‍दिर के लिथे कर लेनेवालोंने पतरस के पास आकर पूछा, कि क्‍या तुम्हारा गुरू मन्‍दिर का कर नहीं देता उस ने कहा, हां देता तो है। 
25. जब वह घर में आया, तो यीशु ने उसके पूछने से पहिले उस से कहा, हे शमौन तू क्‍या समझता है पृय्‍वी के राजा महसूल या कर किन से लेते हैं अपके पुत्रोंसे या परायोंसे पतरस ने उन से कहा, परायोंसे। 
26. यीशु न उस से कहा, तो पुत्र बच गए। 
27. तौभी इसलिथे कि हम उन्‍हें ठोकर न खिलाएं, तू फील के किनारे जाकर बंसी डाल, और जो मछली पहिले निकले, उसे ले; तो तुझे उसका मुंह खोलने पर एक सि?ा मिलेगा, उसी को लेकर मेरे और अपके बदले उन्‍हें दे देना।।

Chapter 18

1. उसी घड़ी चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, कि स्‍वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है 
2. इस पर उस ने एक बालक को पास बुलाकर उन के बीच में खड़ा किया। 
3. और कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम न फिरो और बालकोंके समान न बनो, तो स्‍वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे। 
4. जो कोई अपके आप को इस बालक के समान छोटा करेगा, वह स्‍वर्ग के राज्य में बड़ा होगा। 
5. और जो कोई मेरे नाम से एक ऐसे बालक को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है। 
6. पर जो कोई इन छोटोंमें से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिथे भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता। 
7. ठोकरोंके कारण संसार पर हाथ! ठोकरोंका लगना अवश्य है; पर हाथ उस मनुष्य पर जिस के द्वारा ठोकर लगती है। 
8. यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काटकर फेंक दे; टुण्‍डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिथे इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्‍त आग में डाला जाए। 
9. और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे। 
10. काना होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिथे इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक की आग में डाला जाए। 
11. देखो, तुम इन छोटोंमें से किसी को तुच्‍छ न जानना; क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि स्‍वर्ग में उन के दूत मेरे स्‍वर्गीय पिता का मुंह सदा देखते हैं। 
12. तुम क्‍या समझते हो यदि किसी मनुष्य की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक भटक जाए, तो क्‍या निन्नानवे को छोड़कर, और पहाड़ोंपर जाकर, उस भटकी हुई को न ढूंढ़ेगा 
13. और यदि ऐसा हो कि उसे पाए, तो मैं तुम से सच कहता हूं, कि वह उन निन्नानवे भेड़ोंके लिथे जो भटकी नहीं यीं इतना आनन्‍द नहीं करेगा, जितना कि इस भेड़ के लिथे करेगा। 
14. ऐसा ही तुम्हारे पिता की जो स्‍वर्ग में है यह इच्‍छा नहीं, कि इन छोटोंमें से एक भी नाश हो। 
15. यदि तेरा भाई तेरा अपराध करे, तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा; यदि वह तेरी सुने तो तू ने अपके भाई को पा लिया। 
16. और यदि वह न सुने, तो और एक दो जन को अपके साय ले जा, कि हर एक बात दो या तीन गवाहोंके मुंह से ठहराई जाए। 
17. यदि वह उन की भी न माने, तो कलीसिया से कह दे, परन्‍तु यदि वह कलीसिया की भी न माने, तो तू उसे अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा जान। 
18. मैं तुम से सच कहता हूं, जो कुछ तुम पृय्‍वी पर बान्‍धोगे, वह स्‍वर्ग पर बन्‍धेगा और जो कुछ तुम पृय्‍वी पर खोलोगे, वह स्‍वर्ग पर खुलेगा। 
19. फिर मैं तुम से कहता हूं, यदि तुम में से दो जन पृय्‍वी पर किसी बात के लिथे जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्‍वर्ग में है उन के लिथे हो जाएगी। 
20. क्‍योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं।। 
21. तब पतरस ने पास आकर, उस से कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे झमा करूं, क्‍या सात बार तक 
22. यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, बरन सात बार के सत्तर गुने तक। 
23. इसलिथे स्‍वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपके दासोंसे लेखा लेना चाहा। 
24. जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता या। 
25. जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न या, तो उसके स्‍वामी ने कहा, कि यह और इस की पत्‍नी और लड़केबाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए। 
26. इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा; हे स्‍वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा। 
27. तब उस दास के स्‍वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार झमा किया। 
28. परन्‍तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासोंमें से एक उस को मिला, जो उसके सौ दीनार धारता या; उस ने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा, और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे। 
29. इस पर उसका संगी दास गिरकर, उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूंगा। 
30. उस ने न माना, परन्‍तु जाकर उसे बन्‍दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे। 
31. उसके संगी दास यह जो हुआ या देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपके स्‍वामी को पूरा हाल बता दिया। 
32. तब उसके स्‍वामी ने उस को बुलाकर उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज झमा किया। 
33. सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्‍या तुझे भी अपके संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए या 
34. और उसके स्‍वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्‍ड देनेवालोंके हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे। 
35. इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपके भाई को मन से झमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्‍वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।।

Chapter 19

1. जब यीशु थे बातें कह चुका, तो गलील से चला गया; और यहूदिया के देश में यरदन के पार आया। 
2. और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, और उस ने उन्‍हें वहां चंगा किया।। 
3. तब फरीसी उस की पक्कीझा करने के लिथे पास आकर कहने लगे, क्‍या हर एक कारण से अपक्की पत्‍नी को त्यागना उचित है 
4. उस ने उत्तर दिया, क्‍या तुम ने नहीं पढ़ा, कि जिस ने उन्‍हें बनाया, उस ने आरम्भ से नर और नारी बनाकर कहा। 
5. कि इस कारण मनुष्य अपके माता पिता से अलग होकर अपक्की पत्‍नी के साय रहेगा और वे दोनोंएक तन होंगे 
6. सो व अब दो नहीं, परन्‍तु एक तन हैं: इसलिथे जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे। 
7. उन्‍होंने उस से कहा, फिर मूसा ने क्‍योंयह ठहराया, कि त्यागपत्र देकर उसे छोड़ दे 
8. उस ने उन से कहा, मूसा ने तुम्हारे मन की कठोरता के कारण तुम्हें अपक्की पत्‍नी को छोड़ देने की आज्ञा दी, परन्‍तु आरम्भ में ऐसा नहीं या। 
9. और मैं तुम से कहता हूं, कि जो कोई व्यभिचार को छोड़ और किसी कारण से अपक्की पत्‍नी को त्यागकर, दूसरी से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है: और जो छोड़ी हुई को ब्याह करे, वह भी व्यभिचार करता है। 
10. चेलोंने उस से कहा, यदि पुरूष का स्त्री के साय ऐसा सम्बन्‍ध है, तो ब्याह करना अच्‍छा नहीं। 
11. उस ने उन से कहा, सब यह वचन ग्रहण नहीं कर सकते, केवल वे जिन को यह दान दिया गया है। 
12. क्‍योंकि कुछ नपुंसक ऐसे हैं जो माता के गर्भ ही से ऐसे जन्क़ें; और कुछ नंपुसक ऐसे हैं, जिन्‍हें मनुष्य ने नपुंसक बनाया: और कुछ नपुंसक एसे हैं, जिन्‍होंने स्‍वर्ग के राज्य के लिथे अपके आप को नपुंसक बनाया है, जो इस को ग्रहण कर सकता है, वह ग्रहण करे। 
13. तब लोग बालकोंको उसके पास लाए, कि वह उन पर हाथ रखे और प्रार्यना करे; पर चेलोंने उन्‍हें डांटा। 
14. यीशु ने कहा, बालकोंको मेरे पास आने दो: और उन्‍हें मना न करो, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य ऐसोंही का है। 
15. और वह उन पर हाथ रखकर, वहां से चला गया। 
16. और देखो, एक मनुष्य ने पास आकर उस से कहा, हे गुरू; मैं कौन सा भला काम करूं, कि अनन्‍त जीवन पाऊं 
17. उस ने उस से कहा, तू मुझ से भलाई के विषय में क्‍योंपूछता है भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर। 
18. उस ने उस से कहा, कौन सी आज्ञाएं यीशु ने कहा, यह कि हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, फूठी गवाही न देना। 
19. अपके पिता और अपक्की माता का आदर करना, और अपके पड़ोसी से अपके समान प्रेम रखना। 
20. उस जवान ने उस से कहा, इन सब को तो मैं ने माना है अब मुझ में किस बात की घटी है 
21. यीशु ने उस से कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालोंको दे; और तुझे स्‍वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले। 
22. परन्‍तु वह जवान यह बात सुन उदास होकर चला गया, क्‍योंकि वह बहुत धनी या।। 
23. तब यीशु ने अपके चेलोंसे कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि धनवान का स्‍वर्ग के राज्य में प्रवेश करना किठन है। 
24. फिर तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है। 
25. यह सुनकर, चेलोंने बहुत चकित होकर कहा, फिर किस का उद्धार हो सकता है 
26. यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्योंसे तो यह नहीं हो सकता, परन्‍तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है। 
27. इस पर पतरस ने उस से कहा, कि देख, हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिथे हैं: तो हमें क्‍या मिलेगा 
28. यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि नई उत्‍पत्ति से जब मनुष्य का पुत्र अपक्की महिमा के सिहांसन पर बैठेगा, तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिथे हो, बारह सिंहासनोंपर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रोंका न्याय करोगे। 
29. और जिस किसी ने घरोंया भाइयोंया बहिनोंया पिता या माता या लड़केबालोंया खेतोंको मेरे नाम के लिथे छोड़ दिया है, उस को सौ गुना मिलेगा: और वह अनन्‍त जीवन का अधिक्कारनेी होगा। 
30. परन्‍तु बहुतेरे जो पहिले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, पहिले होंगे।।

Chapter 20

1. स्‍वर्ग का राज्य किसी गृहस्य के समान है, जो सबेरे निकला, कि अपके दाख की बारी में मजदूरोंको लगाए। 
2. और उस ने मजदूरोंसे एक दीनार राज पर ठहराकर, उन्‍हें अपके दाख की बारी में भेजा। 
3. फिर पहर एक दिन चढ़े, निकलकर, और औरोंको बाजार में बेकार खड़े देखकर, 
4. उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूंगा; सो वे भी गए। 
5. फिर उस ने दूसरे और तीसरे पहर के निकट निकलकर वैसा ही किया। 
6. और एक घंटा दिन रहे फिर निकलकर औरोंको खड़े पाया, और उन से कहा; तु क्‍योंयहां दिन भर बेकार खड़े रहे उन्‍होंने उस से कहा, इसलिथे, कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया। 
7. उस ने उन से कहा, तुम भी दा,ा की बारी में जाओ। 
8. सांफ को दाख बारी के स्‍वामी ने अपके भण्‍डारी से कहा, मजदूरोंको बुलाकर पिछलोंसे लेकर पहिलोंतक उन्‍हें मजदूरी दे दे। 
9. सो जब वे आए, जो घंटा भर दिन रहे लगाए गए थे, तो उन्‍हें एक एक दीनार मिला। 
10. जो पहिले आए, उन्‍होंने यह समझा, कि हमें अधिक मिलेगा; परन्‍तु उन्‍हें भी एक ही एक दीनार मिला। 
11. जब मिला, तो वह गृहस्य पर कुडकुड़ा के कहने लगे। 
12. कि इन पिछलोंने एक ही घंटा काम किया, और तू ने उन्‍हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्‍होंने दिन भर का भार उठाया और घाम सहा 
13. उस ने उन में से एक को उत्तर दिया, कि हे मित्र, मैं तुझ से कुछ अन्याय नहीं करता; क्‍या तू ने मुझ से एक दीनार न ठहराया 
14. जो तेरा है, उठा ले, और चला जा; मेरी इच्‍छा यह है कि जितना तुझे, उतना ही इस पिछले को भी दूं। 
15. क्‍या उचित नहीं कि मं अपके माल से जो चाहूं सो करूं क्‍या तू मेरे भले होने के कारण बुरी दृष्‍टि से देखता है 
16. इसी रीति से जो पिछले हैं, वह पहिले होंगे, और जो पहिले हैं, वे पिछले होंगे।। 
17. यीशु यरूशलेम को जाते हुए बारह चेलोंको एकान्‍त में ले गया, और मार्ग में उन से कहने लगा। 
18. कि देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं; और मनुष्य का पुत्र महाथाजकोंऔर शास्‍त्रियोंके हाथ पकड़वाया जाएगा और वे उस को घात के योग्य ठहराएंगे। 
19. और उस को अन्यजातियोंके हाथ सोंपेंगे, कि वे उसे ठट्ठोंमें उड़ाएं, और कोड़े मारें, और क्रूस पर चढ़ाएं, और वह तीसरे दिन जिलाया जाएगा।। 
20. जब जब्‍दी के पुत्रोंकी माता ने अपके पुत्रोंके साय उसके पास आकर प्रणाम किया, और उस से कुछ मांगने लगी। 
21. उस ने उस से कहा, तू क्‍या चाहती है वह उस से बोली, यह कह, कि मेरे थे दो पुत्र तेरे राज्य में एक तेरे दिहने और एक तेरे बाएं बैठें। 
22. यीशु ने उत्तर दिया, तुम नहीं जानते कि क्‍या मांगते हो जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्‍या तुम पी सकते हो उन्‍होंने उस से कहा, पी सकते हैं। 
23. उस ने उन से कहा, तुम मेरा कटोरा तो पीओगे पर अपके दिहने बाएं किसी को बिठाना मेरा काम नहीं, पर जिन के लिथे मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया, उन्‍हें के लिथे है। 
24. यह सुनकर, दसोंचेले उन दोनोंभाइयोंपर क्रुद्ध हुए। 
25. यीशु ने उन्‍हें पास बुलाकर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियोंके हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिक्कारने जताते हैं। 
26. परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा; परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। 
27. और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। 
28. जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिथे नहीं आया कि उस की सेवा टहल किई जाए, परन्‍तु इसलिथे आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतोंकी छुडौती के लिथे अपके प्राण दे।। 
29. जब वे यरीहो से निकल रहे थे, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 
30. और देखो, दो अन्‍धे, जो सड़कर के किनारे बैठे थे, यह सुनकर कि यीशु जा रहा है, पुकारकर कहने लगे; कि हे प्रभु, दाऊद की सन्‍तान, हम पर दया कर। 
31. लोगोंने उन्‍हें डांटा, कि चुप रहे, पर वे और भी चिल्लाकर बोले, हे प्रभु, दाऊद की सन्‍तान, हम पर दया कर। 
32. तब यीशु ने खडे होकर, उन्‍हें बुलाया, और कहा; 
33. तुम क्‍या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिथे करूं उन्‍होंने उस से कहा, हे प्रभु; यह कि हमारी आंखे खुल जाएं। 
34. यीशु ने तरस खाकर उन की आंखे छूई, और वे तुरन्‍त देखने लगे; और उसके पीछे हो लिए।।

Chapter 21

1. जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलोंको यह कहकर भेजा। 
2. कि अपके साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्‍धी हुई, और उसके साय बच्‍चा तुम्हें मिलेगा; उन्‍हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। 
3. यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्‍त उन्‍हें भेज देगा। 
4. यह इसलिथे हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो; 
5. कि सिय्योन की बेटी से कहो, देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है; बरन लादू के बच्‍चे पर। 
6. चेलोंने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा या, वैसा ही किया। 
7. और गदही और बच्‍चे को लाकर, उन पर अपके कपके डाले, और वह उन पर बैठ गया। 
8. और बहुतेरे लोगोंने अपके कपके मार्ग में बिछाए, और और लोगोंने पेड़ोंसे डालियां काटकर मार्ग में बिछाई। 
9. और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चक्की आती यी, पुकार पुकार कर कहती यी, कि दाऊद की सन्‍तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। 
10. जब उस ने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, यह कौन है 
11. लोगोंने कहा, यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।। 
12. यीशु ने परमेश्वर के मन्‍दिर में जाकर, उन सब को, जो मन्‍दिर में लेन देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफोंके पीढ़े और कबूतरोंके बेचनेवालोंकी चौकियां उलट दीं। 
13. और उन से कहा, लिखा है, कि मेरा घर प्रार्यना का घर कहलाएगा; परन्‍तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो। 
14. और अन्‍धे और लंगड़े, मन्‍दिर में उसके पास लाए, और उस ने उन्‍हें चंगा किया। 
15. परन्‍तु जब महाथजकोंऔर शास्‍त्रियोंने इन अद्भुत कामोंको, जो उस ने किए, और लड़कोंको मन्‍दिर में दाऊद की सन्‍तान को होशाना पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित होकर उस से कहने लगे, क्‍या तू सुनता है कि थे क्‍या कहते हैं 
16. यीशु ने उन से कहा, हां; क्‍या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा, कि बालकोंऔर दूध पीते बच्‍चोंके मुंह से तु ने स्‍तुति सिद्ध कराई 
17. तब वह उन्‍हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया, ओर वहंा रात बिताई।। 
18. भोर को जब वह नगर को लौट रहा या, तो उसे भूख लगी। 
19. और अंजीर के पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तोंको छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्‍त सुख गया। 
20. यह देखकर चेलोंने अचम्भा किया, और कहा, यह अंजीर का पेड़ क्‍योंकर तुरन्‍त सूख गया 
21. यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्‍देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्‍तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जो; और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा। 
22. और जो कुछ तुम प्रार्यना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा।। 
23. वह मन्‍दिर में जाकर उपकेश कर रहा या, कि महाथाजकोंऔर लोगोंके पुरिनयोंने उसके पास आकर पूछा, तू थे काम किस के अधिक्कारने से करता है और तुझे यह अधिक्कारने किस ने दिया है 
24. यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं भी तुम से एक बात पूछता हूं; यदि वह मुझे बताओगे, तो मैं भी तुम्हें बताऊंगा; कि थे काम किस अधिक्कारने से करता हूं। 
25. यूहन्ना का बपतिस्क़ा कहां से या स्‍वर्ग की ओर से या मनुष्योंकी ओर से या तब वे आपस में विवाद करने लगे, कि यदि हम कहें स्‍वर्ग की ओर से, तो वह हमे से कहेगा, फिर तुम ने उस की प्रतीति क्‍योंन की 
26. और यदि कहें मनुष्योंकी ओर से तो हमें भीड़ का डर है; क्‍योंकि वे सब युहन्ना को भविष्यद्वक्ता जानते हैं। 
27. सो उन्‍होंने यीशु को उत्तर दिया, कि हम नहीं जानते; उस ने भी उन से कहा, तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता, कि थे काम किस अधिक्कारने से करता हूं। 
28. तुम क्‍या समझते हो किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उस ने पहिले के पास जाकर कहा; हे पुत्र आज दाख की बारी में काम कर। 
29. उस ने उत्तर दिया, मैं नहीं जाऊंगा, परन्‍तु पीछे पछता कर गया। 
30. फिर दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उस ने उत्तर दिया, जी हां जाता हूं, परन्‍तु नहीं गया। 
31. इन दोनोंमें से किस ने पिता की इच्‍छा पूरी की उन्‍होंने कहा, पहिले ने: यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि महसूल लेनेवाले और वेश्या तुम से पहिले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। 
32. क्‍योंकि यूहन्ना धर्म के मार्ग से तुम्हारे पास आया, और तुम ने उस की प्रतीति न की: पर महसूल लेनेवालोंऔर वेश्याओं ने उस की प्रतीति की: और तुम यह देखकर पीछे भी न पछताए कि उस की प्रतीति कर लेते।। 
33. एक और दृष्‍टान्‍त सुनो: एक गृहस्य या, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारोंओर बाड़ा बान्‍धा; और उस मे रस का कुंड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानोंको उसका ठीका देकर परदेश चला गया। 
34. जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपके दासोंको उसका फल लेने के लिथे किसानोंके पास भेजा। 
35. पर किसानोंने उसके दासोंको पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्यरवाह किया। 
36. फिर उस ने और दासोंको भेजा, जो पहिलोंसे अधिक थे; और उन्‍होंने उन से भी वैसा ही किया। 
37. अन्‍त में उस ने अपके पुत्र को उन के पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 
38. परन्‍तु किसानोंने पुत्र को देखकर आपस में कहा, यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उस की मीरास ले लें। 
39. और उन्‍होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला। 
40. इसलिथे जब दाख की बारी का स्‍वामी आएगा, तो उन किसानोंके साय क्‍या करेगा 
41. उन्‍होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगोंको बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठीका और किसानोंको देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे। 
42. यीशु ने उन से कहा, क्‍या तुम ने कभी पवित्र शास्‍त्र में यह नहीं पढ़ा, कि जिस पत्यर को राजमिस्‍त्रियोंने निकम्मा ठहराया या, वही कोने के सिक्के का पत्यर हो गया 
43. यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखते में अद्भुत है, इसलिथे मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा। 
44. जो इस पत्यर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा: और जिस पर वह गिरेगा, उस को पीस डालेगा। 
45. महाथाजक और फरीसी उसके दृष्‍टान्‍तोंको सुनकर समझ गए, कि वह हमारे विषय में कहता है। 
46. और उन्‍होंने उसे पकड़ना चाहा, परन्‍तु लोगोंसे डर गए क्‍योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे।।

Chapter 22

1. इस पर यीशु फिर उन से दृष्‍टान्‍तोंमें कहने लगा। 
2. स्‍वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपके पुत्र का ब्याह किया। 
3. और उस ने अपके दासोंको भेजा, कि नेवताहारियोंको ब्याह के भोज में बुलाएं; परन्‍तु उन्‍होंने आना न चाहा। 
4. फिर उस ने और दासोंको यह कहकर भेजा, कि नेवताहारियोंसे कहो, देखो; मैं भोज तैयार कर चुका हूं, और मेरे बैल और पके हुए पशु मारे गए हैं: और सब कुछ तैयार है; ब्याह के भोज में आओ। 
5. परन्‍तु वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपके खेत को, कोई अपके ब्योपार को। 
6. औरोंने जो बच रहे थे उसके दासोंको पकड़कर उन का अनादर किया और मार डाला। 
7. राजा ने क्रोध किया, और अपक्की सेना भेजकर उन हत्यारोंको नाश किया, और उन के नगर फूंक दिया। 
8. तब उस ने अपके दासोंसे कहा, ब्याह का भोज तो तैयार है, परन्‍तु नेवताहारी योग्य न ठहरे। 
9. इसलिथे चौराहोंमें जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को ब्याह के भोज में बुला लाओ। 
10. सो उन दासोंने सड़कोंपर जाकर क्‍या बुरे, क्‍या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठे किया; और ब्याह का घर जेवनहारोंसे भर गया। 
11. जब राजा जेवनहारोंके देखने को भीतर आया; तो उस ने वहां एक मनुष्य को देखा, जो ब्याह का वस्‍त्र नहीं पहिने या। 
12. उस ने उससे पूछा हे मित्र; तू ब्याह का वस्‍त्र पहिने बिना यहां क्‍योंआ गया उसका मुंह बन्‍द हो गया। 
13. तब राजा ने सेवकोंसे कहा, इस के हाथ पांव बान्‍धकर उसे बाहर अन्‍धिक्कारने में डाल दो, वहां रोना, और दांत पीसना होगा। 
14. क्‍योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्‍तु चुने हुए योड़े हैं।। 
15. तब फरीसियोंने जाकर आपस में विचार किया, कि उस को किस प्रकार बातोंमें फंसाएं। 
16. सो उन्‍होंने अपके चेलोंको हेरोदियोंके साय उसके पास यह कहने को भेजा, कि हे गुरू; हम जानते हैं, कि तू सच्‍चा है; और परमेश्वर का मार्ग सच्‍चाई से सिखाता है; और किसी की परवा नहीं करता, क्‍योंकि तू मनुष्योंका मुंह देखकर बातें नही करता। 
17. इस लिथे हमें बता तू क्‍या समझता है कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं। 
18. यीशु ने उन की दुष्‍टता जानकर कहा, हे कपटियों; मुझे क्‍योंपरखते हो 
19. कर का सि?ा मुझे दिखाओ: तब वे उसके पास एक दीनार ले आए। 
20. उस ने, उन से पूछा, यह मूत्तिर् और नाम किस का है 
21. उन्‍होंने उस से कहा, कैसर का; तब उस ने, उन से कहा; जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो। 
22. यह सुनकर उन्‍होंने अचम्भा किया, और उसे छोड़कर चले गए।। 
23. उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरूत्यान है ही नहीं उसके पास आए, और उस से पूछा। 
24. कि हे गुरू; मूसा ने कहा या, कि यदि कोई बिना सन्‍तान मर जाए, तो उसका भाई उस की पत्‍नी को ब्याह करके अपके भाई के लिथे वंश उत्‍पन्न करे। 
25. अब हमारे यहां सात भाई थे; पहिला ब्याह करके मर गया; और सन्‍तान न होने के कारण अपक्की पत्‍नी को अपके भाई के लिथे छोड़ गया। 
26. इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातोंतक यही हुआ। 
27. सब के बाद वह स्त्री भी मर गई। 
28. सो जी उठने पर, वह उन सातोंमें से किस की पत्‍नी होगी क्‍योंकि वह सब की पत्‍नी हो चुकी यी। 
29. यीशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, कि तुम पवित्र शास्‍त्र और परमेश्वर की सामर्य नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़ गए हो। 
30. क्‍योंकि जी उठने पर ब्याह शादी न होगी; परन्‍तु वे स्‍वर्ग में परमेश्वर के दूतोंकी नाई होंगे। 
31. परन्‍तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्‍या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्वर ने तुम से कहा। 
32. कि मैं इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूं वह तो मरे हुओं का नहीं, परन्‍तु जीवतोंका परमेश्वर है। 
33. यह सुनकर लोग उसके उपकेश से चकित हुए। 
34. जब फरीसियोंने सुना, कि उस ने सदूकियोंका मुंह बन्‍द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। 
35. और उन में से एक व्यवस्यापक ने परखने के लिथे, उस से पूछा। 
36. हे गुरू; व्यवस्या में कौन सी आज्ञा बड़ी है 
37. उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपके प्रभु से अपके सारे मन और अपके सारे प्राण और अपक्की सारी बुद्धि के साय प्रेम रख। 
38. बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। 
39. और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपके पड़ोसी से अपके समान प्रेम रख। 
40. थे ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्या और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है।। 
41. जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उन से पूछा। 
42. कि मसीह के विषय में तुम क्‍या समझते हो वह किस का सन्‍तान है उन्‍होंने उस से कहा, दाऊद का। 
43. उस ने उन से पूछा, तो दाऊद आत्क़ा में होकर उसे प्रभु क्‍योंकहता है 
44. कि प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा; मेरे दिहने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियोंको तेरे पांवोंके नीचे न कर दूं। 
45. भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र क्‍योंकर ठहरा 
46. उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका; परन्‍तु उस दिन से किसी को फिर उस से कुछ पूछने का हियाव न हुआ।।

Chapter 23

1. तब यीशु ने भीड़ से और अपके चेलोंसे कहा। 
2. शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। 
3. इसलिथे वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। 
4. वे एक ऐसे भारी बोफ को जिन को उठाना किठन है, बान्‍धकर उन्‍हें मनुष्योंके कन्‍धोंपर रखते हैं; परन्‍तु आप उन्‍हें अपक्की उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते । 
5. वे अपके सब काम लोगोंको दिखाने के लिथे करते हैं: वे अपके तावीजोंको चौड़े करते, और अपके वस्‍त्रोंकी कोरें बढ़ाते हैं। 
6. जेवनारोंमें मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन। 
7. और बाजारोंमें नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है। 
8. परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना; कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो। 
9. और पृय्‍वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है। 
10. और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्यात्‍ मसीह। 
11. जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। 
12. जो कोई अपके आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपके आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।। 
13. हे कपक्की शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंतुम पर हाथ!
14. तुम मनुष्योंके विरोध में स्‍वर्ग के राज्य का द्वार बन्‍द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालोंको प्रवेश करने देते हो।।
15. हे कपक्की शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंतुम पर हाथ! तुम एक जन को अपके मत में लाने के लिथे सारे जल और यल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपके से दूना नारकीय बना देते हो।। 
16. हे अन्‍धे अगुवों, तुम पर हाथ, जो कहते हो कि यदि कोई मन्‍दिर की शपय खाए तो कुछ नहीं, परन्‍तु यदि कोई मन्‍दिर के सोने की सौगन्‍ध खाए तो उस से बन्‍ध जाएगा। 
17. हे मूर्खो, और अन्‍धों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्‍दिर जिस से सोना पवित्र होता है 
18. फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपय खाए तो कुछ नहीं, परन्‍तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उस की शपय खाए तो बन्‍ध जाएगा। 
19. हे अन्‍धों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी: जिस से भेंट पवित्र होता है 
20. इसलिथे जो वेदी की शपय खाता है, वह उस की, और जो कुछ उस पर है, उस की भी शपय खाता है। 
21. और जो मन्‍दिर की शपय खाता है, वह उस की और उस में रहनेवालोंकी भी शपय खाता है। 
22. और जो स्‍वर्ग की शपय खाता है, वह परमेश्वर के सिहांसन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपय खाता है।। 
23. हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्‍तु तुम ने व्यवस्या की गम्भीर बातोंको छोड़ दिया है; चाहिथे या कि इन्‍हें भी करते रहते, और उन्‍हें भी न छोड़ते। 
24. हे अन्‍धे अगुवों, तुम मच्‍छड़ को तो छान डालते हो, परन्‍तु ऊंट को निगल जाते हो। 
25. हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ, तुम कटोरे और याली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्‍तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं। 
26. हे अन्‍धे फरीसी, पहिले कटोरे और याली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्‍वच्‍छ हों।। 
27. हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम चूना फिरी हुई कब्रोंके समान हो जो ऊपर से तो सुन्‍दर दिखाई देती हैं, परन्‍तु भीतर मुर्दोंकी हिड्डयोंऔर सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। 
28. इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्योंको धर्मी दिखाई देते हो, परन्‍तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।। 
29. हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धमिर्योंकी कब्रें बनाते हो। 
30. और कहते हो, कि यदि हम अपके बापदादोंके दिनोंमें होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साफी न होते। 
31. इस से तो तुम अपके पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकोंकी सन्‍तान हो। 
32. सो तुम अपके बापदादोंके पाप का घड़ा भर दो। 
33. हे सांपो, हे करैतोंके बच्‍चो, तुम नरक के दण्‍ड से क्‍योंकर बचोगे 
34. इसलिथे देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानोंऔर शास्‍त्रियोंको भेजता हूं; और तुम उन में से कितनोंको मार डालोगे, और क्रूस पर चढ़ाओगे; और कितनोंको अपक्की सभाओं में कोड़े मारोगे, और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे। 
35. जिस से धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्‍याह के पुत्र जकरयाह तक, जिसे तुम ने मन्‍दिर और वेदी के बीच में मार डाला या, जितने धमिर्योंका लोहू पृय्‍वी पर बहाथा गया है, वह सब तुम्हारे सिर पर पकेगा। 
36. मैं तुम से सच कहता हूं, थे सब बातें इस समय के लोगोंपर आ पकेंगी।। 
37. हे यरूशलेम, हे यरूशलेम; तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्‍हें पत्यरवाह करता है, कितनी ही बार मैं ने चाहा कि जैसे मुर्गी अपके बच्‍चोंको अपके पंखोंके नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकोंको इकट्ठे कर लूं, परन्‍तु तुम ने न चाहा। 
38. देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिथे उजाड़ छोड़ा जाता है। 
39. क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, कि धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है, तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।।

Chapter 24

1. जब यीशु मन्‍दिर से निकलकर जा रहा या, तो उसके चेले उस को मन्‍दिर की रचना दिखाने के लिथे उस के पास आए। 
2. उस ने उन से कहा, क्‍या तुम यह सब नहीं देखते मैं तुम से सच कहता हूं, यहां पत्यर पर पत्यर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा। 
3. और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा या, तो चेलोंने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि थे बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्‍त का क्‍या चिन्‍ह होगा 
4. यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। 
5. क्‍योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतोंको भरमाएंगे। 
6. तुम लड़ाइयोंऔर लड़ाइयोंकी चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्‍योंकि इन का होना अवश्य है, परन्‍तु उस समय अन्‍त न होगा। 
7. क्‍योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पकेंगे, और भुईडोल होंगे। 
8. थे सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी। 
9. तब वे क्‍लेश दिलाने के लिथे तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियोंके लोग तुम से बैर रखेंगे। 
10. तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। 
11. और बहुत से फूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतोंको भरमाएंगे। 
12. और अधर्म के बढ़ने से बहुतोंका प्रेम ठण्‍डा हो जाएगा। 
13. परन्‍तु जो अन्‍त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। 
14. और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियोंपर गवाही हो, तब अन्‍त आ जाएगा।। 
15. सो जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्‍तु को जिस की चर्चा दानिय्थेल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई यी, पवित्र स्यान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )। 
16. तब जो यहूदिया में होंवे पहाड़ोंपर भाग जाएं। 
17. जो कोठे पर हो, वह अपके घर में से सामान लेने को न उतरे। 
18. और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे। 
19. उन दिनोंमें जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिथे हाथ, हाथ। 
20. और प्रार्यना करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्‍त के दिन भागना न पके। 
21. क्‍योंकि उस समय ऐसा भारी क्‍लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। 
22. और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्‍तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे। 
23. उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहां हैं! या वहां है तो प्रतीति न करना। 
24. क्‍योंकि फूठे मसीह और फूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्‍ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। 
25. देखो, मैं ने पहिले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है। 
26. इसलिथे यदि वे तुम से कहें, देखो, वह जंगल में है, तो बाहर न निकल जाना; देखो, वह कोठिरयोंमें हैं, तो प्रतीति न करना। 
27. क्‍योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। 
28. जहां लोय हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे।। 
29. उन दिनोंके क्‍लेश के बाद तुरन्‍त सूर्य अन्‍धिक्कारनेा हो जाएगा, और चान्‍द का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पकेंगे और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। 
30. तब मनुष्य के पुत्र का चिन्‍ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृय्‍वी के सब कुलोंके लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्य और ऐश्वर्य के साय आकाश के बादलोंपर आते देखेंगे। 
31. और वह तुरही के बड़े शब्‍द के साय, अपके दूतोंको भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारोंदिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे। 
32. अंजीर के पेड़ से यह दृष्‍टान्‍त सीखो: जब उस की डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्क़ काल निकट है। 
33. इसी रीति से जब तुम इन सब बातोंको देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, बरन द्वार पर है। 
34. मैं तुम से सच कहता हूं, कि जबतब थे सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी। 
35. आकाश और पृय्‍वी टल जाएंगे, परन्‍तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। 
36. उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्‍वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्‍तु केवल पिता। 
37. जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 
38. क्‍योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनोंमें, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती यी। 
39. और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 
40. उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। 
41. दो स्‍त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। 
42. इसलिथे जागते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। 
43. परन्‍तु यह जान लो कि यदि घर का स्‍वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपके घर में सेंघ लगने न देता। 
44. इसलिथे तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। 
45. सो वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्‍वामी ने अपके नौकर चाकरोंपर सरदार ठहराया, कि समय पर उन्‍हें भोजन दे 
46. धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्‍वामी आकर ऐसा की करते पाए। 
47. मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपक्की सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा। 
48. परन्‍तु यदि वह दुष्‍ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्‍वामी के आने में देर है। 
49. और अपके सायी दासोंको पीटने लगे, और पिय?ड़ोंके साय खाए पीए। 
50. तो उस दास का स्‍वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उस की बाट न जोहता हो। 
51. और ऐसी घड़ी कि वह न जानता हो, और उसे भारी ताड़ना देकर, उसका भाग कपटियोंके साय ठहराएगा: वहां रोना और दांत पीसना होगा।।

Chapter 25

1. तब स्‍वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियोंके समान होगा जो अपक्की मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। 
2. उन में पांच मूर्ख और पांच समझदार यीं। 
3. मूर्खोंने अपक्की मशालें तो लीं, परन्‍तु अपके साय तेल नहीं लिया। 
4. परन्‍तु समझदारोंने अपक्की मशालोंके साय अपक्की कुप्‍पियोंमें तेल भी भर लिया। 
5. जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई। 
6. आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिथे चलो। 
7. तब वे सब कुंवारियां उठकर अपक्की अपक्की मशलें ठीक करने लगीं। 
8. और मूर्खोंने समझदारोंसे कहा, अपके तेल में से कुछ हमें भी दो, क्‍योंकि हमारी मशालें बुफी जाती हैं। 
9. परन्‍तु समझदारोंने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिथे पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचनेवालोंके पास जाकर अपके लिथे मोल ले लो। 
10. जब वे मोल लेने को जा रही यीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार यीं, वे उसके साय ब्याह के घर में चक्कीं गई और द्वार बन्‍द किया गया। 
11. इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्‍वामी, हे स्‍वामी, हमारे लिथे द्वार खोल दे। 
12. उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता। 
13. इसलिथे जागते रहो, क्‍योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को।। 
14. क्‍योंकि यह उस मनुष्य की सी दशा है जिस ने परदेश को जाते समय अपके दासोंको बुलाकर, अपक्की संपत्ति उन को सौंप दी। 
15. उस ने एक को पांच तोड़, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्यात्‍ हर एक को उस की सामर्य के अनुसार दिया, और तब परदेश चला गया। 
16. तब जिस को पांच तोड़े मिले थे, उस ने तुरन्‍त जाकर उन से लेन देन किया, और पांच तोड़े और कमाए। 
17. इसी रीति से जिस को दो मिले थे, उस ने भी दो और कमाए। 
18. परन्‍तु जिस को एक मिला या, उस ने जाकर मिट्टी खोदी, और अपके स्‍वामी के रूपके छिपा दिए। 
19. बहुत दिनोंके बाद उन दासोंका स्‍वामी आकर उन से लेखा लेने लगा। 
20. जिस को पांच तोड़े मिले थे, उस ने पांच तोड़े और लाकर कहा; हे स्‍वामी, तू ने मुझे पांच तोड़े सौंपे थे, देख मैं ने पांच तोड़े और कमाए हैं। 
21. उसके स्‍वामी ने उससे कहा, धन्य है अच्‍छे और विश्वासयोग्य दास, तू योड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्‍तुओं का अधिक्कारनेी बनाऊंगा अपके स्‍वामी के आनन्‍द में सम्भागी हो। 
22. और जिस को दो तोड़े मिले थे, उस ने भी आकर कहा; हे स्‍वामी तू ने मुझे दो तोड़े सौंपें थे, देख, मैं ने दो तोड़े और कमाएं। 
23. उसके स्‍वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्‍छे और विश्वासयोग्य दास, तू योड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्‍तुओं का अधिक्कारनेी बनाऊंगा अपके स्‍वामी के आनन्‍द में सम्भागी हो। 
24. तब जिस को एक तोड़ा मिला या, उस ने आकर कहा; हे स्‍वामी, मैं तुझे जानता या, कि तू कठोर मनुष्य है, और जहां नहीं छीटता वहां से बटोरता है। 
25. सो मैं डर गया और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया; देख, जो तेरा है, वह यह है। 
26. उसके स्‍वामी ने उसे उत्तर दिया, कि हे दुष्‍ट और आलसी दास; जब यह तू जानता या, कि जहां मैं ने नहीं बोया वहां से काटता हूं; और जहां मैं ने नहीं छीटा वहां से बटोरता हूं। 
27. तो तुझे चाहिए या, कि मेरा रूपया सर्राफोंको दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता। 
28. इसलिथे वह तोड़ा उस से ले लो, और जिस के पास दस तोड़े हैं, उस को दे दो। 
29. क्‍योंकि जिस किसी के पास है, उसे और दिया जाएगा; औश्र् उसके पास बहुत हो जाएगा: परन्‍तु जिस के पास नहीं है, उस से वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। 
30. और इस निकम्मे दास को बाहर के अन्‍धेरे में डाल दो, जहां रोना औश्र् दांत पीसना होगा। 
31. जब मनुष्य का पुत्र अपक्की महिमा में आएगा, और सब स्‍वर्ग दूत उसके साय आएंगे तो वह अपक्की महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा। 
32. और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ोंको बकिरयोंसे अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्‍हें एक दूसरे से अलग करेगा। 
33. और वह भेड़ोंको अपक्की दिहनी ओर और बकिरयोंको बाई और खड़ी करेगा। 
34. तब राजा अपक्की दिहनी ओर वालोंसे कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिक्कारनेी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिथे तैयार किया हुआ है। 
35. कयोंकि मै। भूखा या, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं पियासा या, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी या, तुम ने मुझे अपके घर में ठहराया। 
36. मैं नंगा या, तुम ने मुझे कपके पहिनाए; मैं बीमार या, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में या, तुम मुझ से मिलने आए। 
37. तब धर्मी उस को उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और सिखाया या पियासा देखा, और पिलाया 
38. हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपके घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपके पहिनाए 
39. हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए 
40. तब राजा उन्‍हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयोंमें से किसी एक के साय किया, वह मेरे ही साय किया। 
41. तब वह बाईं ओर वालोंसे कहेगा, हे स्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्‍त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतोंके लिथे तैयार की गई है। 
42. क्‍योंकि मैं भूखा या, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं पियासा या, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया। 
43. मैं परदेशी या, और तुम ने मुझे अपके घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा या, और तुम ने मुझे कपके नहीं पहिनाए; बीमार और बन्‍दीगृह में या, और तुम ने मेरी सुधि न ली। 
44. तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या पियासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्‍दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की 
45. तब वह उन्‍हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटोंमें से किसी एक के साय नहीं किया, वह मेरे साय भी नहीं किया। 
46. और यह अनन्‍त दण्‍ड भोगेंगे परन्‍तु धर्मी अनन्‍त जीवन में प्रवेश करेंगे।

Chapter 26

1. जब यीशु थे सब बातें कह चुका, तो अपके चेलोंसे कहने लगा। 
2. तुम जानते हो, कि दो दिन के बाद फसह का पर्व्‍व होगा; और मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिथे पकड़वाया जाएगा। 
3. तब महाथाजक और प्रजा के पुरिनए काइफा नाम महाथाजक के आंगन में इकट्ठे हुए। 
4. और आपस में विचार करने लगे कि यीशु को छत से पकड़कर मार डालें। 
5. परन्‍तु वे कहते थे, कि पर्व्‍व के समय नहीं; कहीं ऐसा न हो कि लोगोंमें बलवा मच जाए। 
6. जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर में या। 
7. तो एक स्त्री संगमरमर के पात्र में बहुमोल इत्र लेकर उसके पास आई, और जब वह भोजन करने बैठा या, तो उसके सिर पर उण्‍डेल दिया। 
8. यह देखकर, उसके चेले रिसयाए और कहने लगे, इस का क्‍योंसत्यनाश किया गया 
9. यह तो अच्‍छे दाम पर बिककर कंगालोंको बांटा जा सकता या। 
10. यह जानकर यीशु ने उन से कहा, स्त्री को क्‍योंसताते हो उस ने मेरे साय भलाई की है। 
11. कंगाल तुम्हारे साय सदा रहते हैं, परन्‍तु मैं तुम्हारे साय सदैव न रहूंगा। 
12. उस ने मेरी देह पर जो यह इत्र उण्‍डेला है, वह मेरे गाढ़े जाने के लिथे किया है 
13. मैं तुम से सच कहता हूं, कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्क़रण में किया जाएगा। 
14. तब यहूदा इस्‍किरयोती नाम बारह चेलोंमें से एक ने महाथाजकोंके पास जाकर कहा। 
15. यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूं, तो मुझे क्‍या दोगे उन्‍होंने उसे तीस चान्‍दी के सिक्के तौलकर दे दिए। 
16. और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा।। 
17. अखमीरी रोटी के पर्व्‍व के पहिले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे; तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिथे फसह खाने की तैयारी करें 
18. उस ने कहा, नगर में फुलाने के पास जाकर उस से कहो, कि गुरू कहता है, कि मेरा समय निकट है, मैं अपके चेलोंके साय तेरे यहां पर्व्‍व मनाऊंगा। 
19. सो चेलोंने यीशु की आज्ञा मानी, और फसह तैयार किया। 
20. जब सांफ हुई, तो वह बारहोंके साय भोजन करने के लिथे बैठा। 
21. जब वे खा रहे थे, तो उस ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा। 
22. इस पर वे बहुत उदास हुए, और हर एक उस से पूछने लगा, हे गुरू, क्‍या वह मैं हूं 
23. उस ने उत्तर दिया, कि जिस ने मेरे साय याली में हाथ डाला है, वही मुझे पकड़वाएगा। 
24. मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्‍तु उस मनुष्य के लिथे शोक है जिस के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है: यदि उस मनुष्य का जन्क़ न होता, तो उसके लिथे भला होता। 
25. तब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने कहा कि हे रब्‍बी, क्‍या वह मैं हूं 
26. उस ने उस से कहा, तू कह चुका: जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलोंको देकर कहा, लो, खाओ; यह मेरी देह है। 
27. फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्‍हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ। 
28. क्‍योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतोंके लिथे पापोंकी झमा के निमित्त बहाथा जाता है। 
29. मैं तुम से कहता हूं, कि दाख का यह रस उस दिन तक कभी न पीऊंगा, जब तक तुम्हारे साय अपके पिता के राज्य में नया न पीऊं।। 
30. फिर वे भजन गाकर जैतून पहाड़ पर गए।। 
31. तब यीशु ने उन से कहा; तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे; क्‍योंकि लिखा है, कि मैं चरवाहे को मारूंगा; और फुण्‍ड की भेड़ें तित्तर बित्तर हो जाएंगी। 
32. परन्‍तु मैं अपके जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊंगा। 
33. इस पर पतरस ने उस से कहा, यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्‍तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा। 
34. यीशु ने उस से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही राज को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा। 
35. पतरस ने उस से कहा, यदि मुझे तेरे साय मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलोंने भी कहा।। 
36. तब यीशु ने अपके चेलोंके साय गतसमनी नाम एक स्यान में आया और अपके चेलोंसे कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जाकर प्रार्यना करूं। 
37. और वह पतरस और जब्‍दी के दोनोंपुत्रोंको साय ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा। 
38. तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साय जागते रहो। 
39. फिर वह योड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्यना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्‍तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो। 
40. फिर चेलोंके पास आकर उन्‍हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्‍या तुम मेरे साय एक घड़ी भी न जाग सके 
41. जागते रहो, और प्रार्यना करते रहो, कि तुम पक्कीझा में न पड़ो: आत्क़ा तो तैयार है, परन्‍तु शरीर र्दुबल है। 
42. फिर उस ने दूसरी बार जाकर यह प्रार्यना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्‍छा पूरी हो। 
43. तब उस ने आकर उन्‍हें फिर सोते पाया, क्‍योंकि उन की आंखें नींद से भरी यीं। 
44. और उन्‍हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्यना की। 
45. तब उस ने चेलोंके पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्रम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियोंके हाथ पकड़वाया जाता है। 
46. उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुंचा है।। 
47. वह यह कह ही रहा या, कि देखो यहूदा जो बारहोंमें से एक या, आया, और उसके साय महाथाजकोंऔर लोगोंके पुरिनयोंकी ओर से बड़ी भीड़, तलवारें और लाठियां लिए हुए आई। 
48. उसके पकड़वानेवाले ने उन्‍हें यह पता दिया या कि जिस को मैं चूम लूं वही है; उसे पकड़ लेना। 
49. और तुरन्‍त यीशु के पास आकर कहा; हे रब्‍बी नमस्‍कार; और उस को बहुत चूमा। 
50. यीशु ने उस से कहा; हे मित्र, जिस काम के लिथे तू आया है, उसे कर ले। तब उन्‍होंने पास आकर यीशु पर हाथ डाले, और उसे पकड़ लिया। 
51. और देखो, यीशु के सायियोंमें से एक ने हाथ बढ़ाकर अपक्की तलवार खींच ली और महाथाजक के दास पर चलाकर उस का कान उड़ा दिया। 
52. तब यीशु ने उस से कहा; अपक्की तलवार काठी में रख ले क्‍योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। 
53. क्‍या तू नहीं समझता, कि मैं अपके पिता से बिनती कर सकता हूं, और वह स्‍वर्गदूतोंकी बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्यित कर देगा 
54. परन्‍तु पवित्र शास्‍त्र की बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, क्‍योंकर पूरी होंगी 
55. उसी घड़ी यीशु ने भीड़ से कहा; क्‍या तुम तलवारें और लाठियां लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिथे निकले हो मैं हर दिन मन्‍दिर में बैठकर उपकेश दिया करता या, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा। 
56. परन्‍तु यह सब इसलिथे हुआ है, कि भविष्यद्वक्ताओं के वचन के पूरे हों: तब सब चेलें उसे छोड़कर भाग गए।। 
57. और यीशु के पकड़नेवाले उस को काइफा नाम महाथाजक के पास ले गए, जहां शास्त्री और पुरिनए इकट्ठे हुए थे। 
58. और पतरस दूर से उसके पीछे पीछे महाथाजक के आंगन तक गया, और भीतर जाकर अन्‍त देखने को प्यादोंके साय बैठ गया। 
59. महाथाजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिथे उसके विरोध में फूठी गवाही की खोज में थे। 
60. परन्‍तु बहुत से फूठे गवाहोंके आने पर भी न पाई। 
61. अन्‍त में दो जनोंने आकर कहा, कि उस ने कहा है; कि मैं परमेश्वर के मन्‍दिर को ढा सकता हूं और उसे तीन दिन में बना सकता हूं। 
62. तब महाथाजक ने खड़े होकर उस से कहा, क्‍या तू कोई उत्तर नहीं देता थे लोग तेरे विरोध में क्‍या गवाही देते हैं परन्‍तु यीशु चुप रहा: महाथाजक ने उस से कहा। 
63. मैं तुझे जीवते परमेश्वर की शपय देता हूं, कि यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे। 
64. यीशु ने उस से कहा; तू ने आप ही कह दिया: बरन मैं तुम से यह भी कहता हूं, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दिहनी ओर बैठे, और आकाश के बादलोंपर आते देखोगे। 
65. तब महाथाजक ने अपके वस्‍त्र फाड़कर कहा, इस ने परमेश्वर की निन्‍दा की है, अब हमें गवाहोंका क्‍या प्रयोजन 
66. देखो, तुम ने अभी यह निन्‍दा सुनी है! तुम क्‍या समझते हो उन्‍होंने उत्तर दिया, यह वध होने के योग्य है। 
67. तब उन्‍होंने उस से मुंह पर यूका, और उसे घूंसे मारे, औरोंने यप्‍पड़ मार के कहा। 
68. हे मसीह, हम से भविष्यद्ववाणी करके कह: कि किस ने तुझे मारा 
69. और पतरस बाहर आंगन में बैठा हुआ या: कि एक लौंड़ी ने उसके पास आकर कहा; तू भी यीशु गलीली के साय या। 
70. उस ने सब के साम्हने यह कह कर इन्‍कार किया और कहा, मैं नहीं जानता तू क्‍या कह रही है। 
71. जब वह बाहर डेवढ़ी में चला गया, तो दूसरी ने उसे देखकर उन से जो वहां थे कहा; यह भी तो यीशु नासरी के साय या। 
72. उस ने शपय खाकर फिर इन्‍कार किया कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता। 
73. योड़ी देर के बाद, जो वहां खड़े थे, उन्‍होंने पतरस के पास आकर उस से कहा, सचमुच तू भी उन में से एक है; क्‍योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है। 
74. तब वह धिक्कारने देने और शपय खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता; और तुरन्‍त मुर्ग ने बांग दी। 
75. तब पतरस को यीशु की कही हुई बात स्क़रण आई की मुर्ग के बांग देने से पहिले तू तीन बार मेरा इन्‍कार करेगा और वह बाहर जाकर फूट फूट कर रोने लगा।।

Chapter 27

1. जब भोर हुई, तो सब महाथाजकोंऔर लोगोंके पुरिनयोंने यीशु के मार डालने की सम्मति की। 
2. और उन्‍होंने उसे बान्‍धा और ले जाकर पीलातुस हाकिम के हाथ में सौंप दिया।। 
3. जब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चान्‍दी के सिक्के महाथाजकोंऔर पुरिनयोंके पास फेर लाया। 
4. और कहा, मैं ने निर्दोषी को घात के लिथे पकड़वाकर पाप किया है उन्‍होंने कहा, हमें क्‍या तू ही जान। 
5. तब वह उन सिक्कों मन्‍दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपके आप को फांसी दी। 
6. महाथाजकोंने उन सिक्कों लेकर कहा, इन्‍हें भण्‍डार में रखना उचित नहीं, क्‍योंकि यह लोहू का दाम है। 
7. सो उन्‍होंने सम्मति करके उन सिक्कों परदेशियोंके गाड़ने के लिथे कुम्हार का खेत मोल ले लिया। 
8. इस कारण वह खेत आज तक लोहू का खेत कहलाता है। 
9. तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या वह पूरा हुआ; कि उन्‍होंने वे तीस सिक्के अर्यात्‍ उस ठहराए हुए मूल्य को (जिसे इस्‍त्राएल की सन्‍तान में से कितनोंने ठहराया या) ले लिए। 
10. और जैसे प्रभु ने मुझे आज्ञा दी यी वैसे ही उन्‍हें कुम्हार के खेत के मूल्य में दे दिया।। 
11. जब यीशु हाकिम के साम्हने खड़ा या, तो हाकिम ने उस से पूछा; कि क्‍या तू यहूदियोंका राजा है यीशु ने उस से कहा, तू आप ही कह रहा है। 
12. जब महाथाजक और पुरिनए उस पर दोष लगा रहे थे, तो उस ने कुछ उत्तर नहीं दिया। 
13. इस पर पीलातुस ने उस से कहा: क्‍या तू नहीं सुनता, कि थे तेरे विरोध में कितनी गवाहियां दे रहे हैं 
14. परन्‍तु उस ने उस को एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहां तक कि हाकिम को बड़ा आश्‍चर्य हुआ। 
15. और हाकिम की यह रीति यी, कि उस पर्व्‍व में लोगोंके लिथे किसी एक बन्‍धुए को जिसे वे चाहते थे, छोड़ देता या। 
16. उस समय बरअब्‍बा नाम उन्‍हीं में का एक नामी बन्‍धुआ या। 
17. सो जब वे इकट्ठे हुए, तो पीलातुस ने उन से कहा; तुम किस को चाहते हो, कि मैं तुम्हारे लिथे छोड़ दूं बरअब्‍बा को, या यीशु को जो मसीह कहलाता है 
18. क्‍योंकि वह जानता या कि उन्‍होंने उसे डाह से पकड़वाया है। 
19. जब वह न्याय की गद्दी पर बैठा हुआ या तो उस की पत्‍नी ने उसे कहला भेजा, कि तू उस धर्मी के मामले में हाथ न डालना; क्‍योंकि मैं ने आज स्‍वप्‍न में उसके कारण बहुत दुख उठाया है। 
20. महाथाजकोंऔर पुरिनयोंने लोगोंको उभारा, कि वे बरअब्‍बा को मांग ले, और यीशु को नाश कराएं। 
21. हाकिम ने उन से पूछा, कि इन दोनोंमें से किस को चाहते हो, कि तुम्हारे लिथे छोड़ दूं उन्‍होंने कहा; बरअब्‍बा को। 
22. पीलातुस ने उन से पूछा; फिर यीशु को जो मसीह कहलाता है, क्‍या करूं सब ने उस से कहा, वह क्रूस पर चढ़ाया जाए। 
23. हाकिम ने कहा; क्‍योंउस ने क्‍या बुराई की है परन्‍तु वे और भी चिल्ला, चिल्लाकर कहने लगे, ?वह क्रूस पर चढ़ाया जाए। 
24. जब पीलातुस ने देखा, कि कुछ बन नहीं पड़ता परन्‍तु इस के विपक्कीत हुल्लड़ होता जाता है, तो उस ने पानी लेकर भीड़ के साम्हने अपके हाथ धोए, और कहा; मैं इस धर्मी के लोहू से निर्दोष हूं; तुम ही जानो। 
25. सब लोगोंने उत्तर दिया, कि इस का लोहू हम पर और हमारी सन्‍तान पर हो। 
26. इस पर उस ने बरअब्‍बा को उन के लिथे छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।। 
27. तब हाकिम के सिपाहियोंने यीशु को किले में ले जाकर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की। 
28. और उसके कपके उतारकर उसे किरिमजी बागा पहिनाया। 
29. और काटोंको मुकुट गूंयकर उसके सिर पर रखा; और उसके दिहने हाथ में सरकण्‍डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियोंके राज नमस्‍कार। 
30. और उस पर यूका; और वही सरकण्‍डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे। 
31. जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपके उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिथे ले चले।। 
32. बाहर जाते हुए उन्‍हें शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्‍होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले। 
33. और उस स्यान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्यात्‍ खोपड़ी का स्यान कहलाता है पहुंचकर। 
34. उन्‍होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्‍तु उस ने चखकर पीना न चाहा। 
35. तब उन्‍होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियां डालकर उसके कपके बांट लिए। 
36. और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे। 
37. और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि ?यह यहूदियोंका राजा यीशु है। 
38. तब उसके साय दो डाकू एक दिहने और एक बाएं क्रूसोंपर चढ़ाए गए। 
39. और आने जाने वाले सिर हिला हिलाकर उस की निन्‍दा करते थे। 
40. और यह कहते थे, कि हे मन्‍दिर के ढानेवाले और तीन दिन में बनानेवाले, अपके आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ। 
41. इसी रीति से महाथाजक भी शास्‍त्रियोंऔर पुरिनयोंसमेत ठट्ठा कर करके कहते थे, इस ने औरोंको बचाया, और अपके को नहीं बचा सकता। 
42. यह तो ?इस्राएल का राजा है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। 
43. उस ने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्‍योंकि इस ने कहा या, कि ?मैं परमेश्वर का पुत्र हूं। 
44. इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साय क्रूसोंपर चढ़ाए गए थे उस की निन्‍दा करते थे।। 
45. दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्‍धेरा छाया रहा। 
46. तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्‍द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्यात्‍ हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्‍योंछोड़ दिया 
47. जो वहां खड़े थे, उन में से कितनोंने यह सुनकर कहा, वह तो एलिय्याह को पुकारता है। 
48. उन में से एक तुरन्‍त दौड़ा, और स्‍पंज लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रखकर उसे चुसाया। 
49. औरोंने कहा, रह जाओ, देखें, एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं। 
50. तब यीशु ने फिर बड़े शब्‍द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिए। 
51. और देखो मन्‍दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चटानें तड़कर गईं। 
52. और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगोंकी बहुत लोथें जी उठीं। 
53. और उसके जी उठने के बाद वे कब्रोंमें से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतोंको दिखाई दिए। 
54. तब सूबेदार और जो उसके साय यीशु का पहरा दे रहे थे, भुईडोल और जो कुछ हुआ या, देखकर अत्यन्‍त डर गए, और कहा, सचमुच ?यह परमेश्वर का पुत्र या। 
55. वहां बहुत सी स्‍त्रियां जो गलील से यीशु की सेवा करती हुईं उसके साय आईं यीं, दूर से देख रही यीं। 
56. उन में मरियम मगदलीली और याकूब और योसेस की माता मरियम और जब्‍दी के पुत्रोंकी माता यीं। 
57. जब सांफ हुई तो यूसुफ नाम अरिमतियाह का एक धनी मनुष्य जो आप ही यीशु का चेला या आया: उस ने पीलातुस के पास जाकर यीशु की लोय मांगी। 
58. इस पर पीलातुस ने दे देने की आज्ञा दी। 
59. यूसुफ ने लोय को लेकर उसे उज्ज़वल चादर में लपेटा। 
60. और उसे अपक्की नई कब्र में रखा, जो उस ने चटान में खुदवाई यी, और कब्र के द्वार पर बड़ा पत्यर लुढ़काकर चला गया। 
61. और मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम वहां कब्र के साम्हने बैठी यीं।। 
62. दूसरे दिन जो तैयारी के दिन के बाद का दिन या, महाथाजकोंऔर फरीसियोंने पीलातुस के पास इकट्ठे होकर कहा। 
63. हे महाराज, हमें स्क़रण है, कि उस भरमानेवाले ने अपके जीते जी कहा या, कि मैं तीन दिन के बाद जी उठूंगा। 
64. सो आज्ञा दे कि तीसरे दिन तक कब्र की रखवाली की जाए, ऐसा न हो कि उसके चेले आकर उसे चुरा ले जाएं, और लोगोंसे कहनें लगें, कि वह मरे हुओं में से जी उठा है: तब पिछला धोखा पहिले से भी बुरा होगा। 
65. पीलातुस ने उन से कहा, तुम्हारे पास पहरूए तो हैं जाओ, अपक्की समझ के अनुसार रखवाली करो। 
66. सो वे पहरूओं को साय ले कर गए, और पत्यर पर मुहर लगाकर कब्र की रखवाली की।।

Chapter 28

1. सब्‍त के दिन के बाद सप्‍ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आई। 
2. और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्‍योंकि प्रभु का एक दूत स्‍वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्यर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। 
3. उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्‍त्र पाले की नाई उज्ज़्‍वल या। 
4. उसके भय से पहरूए कांप उठे, और मृतक समान हो गए। 
5. स्‍वर्गदूत ने स्‍त्र्यिोंसे कहा, कि तुम मत डरो : मै जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रुस पर चढ़ाया गया या ढूंढ़ती हो। 
6. वह यहाँ नहीं है, परन्‍तु अपके वचन के अनुसार जी उठा है; आओ, यह स्यान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा या। 
7. और शीघ्र जाकर उसके चेलोंसे कहो, कि वह मृतकोंमें से जी उठा है; और देखो वह तुम से पहिले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे, देखो, मैं ने तुम से कह दिया। 
8. और वे भय और बड़े आनन्‍द के साय कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलोंको समाचार देने के लिथे दौड़ गई। 
9. और देखो, यीशु उन्‍हें मिला और कहा; ?सलाम और उन्‍होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उसको दणडवत किया। 
10. तब यीशु ने उन से कहा, मत डरो; मेरे भाईयोंसे जाकर कहो, कि गलील को चलें जाएं वहाँ मुझे देखेंगे।। 
11. वे जा ही रही यी, कि देखो, पहरूओं में से कितनोंने नगर में आकर पूरा हाल महाथाजकोंसे कह सुनाया। 
12. तब उन्‍होंने पुरिनयोंके साय इकट्ठे होकर सम्मति की, और सिपाहियोंको बहुत चान्‍दी देकर कहा। 
13. कि यह कहना, कि रात को जब हम सो रहे थे, तो उसके चेले आकर उसे चुरा ले गए। 
14. और यदि यह बात हाकिम के कान तक पहुंचेगी, तो हम उसे समझा लेंगे और तुम्हें जोखिम से बचा लेंगे। 
15. सो उन्‍होंने रूपए लेकर जैसा सिखाए गए थे, वैसा ही किया; और यह बात आज तक यहूदियोंमें प्रचलित है।। 
16. और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्‍हें बताया या। 
17. और उन्‍होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्‍देह हुआ। 
18. यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्‍वर्ग और पृय्‍वी का सारा अधिक्कारने मुझे दिया गया है। 
19. इसलिथे तुम जाकर सब जातियोंके लोगोंको चेला बनाओ और उन्‍हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्क़ा के नाम से बपतिस्क़ा दो। 

20. और उन्‍हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।।
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